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शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

नासिक में शुरू हुआ कुम्भ मेला 2015 / KUMBH FAIR 2015 IN NASIK



-शीतांशु कुमार सहाय
ठीक 13वें साल गुरु के सिंह राशि में प्रवेश होते ही नासिक में बहुप्रतीक्षित ‘महाकुंभ’ मेले की शुरुआत हो गयी। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भारी सुरक्षा के बीच शुक्रवार 28 अगस्त 2015 को मंत्रोच्चार और परंपरागत ध्वजारोहण के साथ मेले का उद्घाटन किया.गौरतलभ है की नासिक का सिंहस्थ महाकुंभ देश के चारों सबसे कुंभ स्थलों में सबसे छोटा है। इस बार नासिक कुंभ में करीब 1 करोड़ लोगों के स्नान की उम्मीद लगायी जा रही है।
भारत में कुंभ मेला चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है – इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। हरिद्वार (उत्तराखंड) में,जहाँ पवित्र गंगा शक्तिशाली हिमालय से मैदानों में प्रवेश करती है,इलाहाबाद में गंगा,यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर, ऐतिहासिक उज्जैन नगरी में पवित्र क्षिप्रा नदी के तट और महाराष्ट्र के विख्यात नासिक नगर में गोदावरी नदी के तट पर हर 12 वर्ष बाद मनाया जाता है।
खगोलीय दृष्टिकोण से हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में सदियों से हर तीसरे वर्ष अर्ध या पूर्ण कुम्भ का आयोजन किया जाता है। यह मूल रूप में बृहस्पति और सूर्य ग्रह की स्थिति के आधार पर तय होता है। नासिक महाकुम्भ जब गुरु सिंह राशि पर स्थित हो तथा सूर्य एवं चंद्र कर्क राशि पर हों,तब नासिक में कुम्भ मेला आयोजित किया जाता है। यह स्थिति हर 12 वर्ष बाद आती है।
नासिक महाकुम्भ 2015 में अखाड़ों का ध्वजारोहण साधुग्राम में 19 अगस्त को और प्रथम शाही स्नान 29 अगस्त 2015 को आयोजित किया जाएगा। दूसरा शाही स्नान 13 सितंबर और अंतिम शाही स्नान 18 सितंबर 2015 को आयोजित किया जायेगा.इस तरह पूरे ढाई महीने भक्त ‘कुम्भ’ मेले में आस्था की डुबकी लगाते रहेंगे।

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने कुंभ के आयोजन पर 3,000 विशेष बसें मुहैया कराई हैं। जबकि रेलवे ने हर 20 मिनट में ट्रेनों की व्यवस्था की है। विशेष रूप से 36 रेलें चलायी जा रहीं हैं।
338 एकड़ के क्षेत्रफल में साधुओं के ठहरने का प्रबंध करने के लिए ‘साधुग्राम’ बनवाया गया है.’साधू ग्राम’ में तंबुओं शौचालय,पेयजल,और बिजली की बेहतरीन व्यवस्था की गई है।
मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट SBM(स्वच्छ भारत मिशन) का प्रभाव नासिक कुम्भ आयोजन पर साफ़ तौर पर देखा जा सकता है.कुंभ में प्लास्टिक पर पूर्णतः प्रतिबंधित होगा इसलिए लोगों के लिए ‘थैलों’ की व्यवस्था की गयी है।
हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच पौराणिक काल में हुए अमृत मन्थन के दौरान अन्य दिव्य पदार्थो के समान ही अमृत से भरा एक ‘कुंभ’ भी निकला। असुर अमृतपान कर अमर हो जाना चाहते थे। दैत्यो ने अमृत कलश को देवताओं से छीनने की कोशिश की तो देवराज इन्द्र का पुत्र ‘जयन्त’ इस अमृत कलश को लेकर भाग निकला।
राक्षसों ने कलश प्राप्त करने के लिए जयंत का पूरे ब्रह्माण्ड भर में पीछा किया.जयन्त तीनो लोकों में भागता रहा। इस भागदौड के दौरान आकाश से अमृत गिरा वहाँ प्रत्येक 12 वर्ष बाद कुम्भ पर्व मनाया जाता है।
नासिक में कुंभ मेला बड़ी उत्सुकता, से मनाया जाता है। बड़े पैमाने पर तीर्थयात्री अपने पापों और त्राश को दूर करने के लिए पवित्र नदी गोदावरी में स्नान करते है। रामकुंड और कुशावर्त इन दो पवित्र स्नान घाटो में आस्था और विश्वास के साथ स्नान करते है।
सरकार ने इस आयोजन हेतु 2378 करोड़ रुपए का बजट रखा है। पूरा नासिक को 348 सीसीटीवी कैमरों की जद में रखा गया है। चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए विशेष तौर पर पुलिस कंट्रोल रूम तैयार किया गया है।
-15000 पुलिसकर्मी संभालेंगे आस्था का सैलाब
नासिक और त्र्यंबकेश्वर में कुंभ का पहला शाही स्नान शनिवार को है। इस दौरान सुरक्षा चाक-चौबंद रखने के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। नासिक पुलिस ने हरिद्वार के पुलिसकर्मियों से भी मेले के दौरान इंतजाम दुरुस्त रखने के टिप्स लिए हैं। नासिक पुलिस कमिश्नर एस जगन्नाथन ने बताया कि कुंभ के दौरान नासिर में सुरक्षा के लिए 15000 पुलिसकर्मी, स्पेशल फोर्स और एटीएस के 10 स्कॉवड, बम निरोधक दस्ते की 12 टीमें, 350 सीसीटीवी कैमरे निगरानी करेंगे। मुख्य घाट के रास्तों में लोगों को सूचना देने के लिए 1700-1800 लाउडस्पीकर सिस्टम भी लगाए गए हैं। नासिक और त्र्यंबकेश्वर में जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए गए हैं। पुलिसकर्मी जरूरत पड़ने पर लोगों की सघनता से जांच भी कर रहे हैं। श्रद्धालुओं को भी इससे ऐतराज नहीं है। प्रशासन को लग रहा है कि पहले शाही स्नान के दिन 70 लाख से एक करोड़ लोग नासिक और त्र्यंबक में डुबकी लगाने जुट सकते हैं, इसलिए वह सुरक्षा के हर मुमकिन इंतजाम करने में जुटा है।

Every 12th entry of Jupiter into Taurus, i.e. once every 144 years, the Purna Kumbh at Prayag is called Maha Kumbh. The year 2013 happens to be one such Maha Kumbh at Prayag after 144 years.

