सोमवार, 3 जनवरी 2011

इलेक्ट्रानिक मनी ट्रांसफर के लिए खाता संख्या ही काफी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने कहा, धन हस्तांतरण में नाम अन्य ब्योरे पर ध्यान देने की जरूरत नहीं। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इलेक्ट्रानिक धन स्थानांतरण प्रक्रिया को और तेज बनाने के उद्देश्य से बैंकों से इस तरह के सौदों में केवल ग्राहक की खाता संख्या पर ध्यान देने को कहा है। बैंकों से कहा गया है कि इस तरह के धन स्थानांतरण के समय नाम तथा अन्य ब्योरे पर ध्यान दिया जाए। नई व्यवस्था एक जनवरी 2011 से लागू हो गई। ग्राहकों को अब इंटरनेट या बैंक शाखाओं के जरिये इलेक्ट्रानिक धन स्थानांतरण का आग्रह करते समय अपनी खाता संख्या दो बार लिखनी होगी; ताकि किसी तरह की गलती से बचा जा सके। केंद्रीय बैंक के दिशा-निर्देश को ध्यान में रखते हुए बैंकों ने यह नई प्रण्राली अपनाई है। रिर्जव बैंक ने बैंकों से कहा था कि नई पण्राली को नए साल से लागू करने के लिए वे उचित पण्राली तथा प्रक्रिया तय करें। नई व्यवस्था आर.टी.जी.एस., एन..एफ.टी., एन..सी.एस. तथा ईसीएस सहित सभी तरह की इलेक्ट्रानिक भुगतान प्रण्राली तथा इंटरनेट बैंकिंग के जरिये धन स्थानांतरण पर लागू होगी। रिज़र्व बैंक ने दिशा-निर्देश में बैंकों से कहा है कि वे अपने पास आने वाले सभी सौदों को केवल ग्राहक की खाता संख्या के आधार पर निपटाएं। इलेक्ट्रानिक भुगतान अब भी कंप्यूटरीकृत आटोमेटिक प्रण्राली से किया जाता लेकिन फिलहाल इसमें मानवीय हस्तक्षेप भी अधिक होता है और ग्राहक का नाम तथा शाखा ब्योरा आदि जानकारी को मिलाने में काफी समय लग जाता है। भारत में लोग अपने नाम को अलग-अलग तरीके से लिखते हैं, इसलिए नाम मिलाने की दिक्कत और भी जटिल हो गई। रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि मानवीय हस्तक्षेप से केवल सौदों में देरी होगी; बल्कि गलती की आंशका भी अधिक रहेगी। फिलहाल देश में सभी बैंक चूंकि कोर बैंकिंग साफ्टवेयर (सी.बी.एस.) माहौल में काम कर रहे हैं, इसलिए दो ग्राहकों की खाता संख्या समान होने का मतलब ही नहीं है और केवल खाता संख्या के आधार पर भी धन स्थानांतरण किया जा सकता है। बैंकों को क्रेडिट की जांच में ग्राहक के नाम आदि का ब्योरा रखना होगा।

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