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रविवार, 20 मार्च 2016

झाँसी के वीरा गाँव में मुसलमान मनाते हैं होली, लगाते हैं देवी के जयकारे / Muslims celebrate Holi


हिंदू व मुसलमान एक-दूसरे को लगाते हैं तिलक
देश में इन दिनों ‘भारत माता की जय’ पर जिरह छिड़ी हुई है, इतना ही नहीं 'जय' के आधार पर ही देशभक्त और देशद्रोही तय किए जा रहे हैं, मगर बुंदेलखंड के झाँसी जिले में ‘वीरा’ एक ऐसा गाँव है, जहां होली के मौके पर हिंदू ही नहीं, मुसलमान भी देवी के जयकारे लगाकर गुलाल उड़ाते हैं। उत्तर प्रदेश में झाँसी के मउरानीपुर कस्बे से लगभग 12 किलोमीटर दूर है वीरा गाँव। यहां हरसिद्घि देवी का मंदिर है। यह मंदिर उज्जैन से आए परिवार ने वर्षों पहले बनवाया था, इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा भी यही परिवार अपने साथ लेकर आए थे। मान्यता है कि इस मंदिर में आकर जो भी मनौती (मुराद) मांगी जाती है, वह पूरी होती है। वीरा गाँव में होली का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, यहाँ  होलिका दहन से पहले ही होली का रंग चढ़ने लगता है, मगर होलिका दहन के एक दिन बाद यहाँ की होली सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देनेवाली होती है। जिसकी मनौती पूरी होती है, वे होली के मौके पर कई किलो व क्विंटल तक गुलाल लेकर हरसिद्धि देवी के मंदिर में पहुंचते हैं। यही गुलाल बाद में उड़ाया जाता है। होली में हिंदुओं के साथ मुसलमान भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और देवी के जयकारे भी लगाते हैं। होली के मौके पर यहां का नजारा उत्सवमय होता है; क्योंकि लगभग हर घर में मेहमानों का डेरा होता है, जो मनौती पूरी होने के बाद यहां आते हैं। बुंदेलखंड सांप्रदायिक सदभाव की मिसाल रहा है। बुंदेलखंड के अन्तर्गत ही झाँसी जिला पड़ता है। यहाँ कभी धर्म के नाम पर विभाजन रेखाएं नहीं खिंची हैं। होली के मौके पर वीरा में आयोजित समारोह इस बात का जीता जागता प्रमाण है। 

यहाँ फाग (जिसे भोग की फाग कहा जाता है) के गायन की शुरुआत मुस्लिम समाज का प्रतिनिधि ही करता रहा है, उसके गायन के बाद ही गुलाल उड़ने का क्रम शुरू होता रहा है। अब सभी समाज के लोग फाग गाकर होली मनाते हैं। इसमें मुस्लिम भी शामिल होते हैं। होली के मौके पर इस गाँव के लोग पुराने कपडे़ नहीं पहनते, बल्कि नए कपड़ों को पहनकर होली खेलते हैं, क्योंकि उनके लिए यह खुशी का पर्व है। बुंदेलखंड के लोगों के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का पर्व बताते हैं। उनका कहना है कि होली ही एक ऐसा त्योहार है, जब यहाँ के लोग सारी दूरियों और अन्य कुरीतियों से दूर रहते हुए एक दूसरे के गालों पर गुलाल और माथे पर तिलक लगाते हैं। वीरा गांव तो इसकी जीती-जागती मिसाल है। बुंदेलखंड के वीरा गांव की होली उन लोगों के लिए भी सीख देती है, जो धर्म और जय के नाम पर देश में देशभक्त और देशद्रोह की बहस को जन्म दे रहे हैं। अगर देश का हर गांव और शहर ‘वीरा’ जैसा हो जाए, तो विकास और तरक्की की नई परिभाषाएं गढ़ने से कोई रोक नहीं सकेगा। 

अन्तर्राष्ट्रीय सूफी सम्मेलन : ताहिर-उल-कादरी ने कहा, धर्म के नाम पर आतंकवाद राजद्रोह है / International Sufi Conference : Tahir-ul-Qadri said, Terrorism in the name of Religion is Treason