-नागा साधु



निर्वस्त्र होकर चलते, शरीर पर भभूत और रेत लपेटे, नाचते-गाते, उछलते-कूदते, डमरू-ढफली बजाते नागा साधुओं का जीवन हमेशा से ही रहस्यमयी रहा है। वह कहां से आते हैं और कहां गायब हो जाते हैं इस बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं होती। जूना अखाड़े के प्रवक्ता महंत हरी गिरि के मुताबिक अखाड़ों में आए यह नागा सन्यासी इलाहाबाद, काशी, उज्जैन, हिमालय की कंदराओं और हरिद्वार से आए हैं। इन में से बहुत से संन्यासी वस्त्र धारण कर और कुछ निर्वस्त्र भी गुप्त स्थान पर रहकर तपस्या करते हैं और फिर 6 वर्ष बाद यानि अगले अर्धकुंभ के मौके पर नासिक आएंगे। आमतौर पर यह नागा सन्यासी अपनी पहचान छुपा कर रखते हैं। कई नागा संन्यासी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में जूनागढ़ की गुफाओं या पहाडिय़ों से आये हैं। नागा संन्यासी किसी एक गुफा में कुछ साल रहते है और फिर किसी दूसरी गुफा में चले जाते हैं। इस कारण इनकी सटीक स्थिति का पता लगा पाना मुश्किल होता है। एक से दूसरी और दूसरी से तीसरी इसी तरह गुफाओं को बदलते और भोले बाबा की भक्ति में डूबे ये नागा जड़ी-बूटी और कंदमूल के सहारे पूरा जीवन बिता देता हैं। कई नागा जंगलों में घूमते-घूमते सालों काट लेते हैं और अगले कुंभ या अर्ध कुंभ में नजर आते हैं। नागा साधुओं को रात और दिन मिलाकर केवल एक ही समय भोजन करना होता है। वो भोजन भी भिक्षा मांग कर लिया गया होता है। एक नागा साधु को अधिक से अधिक सात घरों से भिक्षा लेने का अधिकार है। अगर सातों घरों से कोई भिक्षा ना मिले, तो उसे भूखा रहना पड़ता है। जो खाना मिले, उसमें पसंद-नापसंद को नजर अंदाज करके प्रेमपूर्वक ग्रहण करना होता है। नागा साधु सोने के लिए पलंग, खाट या अन्य किसी साधन का उपयोग नहीं कर सकते। यहां तक कि नागा साधुओं को गादी पर सोने की भी मनाही होती है। नागा साधु केवल जमीन पर ही सोते हैं। यह बहुत ही कठोर नियम है, जिसका पालन हर नागा साधु को करना पड़ता है।

