मंगलवार, 20 मार्च 2018

नवरात्र : कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा भद्रकाली की प्रतिमा पुनर्स्थापित / Relocated Statue of Maa Bhadrakali in Kashmir By Indian Army

माँ भद्रकाली की प्राचीन प्रतिमा को पुनर्स्थापित करने को मन्दिर में लाते सैन्यकर्मी 
-शीतांशु कुमार सहाय 
चैत्र नवरात्र जारी है और इस मौके पर भारतीय सेना ने माँ आदिशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया है। चैत्र नवरात्र विक्रम २०७५ के प्रथम दिन अर्थात् १८ मार्च सन् २०१८ ईस्वी को भारतीय सेना द्वारा कश्मीर के एक प्राचीन मंदिर में माँ भद्रकाली की ऐतिहासिक प्रतिमा की पुनर्स्थापना करायी  गयी है। कश्मीर के हंदवाड़ा जिले में इस प्रतिमा को एक ऐतिहासिक मंदिर में सेना के जवानों द्वारा पुनर्स्थापित किया गया है। मंदिर की सुरक्षा के लिए सेना के जवानों को तैनात किया गया है।  
हंदवाड़ा जिले में स्थापित इस मूर्ति को एक गुफा से १९वीं सदी में प्राप्त किया गया था। तब से यह प्रतिमा हंदवाड़ा के एक मंदिर में स्थापित थी। स्थापना के ९० वर्ष बाद सन् १९८१ ईस्वी में मंदिर से यह प्रतिमा चोरी हो गयी। सन् १९८३ ईस्वी में इस प्रतिमा को खोज निकाला गया। इस के बाद साल १९९० में माता भद्रकाली के भक्त पंडित भूषण लाल प्रतिमा को जम्मू ले गये।
भद्रकाल गाँव के भद्रकाली मन्दिर में माँ भद्रकाली की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा
करते सैन्य अधिकारी 
पंडित भूषण लाल ने ७ सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स के ब्रिगेडियर श्री डीआर राय से इस प्रतिमा को कश्मीर में पुनर्स्थापित करने में सहायता माँगी। ब्रिगेडियर राय ने आश्वस्त किया कि नवरात्र की शुरुआत में मूर्ति मंदिर में फिर से स्थापित कर दी जायेगी। यों १८ मार्च २०१८ को चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन माँ भद्रकाली की ऐतिहासिक मूर्ति भद्रकाल गाँव के प्रसिद्ध मंदिर में स्थापित कर दी गयी। पूजन पर सेना के अधिकारी भी बैठे। 
माता भद्रकाली की ऐतिहासिक प्रतिमा की स्थापना के दौरान गाँव में उत्सव जैसा वातावरण देखने को मिला। मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भी पहुँची। लोग कैमरों में पूजन के दृश्य को कैद करते रहे।
इस पावन मौके पर भारतीय सेना की ओर से जीओसी मेजर जनरल एके सिंह समेत राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट के कई जवान मौजूद रहे। माँ भद्रकाली की ऐतिहासिक प्रतिमा की पुनर्स्थापना के पश्चात् जीओसी ने कहा कि भद्रकाली मंदिर में माँ भद्रकाली की प्रतिमा पुनर्स्थापना कराने के बाद सेना को इस की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया है। मूर्ति की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना की २१ राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट के जवानों को मंदिर परिसर में तैनात किया गया है, जो नियमित रूप से अपनी सेवा दे रहे हैं।
मन्दिर की सुरक्षा में तैनात भारतीय सेना के जवान 
कहा जाता है कि 1891 में हंदवाड़ा के निवासी सरवा वायू को माता आदिशक्ति ने स्वप्न में दर्शन दिये। स्वप्न में माँ ने उन्हें बताया कि खान्यार के पास एक गुफा में उन की प्रतिमा है। सरवा ने ही माता भद्रकाली की प्रतिमा खान्यार की गुफा से निकलवाया और हंदवाड़ा में मन्दिर बनवाकर स्थापित करवायी। बाद में १९८१ में यह मूर्ति चोरी हो गयी जिसे १९८३ में खोजा गया। मूर्ति को पंडित भूषण लाल अपने साथ जम्मू ले गये और माँ की पूर्जा-अर्चना करते रहे। सन् २०१७ ईस्वी में उन्होंने ७ सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स के ब्रिगेडियर डीआर राय से मुलाकात कर मूर्ति को फिर से मन्दिर में स्थापित करने के लिए सहयोग माँगा। माँ भद्रकाली की मूर्ति को मंदिर में फिर से स्थापित करने में सेना की २१ राष्ट्रीय राइफल्स ने सहायता की। अब मंदिर की सुरक्षा में भारतीय सेना के जवानों की स्थायी तैनाती भी कर दी गयी है।