-शीतांशु कुमार सहाय
विश्व में इस्लाम के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा देनेवालों को अन्तर्राष्ट्रीय सूफी सम्मेलन 2016 ने आइना दिखाया है। गुरुवार 17 मार्च 2016 से रविवार 20 मार्च 2016 तक विश्व के सबसे अधिक शान्तिप्रिय देश भारत की राजधानी नयी दिल्ली में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सूफी सम्मेलन में विश्व के 20 देशों के 200 से ज्यादा धर्मगुरुओं व वक्ताओं ने धर्म के नाम पर आतंकवाद फैलानेवालों की जमकर भर्त्सना की। हमें ऐसे नेताओं के भाषण से सीख लेनी चाहिये और विश्व को आतंकवाद से निजात दिलाने के लिए ऐसी पहल की प्रशंसा करनी चाहिये। हम समस्त सुधी पाठकों से आग्रह करते हैं कि इसपर अपना मन्तव्य दें और आतंकवाद की तीव्र भर्त्सना करें। इस समाचार-विाचार को अपने मित्रों को भी पढ़ाएँ। 
इस्लाम सहित किसी भी धर्म में धार्मिक कट्टरता की बात नहीं है। इस्लाम भी शांतिप्रिय धर्म है, केवल इसकी गलत व्याख्या करनेवाले कठमुल्लाओं ने ही युवाओं को तथाकथित ‘जेहाद’ के नाम पर उकसाया है। यह निहायत ही निन्दनीय है। इस सम्मेलन में यह बात उभरकर सामने आयी कि आतंकवाद से निपटने के लिए हमें विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में आतंकवाद-विरोधी विषयों को शामिल करना चाहिये और विद्यार्थियों को यह बताना चाहिये कि किसी भी धर्म का आतंकवाद से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है।