गुरुवार, 27 अगस्त 2015

100 नगर होंगे स्मार्ट, 98 के नाम घोषित/ 100 Smart Cities, 98 Named





-शीतांशु कुमार सहाय
नयी दिल्ली में 27 अगस्त 2015 (वृहस्पतिवार) को केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने केन्द्र सरकार की देशभर मंे सौ स्मार्ट शहर बनाने की महत्त्वाकांक्षी योजना के तहत नामांकित 98 नगरांे की सूची जारी कर दी। इनमंे पटना, बंेगलुरु, कोलकाता, शिमला और तिरूवनन्तपुरम जैसी राजध्ाानियांे को जगह नहीं मिली है। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री एम वंेकैया नायडू ने नयी दिल्ली में नगरों की सूची जारी करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर के एक-एक शहर की घोषणा बाद मंे की जायेगी।
-मेरठ या रायबरेली
नायडू ने बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने नगर का नाम भेजने के लिए कुछ और समय माँगा है। इसी तरह उत्तर प्रदेश को अभी मेरठ और रायबरेली मंे से किसी एक नगर को चुनना है।      
-चयनित नगरों की विशेषता
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री ने कहा कि इन शहरांे के नामांकन मंे केन्द्र सरकार की भूमिका केवल मानक तथा दिशा निर्देश तय करने की रही है जिनके आध्ाार पर इन्हंे राज्यांे को चुनना था। नामांकित 98 शहरांे मंे 24 राज्यांे की राजध्ाानियाँ, 24 व्यावसायिक और औद्योगिक केन्द्र, 18 सांस्कृतिक तथा पर्यटन महत्त्व के, 5 बंदरगाह शहर और 3 शिक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल केन्द्र के रूप मंे मशहूर हैं।
-उत्तर प्रदेश के 13 व बिहार के 3 नगर
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री नायडू ने बताया कि जनसंख्या के आध्ाार पर उत्तर प्रदेश को 13, तमिलनाडु को 12, महाराष्ट्र को 10 मध्य प्रदेश को 7, गुजरात और कर्नाटक को 6-6 तथा आंध्र प्रदेश और बिहार को 3-3 राज्यांे के नाम स्मार्ट नगर के लिए नामांकित  करने को कहा गया था। अन्य राज्यांे तथा केन्द्र शासित प्रदेशांे को अपने एक-एक नगर का नाम भेजना था। यों 100 में से 98 नगर चुने गये।
-98 शहरांे में 13 करोड़ भारतीय
नायडू ने कहा कि नामांकित नगरांे मंे से 8 की जनसंख्या एक लाख या उससे कम, 35 की जनसंख्या 1 से 5 लाख के बीच, 21 की 5 से 10 लाख के बीच, 25 की 10 से 25 लाख के बीच और 5 नगरांे की 25 से 50 लाख के बीच है। चार शहरांे चेन्नई, ग्रेटर हैदराबाद, अहमदाबाद और बृहन्मुंबई की जनसंख्या 50 लाख से अध्ािक है। इन 98 शहरांे की आबादी 13 करोड़ है जो 2011 की जनगणना के अनुसार देश की 35 प्रतिशत तथा शहरी आबादी के 80 प्रतिशत के बराबर है। इन 98 नगरांे मंे से 90 सरकार की एक अन्य महत्त्वाकांक्षी योजना ‘अमृत’ मंे भी शामिल हैं।
-नगरांे के बीच होगी प्रतिस्पर्द्धा
नायडू ने बताया कि इसके साथ ही स्मार्ट शहर योजना का पहला चरण पूरा हो गया है। दूसरे चरण मंे इन नगरांे के बीच प्रतिस्पर्द्धा होगी जिनके आध्ाार पर इन्हंे रैंकिंग दी जायेगी और शीर्ष 20 शहरांे को पहले साल स्मार्ट शहर बनाने के लिए चुना जायेगा। यह काम इस वर्ष के अंत तक पूरा हो जायेगा तथा आगामी जनवरी मंे स्मार्ट शहर का काम शुरू हो जायेगा। दूसरे वर्ष अगले 40 तथा तीसरे वर्ष शेष 40 शहरांे को चुना जायेगा। उन्हांेने कहा कि स्मार्ट शहर परियोजना मंे शामिल होने के लिए इन शहरांे को 6 मानकांे पर खरा उतरना होगा, जिनके तहत इनकी योजनाओं को लागू करने, शहर के विजन और रणनीति, योजना के आर्थिक तथा पर्यावरणीय प्रभावांे, लागत, नयी तकनीक और प्रक्रियाओं के आध्ाार पर परखा जायेगा।
-96 हजार करोड़ की है परियोजना
नायडू ने कहा कि पहले वर्ष चुने गये 20 शहरांे को 200-200 करोड़ रुपये की राशि जारी की जायेगी। इसके बाद 5 वर्ष तक हर साल इन्हंे 100-100 करोड़ रुपये दिये जायंेगे। केन्द्र सरकार ने स्मार्ट शहर मिशन के लिए 48 हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावध्ाान किया है। केन्द्र शासित प्रदेशांे और राज्यांे को भी 48 हजार करोड़ रुपये की राशि देनी होगी। इस तरह इस परियोजना के लिए कुल 96 हजार करोड़ रुपये की राशि रखी गयी है। स्मार्ट शहर योजनाओं को लागू करने के लिए एक विशेष उपक्रम बनाया जायेगा, जिसमंे राज्य और केन्द्र की बराबर की हिस्सेदारी होगी। इसमंे निजी क्षेत्र का भी सहयोग लिया जा सकता है।
-होंगी 3 कार्यशालाएँ
केन्द्रीय मंत्री नायडू ने बताया कि इन 98 नगरांे को प्रतिस्पर्द्धा के लिए तैयार करने के उद्देश्य से शहरी विकास मंत्रालय अगले महीने तीन कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है। पहली कार्यशाला दिल्ली मंे 3 सितम्बर को, दूसरी हैदराबाद मंे 7 सितम्बर को तथा तीसरी 11 सितम्बर को कोलकाता मंे होगी।
कैसे चुने गए शहर
सबसे पहले राज्यों ने अपने शहर चुने। इसके लिए केंद्र की ओर से कुछ गाइडलाइंस तय की गईं थीं। राज्यों से स्मार्ट सिटी के लिए प्रप्रोजल्स के साथ कुछ सुझाव भी मांगे गए थे। सभी राज्यों से दी गई लिस्ट को एक एक्सपर्ट कमिटी के पास भेजा गया। इस कमिटि में देश और विदेश के एक्सपर्ट थे। इनके निर्णय के आधार पर शहरों के नाम फाइनल किए गए।
कैसे होगी प्रोजेक्ट फंडिंग
पहले चरण में 20 और अगले हर दो साल में 40-40 शहरों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए सिलेक्ट किया जाएगा। हर स्मार्ट सिटी को अगले पांच साल तक केंद्र सरकार हर साल 100 करोड़ रुपए देगी।
स्मार्ट सिटीज़ बनाने पर फोकस
