शनिवार, 24 अगस्त 2013

झारखंड को चाहिये विशेष दर्जा





-शीतांशु कुमार सहाय
    विश्व में सबसे आसान कार्य है किसी से कुछ मॉँगना, मॉँगकर वर्तमान को सुधारना व भविष्य को संवारना। पर, इससे भी आसान कार्य है एक! वह कार्य है अनसुना करना। कोई कितना भी आर्त्तनाद करे, मॉँग-पर-मॉँग रखे, चाहे उस मॉँग के पूरा न होने पर मॉँगने वाले की ऐसी-की-तैसी हो जाये पर अपनी ही मस्ती में मस्त रहना कितना आसान, कितना सुहाना लगता है! दरअसल, इन दिनों दोनों आसान कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। पहले आसान कार्य को राज्य की सरकारें कर रही हैं। इसके ठीक विपरीत दूसरे आसान कार्य को केन्द्र सरकार, विशेषकर वर्तमान केन्द्र सरकार कुछ यों अंजाम दे रही है मानो उस पर उसका सर्वाधिकार हो। मतलब यह कि ओड़िशा, राजस्थान और बिहार के सुर-में-सुर मिलाकर झारखण्ड ने भी केन्द्र से मॉँग ही लिया विशेष राज्य का दर्जा। झारखण्ड के मुख्य मंत्री हेमन्त सोरेन ने सोचा कि केन्द्र में कॉँग्रेस नेतृत्व वाली सरकार उनकी मॉँग पर विचार करेगी; क्योंकि राज्य सरकार में कॉँग्रेस भी भागीदार है। इसलिये पहला कार्य करने में राज्य ने देरी नहीं की। तुरन्त ही केन्द्र ने दूसरा कार्य करते हुए झारखण्डी मॉँग को अनसुना कर दिया। लिहाजा जोर का झटका लगा हेमन्त को। राज्य में गलबंहिया करने वाले ने केन्द्र में कन्धे का सहारा न दिया। दो टूक बयान में केन्द्रीय योजना राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने वृहस्पतिवार को राज्य सभा में कहा कि झारखण्ड विशेष राज्य का दर्जा पाने का असल हकदार है ही नहीं।
    वास्तव में हाल के वर्षों में विशेष राज्य का दर्जा मॉँगने की परम्परा-सी चल पड़ी है। 11 राज्य पहले से विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं। ऐसे राज्यों को केंद्र से 90 प्रतिशत अनुदान मिलता है, विशेष योजना सहायता व विशेष केंद्रीय सहायता मिलती है। केंद्रीय योजनाओं में इनकी भागीदारी बहुत कम होती है। कुल केंद्रीय सहायता का 56.25 प्रतिशत 11 विशेष राज्यों को और शेष 43.75 प्रतिशत राशि शेष 17 राज्यों में बॉँटी जाती है। यही लाभ लेना चाहते थे हेमन्त मगर उस पर पानी फिर गया। शुक्ला ने वृहस्पतिवार को सरदार सुखदेव सिंह ढींढसा के प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्य सभा को यह जानकारी दी कि झारखंड, ओड़िशा व राजस्थान विशेष दर्जा प्राप्त करने हेतु पात्र नहीं हैं। शुक्ला के अनुसार, इस वर्ष जनवरी में झारखंड को और मई में ओड़िशा व राजस्थान को सूचित किया गया कि उन्हें विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता।
    इस बीच मुख्य मंत्री हेमन्त सोरेन ने केन्द्र सरकार से विशेष राज्य के लिए बनाये गये मापदंडों पर पुनर्विचार की गुहार लगायी है। यों केन्द्र ने स्वीकारा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल सकता है। इस पड़ोसी राज्य के आवेदन पर केन्द्र में मंथन जारी है। वैसे सम्बद्ध कई शर्त्तों को झारखंड पूरा करता है। विशेष दर्जे का फैसला राष्ट्रीय विकास परिषद करता है। झारखण्ड लम्बे समय से विशेष राज्य का दर्जा मॉँग रहा है। पर, इसकी मॉँग अनसुनी की जा रही है। यों शुक्ला का बयान हेमन्त सहित पूर्व मुख्य मंत्री अर्जुन मुण्डा व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो को नागवार गुजरा। जहॉँ तक आँकड़ों की बात है तो झारखण्डवासी अत्यन्त ही निर्धन हैं। विकास का पहिया घूम नहीं पा रहा है। ऐसे में राज्य व केन्द्र के बीच खिंचतान की भेंट चढ़ता जा रहा है विकास।

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