भारत में सूफी दरगाहों का मैनेजमेंट करनेवाला शीर्ष संगठन ऑल इंडिया उलेमा एंड मशाइख बोर्ड (एआइयूएमबी) की ओर से नई दिल्ली में आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सूफी सम्मेलन (वर्ल्ड सूफी कॉन्फ्रेंस) में पाकिस्तानी राजनेता व इस्लामी विद्वान मोहम्मद ताहिर-उल-कादरी ने 20 मार्च को 2016 को परिचर्चा में हिस्सा लिया। डेढ़ साल पहले अपने व्यापक आंदोलन से नवाज शरीफ सरकार को हिला देने वाले पाकिस्तान के शक्तिशाली धर्मगुरु मोहम्मद ताहिर-उल-कादरी ने नई दिल्ली में कहा है कि आतंकवाद फैलाने के लिए धर्म का इस्तेमाल ‘राजद्रोह’ माना जाना चाहिए और भारत तथा पाकिस्तान को धार्मिक कट्टरता एवं चरमपंथ के विस्तार को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। ताहिर-उल-कादरी  ने कहा, वतन की सरजमीन को मां का दर्जा देना, वतन की सरजमीन से मोहब्बत करना, वतन की सरजमीन से प्यार करना, वतन की सरजमीन के लिए जान भी दे देना, ये हरगिज़ इस्लाम के खिलाफ नहीं है। ये इस्लामी तालीम में शामिल है, जो वतन से प्यार के खिलाफ बात करता है उसे चाहिए कि कुरान को पढ़े, इस्लामी इतिहास को पढ़े। 
कादरी ने कहा, ‘यह एक आपराधिक कृत्य है। अगर जैश-ए-मोहम्मद, अगर लश्कर-ए-तैयबा, अगर अलकायदा, आईएसआईएस या अगर कोई हिंदू संगठन आतंकवादी हरकत करने के लिए धर्म का उपयोग करता है, तो बहुत कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद है और यह वक्त का तकाजा है कि आतंकवादियों से और धर्म के नाम पर गड़बड़ी मचाने एवं हिंसा करने वालों से प्रभावी तौर पर निबटा जाए।
कादरी ने कहा, ‘जहां भी आतंकवाद है, जहां भी जड़ें हैं, जहां भी समूह हैं, हर को इसका पता है। भारत और पाकिस्तान दोनों को साझा कार्रवाई करनी चाहिए। जब तक आतंकवाद खत्म नहीं किया जाएगा, क्षेत्र विकास से वंचित रहेगा।’ पाकिस्तानी धर्मगुरू ने भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद एवं वार्ता की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि दोनों ही देशों को फैसला करना चाहिए कि क्या वे दुश्मनी को सात दशक जारी रखना चाहते हैं, या फिर शांति, आर्थिक वृद्धि और विकास की राह पसंद करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘यह जीने का तरीका नहीं है। दोनों देशों को एहसास करना चाहिए कि तकरीबन 70 साल गुजर गए। उन्हें फैसला करना चाहिए कि क्या वे शाश्वत दुश्मन की तरह जीना चाहेंगे या फिर वे दोस्ताना पड़ोसी बनेंगे। अगर वे यह बुनियादी बिंदू तय करते हैं सिर्फ तभी अच्छे रिश्तों का एक नया अध्याय शुरू हो सकता है।’ कादरी ने कहा कि युवकों को चरमपंथ में दीक्षित किए जाने से निबटना आतंकवाद और चरमपंथ खत्म करने की कुंजी है।
पाकिस्तानी धर्मगुरु से जब इस संबंध में पूछा गया कि भारत, पाकिस्तान से आनेवाले आतंकवाद का पीड़ित है तो उन्होंने इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद इंसानियत का दुश्मन है और दोनों मुल्कों को कबूल करना चाहिए कि यह उनका साझा दुश्मन है।
कादरी ने कहा, ‘मैं हमेशा पुरउम्मीद रहता हूं और भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों की बेहतरी के लिए दुआएं करता हूं। लेकिन दोनों मुल्कों को ज्यादा कुछ करने की जरूरत है। जो कुछ चल रहा है, मैं नहीं समझता कि यह गलतफहमियों और दुश्मनी दूर करने के लिए काफी है।’ 
कादरी से जब पूछा गया कि युवकों को आतंकवाद में दीक्षित होने से कैसे रोका जा सकता है तो उन्होंने कहा कि स्कूलों, कालेजों, युनिवर्सिटियों, मदरसों और धार्मिक संस्थाओं में विशिष्ट पाठ्यक्रम चलाया जाना चाहिए। पाकिस्तानी धर्मगुरु ने कहा, ‘प्राइमरी स्कूल से ही एक विशिष्ट विषय शुरू किया जाना चाहिए। इसे माध्यमिक स्कूलों, और कालेजों से ले कर युनिवर्सिटियों में लागू किया जाना चाहिए। उसी तरह इसे मदरसों, मस्जिदों, मंदिरों और सभी धार्मिक संस्थाओं में शुरू किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अमन-शांति, आतंकवाद-निरोध और चरमपंथी विचार धाराओं से मुक्ति को विषय बनाने की जरूरत है ताकि नौजवान समझ सकें कि चरमपंथी विचार-धाराएं, दूसरों के प्रति उग्र होना ऐसी चीजें हैं जो हमारे धर्म में स्वीकार्य नहीं है।’