शहरी विकास मंत्रालय के कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक, देश में अभी शहरी आबादी 31 फीसदी है, लेकिन इसकी भारत के जीडीपी में हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा है। अनुमान है कि अगले 15 साल में शहरी आबादी की जीडीपी में हिस्सेदारी 75 फीसदी होगी। इस वजह से 100 स्मार्ट सिटीज़ बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
स्मार्ट सिटी के बुनियादी सिद्धांत
सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को तीन सिद्धांताें पर तैयार किया है।
1. क्वालिटी ऑफ लाइफ
स्मार्ट सिटी में रहने वाले हर व्यक्ति को क्वालिटी लाइफ मिले। यानी किफायती घर हो, हर तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर हो। पानी और बिजली चौबीसों घंटे मिले। एजुकेशन के ऑप्शंस हों। सुरक्षा हो। एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स के साधन हों। आसपास के इलाकों से अच्छी और तेज कनेक्टिविटी हो। अच्छे स्कूल और अस्पताल भी मौजूद हों।
2. इन्वेस्टमेंट
स्मार्ट सिटी में वहां मौजूद ह्यूमन रिसोर्स और नेचुरल रिसोर्स के मुताबिक पूरा इन्वेस्टमेंट भी आए। बड़ी कंपनियों को वहां अपनी इंडस्ट्री लगाने के लिए सुविधाएं और सहूलियत मिले। उन पर टैक्स का ज्यादा बोझ न हो।
3. रोजगार
स्मार्ट सिटी में इन्वेस्टमेंट ऐसा आए जिससे वहां या आसपास रहने वाले लोगों को रोजगार के पूरे मौके मिलें। स्मार्ट सिटी के अंदर रहने वालों को अपनी आमदनी के लिए उस इलाके से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े।
जो सुविधाएं आजादी के बाद से अब तक आपको नहीं मिलीं, वे स्मार्ट सिटी में दिलाने के दावे
स्मार्ट सिटी में ट्रांसपोर्ट, रेजिडेंशियल, बिजली-पानी, हेल्थ और एजुकेशन की सुविधाएं देने के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं।
1. ट्रांसपोर्ट
- स्मार्ट सिटी के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने का ट्रैवल टाइम 45 मिनट से ज्यादा न हो।
- कम से कम 2 मीटर चौड़े फुटपाथ हों।
- रिहाइशी इलाकों से 800 मीटर की दूरी या 10 मिनट वॉक पर बस या मेट्रो की सुविधा हो।
2. रिहाइश
- 95 फीसदी रिहाइशी इलाके ऐसे हों जहां 400 मीटर से भी कम दूरी पर स्कूल, पार्क और रीक्रिएशन पार्क मौजूद हों।
- 20 फीसदी मकान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए हों।
- कम से कम 30 फीसदी रिहाइशी और कमर्शियल इलाके बस या मेट्रो स्टेशन से 800 मीटर की दूरी के दायरे में ही हों।
3. बिजली और पानी
- स्मार्ट सिटी में 24*7 पानी और बिजली सप्लाई हो।
- 100 फीसदी घरों में बिजली कनेक्शन हों। सारे कनेक्शनों में मीटर लगा हो।
- लागत में नुकसान न हो। यानी कोई बिजली-पानी चोरी न कर पाए।
- प्रति व्यक्ति कम से कम 135 लीटर पानी दिया जाए।
4. वाईफाई कनेक्टिविटी
- 100 फीसदी घरों तक वाईफाई कनेक्टिविटी हो।
- 100 एमबीपीसी की स्पीड पर वाईफाई पर मिले।
5. हेल्थ
- स्मार्ट सिटी में इमरजेंसी रिस्पॉन्स टाइम 30 मिनट से ज्यादा न हो।
- हर 15 हजार लोगों पर एक डिस्पेंसरी हो।
- एक लाख की आबादी पर 30 बिस्तरों वाला छोटा अस्पताल, 80 बिस्तरों वाला मीडियम अस्पताल और 200 बिस्तरों वाला बड़ा अस्पताल हो।
- हर 50 हजार लोगों पर एक डायग्नोस्टिक सेंटर हो।
5. एजुकेशन
- 15 फीसदी इलाका एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के लिए हो।
- हर 2500 लाेगों पर एक प्री-प्राइमरी, हर 5000 लोगों पर एक प्राइमरी, हर 7500 लोगों पर एक सीनियर सेकंडरी और हर एक लाख की आबादी पर पहली से 12वीं क्लास तक का एक इंटिग्रेटेड स्कूल हो।
- सवा लाख की आबादी पर एक कॉलेज हो।
- 10 लाख की आबादी पर एक यूनिवर्सिटी, एक इंजीनियरिंग कॉलेज, एक मेडिकल कॉलेज, एक प्रोफेशनल कॉलेज और एक पैरामेडिकल कॉलेज हो।
-ये हैं 98 नामांकित नगरांे की सूची 
अंडमान निकोबार द्वीप समूह- पोर्ट ब्लेयर।
आंध्र प्रदेश-  विशाखापट्टनम , तिरूपति  और काकीनाड़ा।
अरूणाचल प्रदेश- पासीघाट।
असम- गुवाहाटी।
बिहार- मुजफ्फरपुर, भागलपुर और बिहारशरीफ।
चंडीगढ़।
छत्तीसगढ़- रायपुर और विलासपुर।
दमन व दीव- दीव।
दादर नगर हवेली- सिलवासा।
दिल्ली- नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद क्षेत्र।
गोवा- पणजी।
गुजरात- गाँध्ाीनगर, अहमदाबाद, सूरत, वड़ोदरा, राजकोट और दहोद।
हरियाणा- करनाल और फरीदाबाद।
हिमाचल प्रदेश- ध्ार्मशाला।
झारखंड- राँची।
कर्नाटक- मंेगलुरु, बेलगाम, शिवमोगा, हुबली, ध्ाारवाड़, तुमकुर और दंेवाणगेरे।
केरल- कोच्चि।
लक्षद्वीप- कवराती।
मध्य प्रदेश- भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, सतना और उज्जैन।
महाराष्ट्र- नवी मुंबई, नासिक, ठाणे, बृहन्मुम्बई, अमरावती, सोलापुर, नागपुर, कल्याण, दांेबावली, औरंगाबाद और पुणे।
मणिपुर- इम्फाल।
मेघालय- शिलांग।
मिजोरम- एंजल।
नागालैंड- कोहिमा।
ओडिशा- भुवनेश्वर और राउरकेला।
पुड्डुचेरी- ओलग्रेट।
पंजाब- लुध्ाियाना, जालन्धर और अमृतसर।
राजस्थान- जयपुर, उदयपुर, कोटा और अजमेर।
सिक्किम- नामची।
तमिलनाडु- तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली, डिंडीगुल, तंजावुर, तिरूपुर, सेलम, वेल्लुर, कोयंबटूर, मदुरै, इरोड़, तूतुकुड़ी और चेन्नई।
तेलंगाना -ग्रेटर हैदराबाद और ग्रेटर वारांगल।
त्रिपुरा- अगरतला।
उत्तर प्रदेश- मुरादाबाद, अलीगढ, सहारनपुर, बरेली, झाँसी, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, आगरा और रामपुर।
उत्तराखंड- देहरादून।
पश्चिम बंगाल- न्यू टाउन कोलकाता, विध्ााननगर, दुर्गापुर और हल्दिया।

