शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

स्वस्तिक (卐) या स्वस्तिक (卍)/ SWASTIK

स्व का अर्थ होता है, 'अच्छा', अस्ति का अर्थ होता है 'होना' और 'का' प्रत्यय है। स्वस्तिक एक प्राचीन प्रतीक है- प्रकाश, प्रेम और जीवन का।

स्वस्तिक दोनों ही तरह का, दायें की तरफ मुँह वाला (卐) या बाएँ की तरफ मुँह वाला (卍) हो सकता है। हिंदुत्व में दाईं तरफ मुड़ा हुआ स्वस्तिक सृष्टि के विकास (卐) का प्रतीक है तथा बाईं तरफ मुड़ा हुआ स्वस्तिक (卍) सृष्टि के ह्रास का प्रतीक है। इसी प्रकार ये सृजन करने वाले भगवान् ब्रह्मा के दो रूपों का प्रतिनिधित्व करता है। स्वस्तिक को चारों दिशाओं {पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण} की ओर इशारा करने वाले की तरह भी देखा जाता है, तो इससे यह स्थायीत्व तथा गाम्भीर्य का प्रतिनिधित्व भी करता है। स्वस्तिक को सूर्य भगवान् का प्रतीक भी माना जाता है। स्वस्तिक को बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा इससे हिन्दू संस्कृति से जुडी चीज़ों को अलंकृत करने में प्रयुक्त किया जाता है। स्वस्तिक को हिन्दू मंदिरों, प्रतीकों, चिन्हों, चित्रों, जहाँ-जहाँ पावित्र्य है, पाया जा सकता है। स्वस्तिक का प्रयोग सभी पूर्वीय धर्मो में होता है।
आज भी यहूदियों की दृष्टि में स्वस्तिक प्रतीक है 'हत्या' का, क्योंकि स्वस्तिक को नाजियों द्वारा अपने प्रतीक चिन्ह के रूप में उपयोग में लाया गया था। स्वस्तिक का प्रयोग नाज़ी सिद्धान्त्वेत्ताओं द्वारा, आर्य मूल के लोग जर्मन लोगो के पूर्वज हैं, इस सिद्धांत के साथ जोड़ा गया। दुर्भाग्य से स्वस्तिक का प्रयोग नाज़िओं द्वारा इतने प्रभावशाली ढंग से हुआ के आज भी लोग स्वस्तिक का असली मतलब नहीं समझते हैं। लेकिन, आर्य भारतीय नहीं थे, इस हास्यापद सिद्धांत को पाश्चात्य विद्वानों ने ही ख़ारिज कर दिया है।
बाईं तरफ मुड़ा हुआ (卍) प्रेम तथा करुण का प्रतिनिधित्व करता है वहीँ दाई तरफ मुड़ा हुआ (卐) बल तथा बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। तिब्बत में स्वस्तिक को 'युंग-दुंग' कहते हैं। ये शाश्वतता का प्रतीक हुआ करता था। आजकल ये प्रतीक बौद्ध कला और साहित्य में प्रयोग किया जाता है तथा धर्म, वैश्विक एकता तथा विरोधों के संतुलन का प्रतीक है। दाईं तरफ मुड़ा हुआ स्वस्तिक (卐) या बायीं तरफ मुड़ा हुआ (卍) बुद्ध की मूर्तियों पर देखा जा सकता है। 3000 वर्ष पुराना सोने का स्वस्तिक ईरानी में स्वस्तिक की माला के रूप में भी मिला है जो इरान के राष्ट्रीय संग्रहालय में मौजूद है। अफगानिस्तान में हुई खुदाई में घड़ों पर भी स्वस्तिक के चिन्ह पाए गए हैं। स्वस्तिक बर्कल, सुडान, अफ्रीका में भी पाए गए हैं।

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