शनिवार, 26 मई 2018

पटना उच्च न्यायालय ने दी व्यवस्था : परिवार में कोई नौकरीवाला है तो आश्रित को अनुकम्पा पर नौकरी नहीं / Patna High Court Gave the Order : There is no Employer in the Family, Then the Dependent does not have Employment on Compassionate Grounds.

-शीतांशु कुमार सहाय 
अनुकम्पा के आधार पर नौकरी प्राप्त करना काफी कठिन है। कई अधिकारियों के मान-मनव्वल और रिश्वत के बाद ही नौकरी मिल पाती है। अब पटना उच्च न्यायालय के नये आदेश की गलत व्याख्या करके अधिकारी अनुकम्पा के लाभार्थियों की नानी याद दिला देंगे। दरअसल, पटना उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि किसी सरकारी कर्मचारी के सेवाकाल में मृत्यु के बाद उस का कोई बच्चा नौकरी में है तो कर्मचारी के अन्य आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी नहीं मिलेगी। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन, न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन व न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की तीन सदस्यीय पीठ ने यह व्यवस्था कई याचिकाओं व अपील पर सुनवाई के बाद दी। 
तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट किया कि कर्मचारी के किसी बच्चे की नौकरी ऐसी हो कि वह परिवार के अन्य सदस्यों का भरण-पोषण कर सके तो उसे अनुकम्पा का लाभ नहीं दिया जा सकता। अगर ऐसा नहीं है तो कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा पर नौकरी दी जा सकती है। न्यायालय ने यह व्यवस्था देते हुए याचिकाकर्ता निरंजन कुमार मल्लिक सहित अन्य की याचिकाओं को खारिज कर दिया। 
पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि मृत कर्मचारी का कोई आश्रित नौकरी करता है तो अधिकारी को यह देखना है कि वह परिवार के अन्य सदस्यों को खिला सकता है या नहीं। अगर नहीं खिला सकता है तो मृत कर्मचारी के अन्य आश्रित को अनुकंपा पर नौकरी देने का विचार किया जा सकता है। 
न्यायालय ने कहा कि अनुकम्पा पर नौकरी दिया जाना सामान्य तरह से नौकरी दिये जाने के समान नहीं है। इस में यह देखा जाता है कि मृत कर्मचारी के आश्रितों का भरण-पोषण कैसे होगा। परिवार में भरण-पोषण करनेवाला कोई नहीं है तो आश्रित को अनुकम्पा पर नौकरी दी जाती है। 
पटना उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि सरकार का मृत कर्मचारी के किसी आश्रित को नौकरी में होने की दशा में अन्य आश्रित को अनुकम्पा पर नौकरी नहीं देना, उस का नीतिगत फैसला है। इस में अधिकारी को यह नहीं देखना है कि नौकरी करनेवाला आश्रित दूसरे आश्रितों का भरण-पोषण करेगा कि नहीं। सरकार सकारात्मक दृष्टिकोष रखते हुए देखती है कि नौकरी करनेवाला आश्रित परिवार के अन्य सदस्यों का भरण-पोषण करेगा। 
यहाँ यह विचारयोग्य है कि सरकार पहले ही कई नौकरियों में पेंशन बंद कार चुकी है। साथ ही कई अन्य लाभों को भी बंद कर दिया गया है। अब एक अनुकम्पा का लाभ ही सरकारी नौकरी में बचा था जो पटना उच्च न्यायालय की दी गयी व्यवस्था के बाद लगभग समाप्त ही हो जायेगा।

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