मंगलवार, 25 अगस्त 2015

इतिहास में पहली बार कांवड़ ले निकलीं मुस्लिम महिलाएं, किया जलाभिषेक/ For the first time, came to Muslim women with Kanwad the Jalabhishek

-शीतांशु कुमार सहाय
-सावन के अंतिम सोमवार को मधुमिलन चौराहे से गीता भवन तक अनूठी कांवड़ यात्रा निकली। 
-यात्रा में बड़ी संख्या में मुस्लिम भाई भी शामिल हुए।
-यात्रा में शामिल केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर, महापौर मालिनी गौड़।
-मधुमिलन चौराहा़ स्थित हनुमान मंदिर से कांवड़ यात्रा शुरू हुई।
-सामाजिक समरसता का संदेश देने के उद्देश्य को लेकर कांवड़ यात्रा निकाली गई।
-यात्रा में मधुमिलन चौराहे पर हनुमान मंदिर से हिंदू महिलाओं ने कांवड़ में जल भरा।
इंदौर में सावन के अंतिम सोमवार 24 अगस्त 2015 को मधुमिलन चौराहे से गीता भवन तक अनूठी कांवड़ यात्रा निकली। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों की महिलाएं कांवड़ लेकर चलीं। देश के इतिहास में शायद यह पहली ऐसी कांवड़ यात्रा है, जिसमें बुर्का पहनकर मुस्लिम महिलाएं कांवड़ लेकर चलीं और भोले बाबा का जलाभिषेक किया। यात्रा में एक ओर जहां भजनों की स्वरलहरियां गूंजी, वहीं दूसरी ओर कव्वाली। कांवड़ यात्रा ने एकता और सामाजिक समरसता का संदेश दिया।

पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए यात्रा में---
संस्था साझा संस्कृति द्वारा सोमवार को मधुमिलन चौराहा़ स्थित हनुमान मंदिर से कांवड़ यात्रा शुरू हुई। यात्रा में मधुमिलन चौराहे पर हनुमान मंदिर से हिंदू महिलाओं ने कांवड़ में जल भरा। इसके बाद हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई व पारसी समाज की युवतियां और महिलाएं कांवड़ थाम कर एक साथ चलीं। गीता भवन मंदिर पर सभी धर्मों की महिलाओं ने शिवजी का जलाभिषेक किया। यात्रा में हिंदू भाई-बहनें पारंपरिक केसरिया वस्त्र, मुस्लिम बहनें पारंपरिक वेशभूषा, बुर्का पहनकर, क्रिश्चियन-पारसी व सिख समाज भी पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए।

सर्वधर्म-समभाव हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति की पहचान---
यात्रा संयोजक सेम पावरी ने कहा कि सर्वधर्म-समभाव हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति की पहचान है। सामाजिक समरसता का संदेश देने के उद्देश्य को लेकर कांवड़ यात्रा निकाली गई। कांवड़ यात्रा में सभी धर्मों के लोग शामिल हुए। यात्रा में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, महापौर मालिनी गौड़, शंकर लालवानी, महेन्द्र हार्डिया, सुदर्शन गुप्ता, जीतू जिराती, अनवर मोहम्मद खान भी शामिल हुए।

यह यात्रा सराहनीय कदम---
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि हमारे देश की प्राचीन संस्कृति को सहेजने का अद्भुत कार्य संस्था साझा सांस्कृतिक ने किया है। सावन के पवित्र माह में देशभर में सैकड़ों कांवड़ यात्रा निकली हैं, लेकिन देश की एकता और सामाजिक समरसता को दर्शाने हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई को एकरूपता में पिरोने का संदेश देने का कार्य कांवड़ यात्रा के माध्यम से किया है, जो सराहनीय है।

यात्रा में शामिल केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर, महापौर मालिनी गौड़।





धर्म आधारित भारत की जनगणना 2015 : हिंदुओं से ज्‍यादा बढ़ रही मुस्लिमों की आबादी / Religion-based census data of India : Growing Muslim population than Hindus



