शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

राँची में नवजोत सिंह सिद्धू : भारतीय हॉकी को फिर से स्वर्णिम युग की ओर ले चलें / HIL : NAVJYOT SINGH SIDDHU AT RANCHI IN JHARKHAND



-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
हॉकी इण्डिया लीग (एचआईएल) के एक कार्यक्रम में पूर्व क्रिकेटर व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू 23 जनवरी 2014 को झारखंड की राजधानी राँची में आये हुए थे। उसी दौरान का यह चित्र है। नवजोत सिंह सिद्धू को एचआईएल का ब्रांड एंबेसेडर बनाया गया है और वे इसके मनोरंजक पक्ष के प्रचार-प्रसार के लिए टीवी पर मैच-पूर्व कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। नवजोत सिंह सिद्धू ने राँची में कहा कि वर्तमान व्यवस्था के तहत भारतीय हॉकी सुरक्षित हाथों में है। हॉकी से जुड़े सभी प्रशासकों को एकजुट होकर भारतीय हॉकी को फिर से स्वर्णिम युग की ओर ले जाने के लिए प्रयास करना चाहिए। नवजोत सिंह सिद्धू ने हॉकी इंडिया लीग की पिछली विजेता राँची राइनोज की काफी टेबल बुक का विमोचन करने के अवसर पर यह बातें कहीं। सिद्धू ने रांची राइनोज की पूरी टीम और प्रबंधन की उपस्थिति में कहा कि हॉलैंड और अनेक अन्य देशों के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ भारत के हॉकी खिलाड़ियों को हॉकी इंडिया लीग के माध्यम से खेलने का मौका मिलता है जिससे उनके खेल में निखार आना लाजमी है। उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के अनेक कॉरपोरेट घराने हॉकी को फिर बढ़ावा देने के लिए आगे आये हैं और उनके हाथों में हॉकी सुरक्षित है। आखिर वह जब अपनी कंपनियों में पांच से दस हजार लोगों का बेहतर प्रबंधन करते हैं तो हॉकी का प्रबंधन भी बेहतर ढंग से कर सकेंगे।’’ उन्होंने कहा कि जब भारतीय हॉकी घास के मैदान में खेली जाती थी तो दुनिया में भारत की बादशाहत थी लेकिन जब से यह एस्ट्रोटर्फ पर खेली जाने लगी भारतीय टीम संसाधनों और आधारभूत संरचना के अभाव के चलते पिछड़ती चली गयी। सिद्धू ने भारत में हॉकी के प्रशासन में दो खेमे होने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि भारत की सफलता के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की टीम जब दुनिया में जीत कर आती है तो पूरे देश को गौरव का अनुभव होता है और इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय हॉकी को उसके स्वर्णिम काल में वापस ले जाने के लिए सभी को एकजुट होकर हाकी के विकास के लिए काम करना चाहिए।

क्रिकेट, टीवी, हॉकी और राजनीति---
नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म भारत में पंजाब प्रान्त के पटियाला जिले में (20 अक्टूबर 1963) हुआ। 1983 से 1999 तक वे क्रिकेट के मँजे हुए खिलाड़ी रहे; क्रिकेट से संन्यास लेने के पश्चात उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया। उन्होंने राजनीति में खुलकर हाथ आजमाया और भाजपा के टिकट पर 2004 में अमृतसर की लोकसभा सीट से सांसद चुने गये। उन पर एक व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाकर मुकदमा चला और अदालत ने उन्हें तीन साल की सजा सुनायी। जिसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से तत्काल त्यागपत्र देकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। उच्चतम न्यायालय द्वारा निचली अदालत की सजा पर रोक लगाने के पश्चात उन्होंने दुबारा उसी सीट से चुनाव लड़ा और सीधे मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी व पंजाब के वित्त मन्त्री सुरिन्दर सिंगला को 77626 वोटों के भारी अन्तर से हराया। सिद्धू पंजाबी सिक्ख होते हुए भी पूर्णतया शाकाहारी हैं। संयोग से उनकी पत्नी का नाम भी नवजोत है। पत्नी नवजोत कौर पेशे से चिकित्सक हैं और पटियाला में जहाँ सिद्धू का स्थायी निवास है, रहती हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: