बुधवार, 12 मार्च 2014

अरविन्द केजरीवाल को बुरा कहने से पहले सोचें / Arvind Kejriwal & AAP is not Bad


-शीतांशु कुमार सहाय।
आप अरविन्द केजरीवाल की तुलना किस दल के किस नेता से कर रहे हैं? याद रखो मेरे मित्र कि काँग्रेस को 82.50 प्रतिशत, भाजपा को 73.00, बसपा को 61.80, राकाँपा को 91.58 और अपने को गरीबों का मसीहा बताने वाले वामपंथी दलों भाकपा को 14.70 और माकपा को 53.80 प्रतिशत आय अज्ञात स्रोत से प्राप्त होते हैं। याद रखना कि आम आदमी पार्टी तो हर दिन प्राप्त होने वाला आय उजागर कर देती है। वैसे यहाँ बता दूँ कि मैं आप या किसी अन्य दल से जुड़ा हुआ नहीं हूँ। बतौर पत्रकार अपने कर्त्तव्य का पालन करते हुए सच्चाई से अवगत करा रहा हूँ।
-सूचना का अधिकार कानून और राजनीतिक दल
यह भी याद रखिये कि जब राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार कानून के दायरे से बाहर रखने के लिए केन्द्र की मनमोहन सरकार ने 2013 में कानून बनाया तो धुर विरोधी भाजपा भी काँग्रेस के साथ हो गयी। ऐसे में मेरे मित्र! राजनीतिक दलों ने (आम आदमी पार्टी को छोड़कर) अवैध धन पचाने का अस्त्र खोज लिया। अब कोई ऐसे दलों से उनकी आय और आय का स्रोत नहीं पूछ सकता। क्या राजनीतिक दल जनता के प्रति जवाबदेह नहीं? मेरे मित्र, जरा यह सवाल उस दल से अवश्य पूछ लीजिये जिसे आप चुनाव में अपना मत देंगे।
-दल ही पारदर्शी नहीं तो...
जब राजनीतिक दल ही पारदर्शी नहीं तो उसके नेता किस मुँह से व्यवस्था में पारदर्शिता या भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने की नैतिकता रखते हैं। किसी को गाली देने से पहले या तो अपने अन्दर झाँकना चाहिये या उसकी तरफ गौर से देखना चाहिये जिसे आप चाहते हैं अर्थात् जिसके समर्थन में आप किसी और को बुरा कह जाते हैं।
-जहाँ जनता को अपनी आय बताते हैं दल
याद रखिये कि विश्व के 40 देशों में राजनीतिक दलों को अपनी आय, सम्पत्ति व देनदारियों का खुलासा करना पड़ता है। यह आँकड़ा कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशियेटिव ने वर्ष 2013 में दिया है। इस आँकड़े के अनुसार नेपाल, जर्मनी, स्वीडेन, तुर्की, आर्मेनिया, ऑस्ट्रिया, भूटान, ब्राजील, बुल्गारिया, फ्रांस, इटली, जापान, घाना, यूनान, हंगरी, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पोलैण्ड, रोमानिया, स्लोवाकिया, सूरीनाम, तजाकिस्तान, यूक्रेन, उज्बेकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, दक्षिण अमेरिका आदि देश शामिल हैं जहाँ के राजनीतिक दल जनता के प्रति वफादार हैं और जनता को अपनी आय-व्यय बताते हैं।
-मुकेश अम्बानी और केजरीवाल
मेरे मित्र! जानिये यह भी कि विगत दिनों जब दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए अरविन्द केजरीवाल ने देश के अमीरतम मुकेश अम्बानी पर उनकी अनियमितता के कारण प्राथमिकी दर्ज करवायी तो सबने उनकी बुराई की। बुराई करने वाले सच्चाई नहीं जानते केवल मीडिया के समाचारों से अपना मत निर्धारित कर लेते हैं। दरअसल, इन दिनों अगर मीडिया केजरीवाल के विरोध में दिखायी दे रही तो उसका कारण यह है कि उन्होंने वैसे टीवी चैनलों पर कहा कि चैनलों पर मालिकों के नाम भी उजागर किये जाने चाहिये; ताकि उस पर दिखायी जाने वाली सामग्रियों की विश्वसनीयता के बारे में जनता निकट से समझ-बूझ सके। इससे कुछ मीडिया घरानों ने केजरीवाल के खिलाफ अघोषित अभियान चला रखा है। इसी का परिणाम हाल का कथित 55 सकेण्ड वाला सीडी-प्रकरण है। केजरीवाल का यह साक्षात्कार ‘आजतक’ चैनल पर प्रसारित हुआ था। आजतक के अनुसार, उस साक्षात्कार का सीधा प्रसारण किया गया था, अतः ‘यह ज्यादा दिखाना या वह कम दिखाना जैसी घटना घटी ही नहीं थी; क्योंकि प्रसारण लाइव था।
-घातक नया कानून
मेरे मित्र! एक बहुत जरूरी बात बता दूँ। इन दिनों मीडिया और कॉरपोरेट का घातक गठजोड़ बन रहा है। नये कानून के अनुसार, किसी कम्पनी को राजनीतिक दल को चन्दा देने के लिए एक ट्रस्ट बनाना होगा। अम्बानी, मित्तल सहित पाँच औद्योगिक घराने ऐसे ट्रस्ट बना रहे हैं। इसके अलावा दो दर्जन से अधिक कारोबारी समूह ऐसी ही योजना बना रहे हैं। नये नियम के तहत राजनीतिक दलों को ट्रस्ट के माध्यम से चन्दा देने पर कर में विशेष छूट मिलती है। चन्दे की यह रकम बिल्कुल गुप्त रहेगी जिसे किसी भी कानून के तहत जनता नहीं जान सकेगी। यही सच है हमारे भारतीय लोकतन्त्र का!

-आम आदमी पार्टी के चन्दे की पारदर्शिता
अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी राजनीतिक दलों के चन्दे की पारदर्शिता को बेहद महत्तवपूर्ण मानती है। यह दल कोई छिपा हुआ चन्दा नहीं लेती और प्रत्येक चन्दे को अपने वेबसाइट पर अपडेट करती है।
-काँग्रेस व भाजपा को मोटा चन्दा
वर्ष 2013 में जारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की रपट के अनुसार, वर्ष 2004-05 से 2011-12 तक भारत में राजनीतिक दलों को 4,895 करोड़ रुपयों के चन्दे मिले। इस विशाल राशि को पाने वाले दलों में काँग्रेस, भाजपा, भाकपा, माकपा, बसपा और राकाँपा हैं। इनमें से 3,674 करोड़ रुपयों के चन्दे अज्ञात स्रोत से प्राप्त हुए। काँग्रेस को 2365.05 करोड़ रुपये, भाजपा को 1304.22 करोड़ रुपये और बसपा को 497.44 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।

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