देश की आबादी 121.09 करोड़ 

-शीतांशु कुमार सहाय
सरकार ने धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने 2011 तक की जनगणना के आंकड़े मंगलवार 25 अगस्त 2015 शाम को जारी किए हैं। जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत की जनसंख्‍या 121.09 करोड़ है। इसमें हिंदू 79.8 प्रतिशत हैं जबकि दूसरी बड़ी जाति‍ मुस्लिमों की है जो 14.2 प्रतिशत हैं। इनके बाद नंबर है ईसाइयों का जिनका प्रतिशत 2.3 है। देश में सिखों की आबादी 1.7 प्रतिशत है जबकि बौद्ध 0.7 प्रतिशत और जैन 0.4 प्रतिशत हैं। जारी किए गए आकड़ों के अनुसार हिंदुओं का अनुपात 0.7 प्रतिशत की दर से कम हुआ है। वहीं मुस्लिमों की आबादी 24.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 96 करोड़ 63 लाख हिंदू हैं वहीं मुस्लिमों की जनसंख्‍या 17 करोड़ 22 लाख है।
देश में हिंदुओं की आबादी 0.7 प्रतिशत घटी है और और मुस्लिमों की आबादी 0.8 प्रतिशत बढ़ी है। यह बात धर्म के आधार पर की गई जनगणना (2010-11) के नतीजों से पता चली है। मोदी सरकार की ओर से मंगलवार को ये आंकड़े जारी किए गए। इन 10 सालों में मुस्लिमों की आबादी बाकी धर्म मानने वालों के मुकाबले तेजी से बढ़ी है। साथ ही यह पहला मौका है जब देश में हिंदुओं की आबादी में गिरावट दर्ज हुई है। 2011 में देश की कुल आबादी 121 करोड़ हो चुकी है। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल 96.63 करोड़ हिंदू और 17.22 करोड़ मुस्लिम आबादी है। 2001-11 के दौरान भारत में 17.7 प्रतिशत के दर से देश की आबादी में बढ़ोतरी हुई है। 2001-11 के दौरान हिंदू (16.8), मुस्लिम (24.6), ईसाई (15.5), सिख (8.4), बौद्ध (6.1), जैन (5.4) प्रतिशत बढ़े हैं। बीते दिनों केंद्र सरकार ने जाति आधारित जनगणना के आंकड़े नहीं जारी करने का ऐलान किया तो सियासी गलियारों में खूब हलचल मची, वहीं बिहार में‍ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जनवरी में किए गए अपने वादे को निभाते हुए मोदी सरकार ने धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में मुसलमानों की तादाद सबसे तेजी से बढ़ रही है, जबकि हिंदुओं की जनसंख्या की वृद्धि‍ दर दूसरे नंबर पर है। साल 2001 से 2011 के दशक पर आधारित इस जनगणना के मुताबिक, इस दशक में देश की कुल आबादी 17.7 प्रतिशत के रफ्तार से बढ़ी है जबकि मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या इस दौरान सबसे तेजी से 24.6 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है। इसके ठीक बाद हिंदुओं की जनसंख्या की वृद्धि‍ दर है, जो 16.8 प्रतिशत है। ईसाई समुदाय की जनसंख्या भी एक निर्धारित एक दशक में 15.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।
तीसरे नंबर पर सिख समुदाय---
धर्म आध‍ारित जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, देश में हिंदू और मुसलमानों के बाद सिख समुदाय की जनसंख्या तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या है जबकि वृद्धि‍ दर के लिहाज से यह 8.4 प्रतिशत के साथ चौथे नंबर पर है। सिखों के बाद देश में सबसे तेजी से बढ़ने वाली जनसंख्या बौद्धों की है। 6.1 प्रतिशत वृद्धि‍ दर के साथ बौद्ध धर्म के लोगों की संख्या बढ़ रही है, वहीं जैन धर्म के लोगों की संख्या भी 5.4 प्रतिशत के दर से बढ़ रही है।
किसकी कितनी आबादी---
साल 2011 तक के जनसंख्या के आंकड़े के मुताबिक, देश की कुल आबादी 121.09 करोड़ है। इनमें हिंदुओं की जनसंख्या सबसे अधि‍क 96.63 करोड़ (79.8 प्रतिशत) है। मुसलमानों की आबादी 17.22 करोड़ (14.2 प्रतिशत), ईसाइयों की जनसंख्या 2.78 करोड़ (2.3 प्रतिशत) और सिख समुदाय के लोगों की संख्या 2.08 करोड़ (1.7 प्रतिशत) है। इसके अलावा बौद्ध धर्म के लोगों की कुल जनसंख्या 0.84 करोड़ है, जो देश की कुल आबादी का 0.7 प्रतिशत है। जैन धर्म के लोगों की जनसंख्या 0.45 करोड़ है और यह कुल आबादी का 0.4 प्रतिशत है। 
रिपोर्ट के मुताबिक, कुल आबादी के मुकाबले 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। सिखों की जनसंख्या में भी 0.2 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि मुसलमानों की आबादी में 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
नहीं जारी किए जातिगत जनगणना के आंकड़े---
सरकार ने सामाजिक, आर्थि‍क और जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जुटा लिए गए हैं, लेकिन उन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है। जुलाई महीने में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों से भारत की हकीकत जानने में मदद मिलेगी जबकि इससे पहले जनवरी में ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि उनकी सरकार धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर सकती है. धर्म आधारति जनगणना महा पंजीयक और जनणना आयोग ने की है. यह विभाग गृह मंत्रालय के अधीन आता है।
आंकड़े जारी करने पर सवाल---
आलोचकों ने सरकार के द्वारा जारी जनगणना के आंकड़ो की निंदा की है। उनका मानना है कि मोदी सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले धर्म आधारित आंकड़े जारी कर इलेक्शन कार्ड खेला है। बिहार की 243 सीटों में से 50 पर इसका असर पड़ सकता है।

धर्म         कुल आबादी        प्रतिशत

हिंदू           96.63 करोड़               79.8%
मुस्लिम   17.22 करोड़               14.2 % 
ईसाई         2.78 करोड़                  2.3 %
सिख          2.08 करोड़                  1.7 %
बौद्ध           0.84 करोड़                   0.7 %
जैन           0.45 करोड़                   0.4 %

शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का राष्ट्र के नाम संदेश ज्यों का त्यों / ADDRESS TO NATION BY PRESIDENT OF INDIA PRANAB MUKHARJEE ON 14 AUGUST 2015


प्रस्तुति - -शीतांशु कुमार सहाय
प्यारे देशवासियो 
हमारी स्वतंत्रता की 68वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर, मैं आपका और विश्व भर के सभी भारतवासियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। मैं अपनी सशस्त्र सेनाओं,अर्ध-सैनिक बलों तथा आंतरिक सुरक्षा बलों के सदस्यों का विशेष अभिनंदन करता हूं। मैं, अपने उन सभी खिलाड़ियों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने भारत तथा दूसरे देशों में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पुरस्कार जीते। मैं, 2014 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी को बधाई देता हूं,जिन्होंने देश का नाम रोशन किया।

मित्रो :
2. 15 अगस्त, 1947 को, हमने राजनीतिक स्वतंत्रता हासिल की। आधुनिक भारत का उदय एक ऐतिहासिक हर्षोल्लास का क्षण था;परंतु यह देश के एक छोर से दूसरे छोर तक अकल्पनीय पीड़ा के रक्त से भी रंजित था। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध महान संघर्ष के इस पूरे दौर में जो आदर्श तथा विश्वास कायम रहे वे अब दबाव में थे।

