बुधवार, 2 जनवरी 2013

पूर्ण कुम्भ या महाकुम्भ / महाकुम्भ मेला 2013 की महत्वपूर्ण तिथियाँ


कुम्भ महापर्व अमृतयमी ब्रह्माण्डीय पर्यावरण अर्थात् अमृतमयी प्राण ऊर्जा का एक उदाहरण है जो ग्रह और नक्षत्र के योग से बनता है। गुरु ग्रह 12 वर्ष बाद कुम्भ राशि पर आता है।

हरिद्वार में पूर्ण कुम्भ--- गुरु कुम्भ राशि में और सूर्य मेष राशि में आने पर हरिद्वार में पूर्ण कुम्भ पर्व होता है।
प्रयाग में पूर्ण कुम्भ--- मेष राशि में गुरु व मकर में सूर्य होने पर प्रयाग में पूर्ण कुम्भ पर्व होता है।
उज्जैन में पूर्ण कुम्भ--- सिंह राशि में गुरु, मेष में सूर्य व तुला में चन्द्र होने पर उज्जैन में पूर्ण कुम्भ पर्व होता है।
नासिक में पूर्ण कुम्भ--- कर्क राशि में गुरु, कर्क राशि में सूर्य, चन्द्र के योग होने पर नासिक में पूर्ण कुम्भ होता है।

उक्त ग्रह योग समस्त स्थानों पर एक समान होते हैं लेकिन हमारे प्राचीन ऋषियों ने पर्यावरण का अध्ययन करके सामान्य जन को इसका लाभ पहुंचाने की दृष्टि से 4 ऐसे स्थान का चयन किया, आध्यात्मिक दृष्टि से पवित्र और प्राकृतिक रूप से वहां शुद्ध जल नदी सदृश उपलब्ध रहता है। इस जल में स्नान करना अमृतमयी बताया गया है। वस्तुतः प्राचीन काल में वर्तमान काल की तरह शुद्ध जल प्राप्त करने की सुविधाएं प्राप्त नहीं थी। शुद्ध जल से स्नान के लिए पूर्णतः नदियों पर ही आश्रित रहना पड़ता था। आजकल तो शुद्ध जल घर पर ही उपलब्ध हो जाता है। अतः शुद्ध जल को खुले एवं बड़े पात्रों में रात्रि में खुले आकाश में कुम्भ काल में रख दिया जाए तो उस जल में भी लगभग वहीं गुण आ जाते हैं जो इन स्थानों में उन कालों में आते थे। ऐसे व्यक्ति जो कुम्भ पर्व काल में हरिद्वार आदि स्थानों पर नहीं जा पाते वे कुम्भ पर्वकाल के अमृतमयी पर्यावरण का अत्यधिक लाभ घर रहकर ही उठा सकते हैं। लेकिन अधिक लाभ जोकि स्थान विशेष की विशिष्ट ऊर्जा के कारण उक्त स्थान पर जाने पर ही प्राप्त होता है।

महाकुम्भ मेला 2013 की महत्वपूर्ण तिथियाँ 

    27 (रविवार) जनवरी - पौष पूर्णिमा
    6 फरवरी (बुधवार) एकादशी स्नान
    10 फरवरी (रविवार) मउनी अमावस्या स्नान (मुख्य स्नान दिवस)
    15 फरवरी (शुक्रवार) बसंत पंचमी स्नान
    17 फरवरी (रविवार) रथ सप्तमी स्नान
    18 फरवरी (सोमवार) भीष्म अष्टमी स्नान
    25 फरवरी (सोमवार) माघी पूर्णिमा स्नान

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