3. महानायकों की एक महान पीढ़ी ने इस विकट चुनौती का सामना किया। उस पीढ़ी की दूरदर्शिता तथा परिपक्वता ने हमारे इन आदर्शों को, रोष और भावनाओं के दबाव के अधीन विचलित होने अथवा अवनत होने से बचाया। इन असाधारण पुरुषों एवं महिलाओं ने हमारे संविधान के सिद्धांतों में, सभ्यतागत दूरदर्शिता से उत्पन्न भारत के गर्व, स्वाभिमान तथा आत्मसम्मान का समावेश किया, जिसने पुनर्जागरण की प्रेरणा दी और हमें स्वतंत्रता प्रदान की।। हमारा सौभाग्य है कि हमें ऐसा संविधान प्राप्त हुआ है जिसने महानता की ओर भारत की यात्रा का शुभारंभ किया।

4. इस दस्तावेज का सबसे मूल्यवान उपहार लोकतंत्र था, जिसने हमारे प्राचीन मूल्यों को आधुनिक संदर्भ में नया स्वरूप दिया तथा विविध स्वतंत्रताओं को संस्थागत रूप प्रदान किया। इसने स्वाधीनता को शोषितों और वंचितों के लिए एक सजीव अवसर में बदल दिया तथा उन लाखों लोगों को समानता तथा सकारात्मक पक्षपात का उपहार दिया जो सामाजिक अन्याय से पीड़ित थे। इसने एक ऐसी लैंगिक क्रांति की शुरुआत की जिसने हमारे देश को प्रगति का उदाहरण बना दिया। हमने अप्रचलित परंपराओं और कानूनों को समाप्त किया तथा शिक्षा और रोजगार के माध्यम से महिलाओं के लिए बदलाव सुनिश्चित किया। हमारी संस्थाएं इस आदर्शवाद का बुनियादी ढांचा हैं।

प्यारे देशवासियो,
5. अच्छी से अच्छी विरासत के संरक्षण के लिए लगातार देखभाल जरूरी होती है। लोकतंत्र की हमारी संस्थाएं दबाव में हैं। संसद परिचर्चा के बजाय टकराव के अखाड़े में बदल चुकी है। इस समय, संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के उस वक्तव्य का उल्लेख करना उपयुक्त होगा,जो उन्होंने नवंबर, 1949में संविधान सभा में अपने समापन व्याख्यान में दिया था :

'किसी संविधान का संचालन पूरी तरह संविधान की प्रकृति पर ही निर्भर नहीं होता। संविधान केवल राज्य के विधायिका,कार्यपालिका तथा न्यायपालिका जैसे अंगों को ही प्रदान कर सकता है। इन अंगों का संचालन जिन कारकों पर निर्भर करता है,वह है जनता तथा उसकी इच्छाओं और उसकी राजनीति को साकार रूप देने के लिए उसके द्वारा गठित किए जाने वाले राजनीतिक दल। यह कौन बता सकता है कि भारत की जनता तथा उनके दल किस तरह आचरण करेंगे''?

यदि लोकतंत्र की संस्थाएं दबाव में हैं तो समय आ गया है कि जनता तथा उसके दल गंभीर चिंतन करें। सुधारात्मक उपाय अंदर से आने चाहिए।

प्यारे देशवासियो :
6. हमारे देश की उन्नति का आकलन हमारे मूल्यों की ताकत से होगा,परंतु साथ ही यह आर्थिक प्रगति तथा देश के संसाधनों के समतापूर्ण वितरण से भी तय होगी। हमारी अर्थव्यवस्था भविष्य के लिए बहुत आशा बंधाती है।'भारत गाथा' के नए अध्याय अभी लिखे जाने हैं।'आर्थिक सुधार'पर कार्य चल रहा है। पिछले दशक के दौरान हमारी उपलब्धि सराहनीय रही है;और यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि कुछ गिरावट के बाद हमने 2014-15 में 7.3 प्रतिशत की विकास दर वापस प्राप्त कर ली है।

परंतु इससे पहले कि इस विकास का लाभ सबसे धनी लोगों के बैंक खातों में पहुंचे,उसे निर्धनतम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। हम एक समावेशी लोकतंत्र तथा एक समावेशी अर्थव्यवस्था हैं; धन-दौलत की इस व्यवस्था में सभी के लिए जगह है। परंतु सबसे पहले उनको मिलना चाहिए जो अभावों के कगार पर कष्ट उठा रहे हैं। हमारी नीतियों को निकट भविष्य में'भूख से मुक्ति'की चुनौती का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।

प्यारे देशवासियो :
7. मनुष्य और प्रकृति के बीच पारस्परिक संबंधों को सुरक्षित रखना होगा। उदारमना प्रकृति अपवित्र किए जाने पर आपदा बरपाने वाली विध्वंसक शक्ति में बदल सकती है जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि होती है। इस समय,जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं देश के बहुत से हिस्से बड़ी कठिनाई से बाढ़ की विभीषिका से उबर पा रहे हैं। हमें पीड़ितों के लिए तात्कालिक राहत के साथ ही पानी की कमी और अधिकता दोनों के प्रबंधन का दीर्घकालीन समाधान ढूंढ़ना होगा।

प्यारे देशवासियो :
8. जो देश अपने अतीत के आदर्शवाद को भुला देता है वह अपने भविष्य से कुछ महत्त्वपूर्ण खो बैठता है। विभिन्न पीढ़ियों की आकांक्षाएं आपूर्ति से कहीं अधिक बढ़ने के कारण हमारे शिक्षण संस्थानों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। परंतु नीचे से ऊपर तक गुणवत्ता का क्या हाल है? हम गुरु शिष्य परंपरा को तर्कसंगत गर्व के साथ याद करते हैं; तो फिर हमने इन संबंधों के मूल में निहित स्नेह, समर्पण तथा प्रतिबद्धता का परित्याग क्यों कर दिया? गुरु किसी कुम्हार के मुलायम तथा दक्ष हाथों के ही समान शिष्य के भविष्य का निर्माण करता है। विद्यार्थी, श्रद्धा तथा विनम्रता के साथ शिक्षक के ऋण को स्वीकार करता है। समाज, शिक्षक के गुणों तथा उसकी विद्वता को सम्मान तथा मान्यता देता है। क्या आज हमारी शिक्षा प्रणाली में ऐसा हो रहा है? विद्यार्थियों, शिक्षकों और अधिकारियों को रुककर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।

प्यारे देशवासियो :
9. हमारा लोकतंत्र रचनात्मक है क्योंकि यह बहुलवादी है,परंतु इस विविधता का पोषण सहिष्णुता और धैर्य के साथ किया जाना चाहिए। स्वार्थी तत्व सदियों पुरानी इस पंथनिरपेक्षता को नष्ट करने के प्रयास में सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचाते हैं। लगातार बेहतर होती जा रही प्रौद्योगिकी के द्वारा त्वरित संप्रेषण के इस युग में हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए कि कुछ इने-गिने लोगों की कुटिल चालें हमारी जनता की बुनियादी एकता पर कभी भी हावी न होने पाएं। सरकार और जनता,दोनों के लिए कानून का शासन परम पावन है परंतु समाज की रक्षा एक कानून से बड़ी शक्ति द्वारा भी होती है : और वह है मानवता। महात्मा गांधी ने कहा था, 'आपको मानवता पर भरोसा नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है;यदि समुद्र की कुछ बूंदें मैली हो जाएं, तो समुद्र मैला नहीं हो जाता।'

मित्रो :
10. शांति, मैत्री तथा सहयोग विभिन्न देशों और लोगों को आपस में जोड़ता है। भारतीय उपमहाद्वीप के साझा भविष्य को पहचानते हुए,हमें संयोजकता को मजबूत करना होगा,संस्थागत क्षमता बढ़ानी होगी तथा क्षेत्रीय सहयोग के विस्तार के लिए आपसी भरोसे को बढ़ाना होगा। जहां हम विश्व भर में अपने हितों को आगे बढ़ाने की दिशा में प्रगति कर रहे हैं,वहीं भारत अपने निकटस्थ पड़ोस में सद्भावना तथा समृद्धि बढ़ाने के लिए भी बढ़-चढ़कर कार्य कर रहा है। यह प्रसन्नता की बात है कि बांग्लादेश के साथ लम्बे समय से लंबित सीमा विवाद का अंतत: निपटारा कर दिया गया है।

प्यारे देशवासियो;
11. यद्यपि हम मित्रता में अपना हाथ स्वेच्छा से आगे बढ़ाते हैं परंतु हम जानबूझकर की जा रही उकसावे की हरकतों और बिगड़ते सुरक्षा परिवेश के प्रति आंखें नहीं मूंद सकते। भारत,सीमा पार से संचालित होने वाले शातिर आतंकवादी समूहों का निशाना बना हुआ है। हिंसा की भाषा तथा बुराई की राह के अलावा इन आतंकवादियों का न तो कोई धर्म है और न ही वे किसी विचारधारा को मानते हैं। हमारे पड़ोसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके भू-भाग का उपयोग भारत के प्रति शत्रुता रखने वाली ताकतें न कर पाएं। हमारी नीति आतंकवाद को बिल्कुल भी सहन न करने की बनी रहेगी। राज्य की नीति के एक उपकरण के रूप में आतंकवाद का प्रयोग करने के किसी भी प्रयास को हम खारिज करते हैं। हमारी सीमा में घुसपैठ तथा अशांति फैलाने के प्रयासों से कड़ाई से निबटा जाएगा।

12. मैं उन शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने भारत की रक्षा में अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया। मैं अपने सुरक्षा बलों के साहस और वीरता को नमन करता हूं जो हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा तथा हमारी जनता की हिफाजत के लिए निरंतर चौकसी बनाए रखते हैं। मैं, विशेषकर उन बहादुर नागरिकों की भी सराहना करता हूं जिन्होंने अपने जीवन को जोखिम की परवाह न करते हुए बहादुरी के साथ एक दुर्दांत आतंकवादी को पकड़ लिया।

प्यारे देशवासियो;
13. भारत 130 करोड़ नागरिकों, 122 भाषाओं, 1600 बोलियों तथा7 धर्मों का एक जटिल देश है। इसकी शक्ति,प्रत्यक्ष विरोधाभासों को रचनात्मक सहमतियों के साथ मिलाने की अपनी अनोखी क्षमता में निहित है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में यह एक ऐसा देश है जो'मजबूत परंतु अदृश्य धागों'से एक सूत्र में बंधा हुआ है तथा''उसके ईर्द-गिर्द एक प्राचीन गाथा की मायावी विशेषता व्याप्त है;मानो कोई सम्मोहन उसके मस्तिष्क को वशीभूत किए हुए हो। वह एक मिथक है और एक विचार है,एक सपना है और एक परिकल्पना है, परंतु साथ ही वह एकदम वास्तविक,साकार तथा सर्वव्यापी है।''

14. हमारे संविधान द्वारा प्रदत्त उर्वर भूमि पर, भारत एक जीवंत लोकतंत्र के रूप में विकसित हुआ है। इसकी जड़ें गहरी हैं परंतु पत्तियां मुरझाने लगी हैं। अब नवीकरण का समय है।

15. यदि हमने अभी कदम नहीं उठाए तो क्या सात दशक बाद हमारे उत्तराधिकारी हमें उतने ही सम्मान तथा प्रशंसा के साथ याद कर पाएंगे जैसा हम1947 में भारतवासियों के स्वप्न को साकार करने वालों को करते हैं। भले ही उत्तर सहज न हो परंतु प्रश्न तो पूछना ही होगा।

धन्यवाद, जय हिंद!