कादरी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को धार्मिक कट्टरता की काट करने वाले पाठ्यक्रम स्कूलों, कालेजों, युनिवर्सिटियों, मदरसों और धार्मिक संस्थाओं में शुरू करना चाहिए ताकि गलत तत्व युवकों का ब्रेनवाश नहीं कर सकें और धर्म के नाम पर उन्हें हथियार उठाने तथा गलत काम करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकें। उन्होंने कहा, ‘जहां भी आस्था और धर्म के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाता है, उसे राजद्रोह की कार्रवाई मानी जानी चाहिए।’ पाकिस्तानी धर्मगुरु ने कहा कि आतंकवाद फैलाने के लिए धर्म का दुरूपयोग करने वाले आतंकवादी संगठनों से पूरी कठोरता से निबटा जाना चाहिए। उन्हें कभी बख्शा नहीं जाना चाहिए।
कनाडा के नागरिक हैं ताहिर-उल-कादरी
ताहिर-उल-कादरी का जन्म 19 फरवरी 1951 को फरीद उद्दीन कादरी के घर में झंग (पंजाब) में हुआ था। उनके पुरखे झंग के पंजाबी सियाल परिवार से रहे हैं। उन्होंने झंग के एक ईसाई स्कूल से शिक्षा की शुरुआत की थी और बाद में वे इस्लामी अध्ययन में रत रहे हैं। उन्हें पाकिस्तान में अध्ययन के दौरान बहुत अधिक श्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए सम्मान दिए गए। सूफी विचारधारा को माननेवाले कादरी ने सऊदी अरब में शिक्षा ग्रहण की और पंजाब (पाकिस्तान) की यूनिवर्सिटी में 'अंतरराष्ट्रीय संविधान कानून' विषय के प्रोफेसर रहे हैं। उन्होंने अपनी कानून और इस्लाम की तालीम यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब, लाहौर से ली। नामवर इस्लामिक विद्वान ताहिर-उल-कादरी पाकिस्तान जैसे कट्टर देश में भी प्रगतिशील मुस्लिम विद्वान के तौर पर जाने जाते हैं। वे कनाडा के नागरिक हैं और वहीं रहते हैं। पाकिस्तान में सियासत को हिला देने वाले प्रगतिशील मुस्लिम विद्वान और क्यू टीवी के प्रमुख वक्ता ताहिर-उल-कादरी को इस्लाम से खारिज कर दिया गया है।  कादरी ने पिछले दिनों मुंबई में कई जगह तकरीर की थी। उन्होंने यहूदी और नसारा (ईसाई) को अहले ईमान बताया था। अर्थात ईसाई और यहूदी भी मस्जिद में नमाज अदा कर सकते हैं। उन्होंने देवबंदी, वहाबी, सुन्नी फिरकों में विरोध को शाब्दिक करार दिया और कहा था कि एक-दूसरे के पीछे नमाज पढ़ी जा सकती है, वह खुद भी ऐसा करते हैं। 'फिरका परस्ती का खात्मा' किताब लिखने वाले इस विद्वान ने 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमले की सबसे पहले निंदा की थी। आतंकवाद के खिलाफ फतवा देने वाले एक विद्वान ये भी हैं। वे मिनहाजुल कुरआन इंटरनेशन (1981) नामक संस्था के संस्थापक हैं। ताहिर-उल-कादरी दुनिया में घूमकर इस्लाम की सूफी विचारधारा का प्रचार करते हैं। कट्‍टरपंथियों ने उन्हें देश (पाकिस्तान) और विदेश में यहूदियों का एजेंट करार दिया है और पाकिस्तान में उनके विचारों का कड़ा विरोध किया जाता है। वे अपने 2 मार्च 2010 में जारी किये गए फ़तवा (इस्लामी धार्मिक मत व आदेश) के लिए भी जाने जाते हैं जिसमें उन्होंने ठहराया कि आतंकवाद और आत्मघाती हमले दुष्ट और इस्लाम-विरुद्ध हैं और इन्हें करने वाली काफ़िर हैं। यह घोषणा तालिबान और अल-क़ायदा जैसे संगठनों की विचारधाराओं के ख़िलाफ़ समझी गई है। इसमें लिखा था कि 'आतंकवाद आतंकवाद ही है, हिंसा हिंसा ही है और इनकी न इस्लामी शिक्षा में कोई जगह है और न ही इन्हें न्यायोचित ठहराया जा सकता है।' यह 600 पन्नों का आदेश 'आतंकवाद पर फ़तवा' (Fatwa on Terrorism) कहलाया।

प्रधानमंत्री  के सामने भारत माता की जय' के नारे 


अन्तर्राष्ट्रीय सूफी सम्मेलन का उद्घाटन सत्र विज्ञान भवन में हुआ। इसके बाद इंडिया इस्लामिक सेंटर में 2 दिन और आखिरी सत्र 20 मार्च को रामलीला मैदान में हुआ। उद्घाटन के मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (17 मार्च 2016) से नई दिल्ली में शुरू हुई अंतरराष्ट्रीय सूफी सम्मेलन में स्पीच दी। जैसे ही उन्होंने अपनी बात शुरू की, दुनियाभर से अाए सूफी स्कॉलर्स के बीच 'भारत माता की जय' के नारे लगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप कई देशों से आए हैं और अलग-अलग संस्कृतियों से ताल्लुक रखते हैं लेकिन सूफीवाद के माध्यम से एक सूत्र में बंधें हैं। सूफी गुरुओं के ऊपर उन चेहरों पर मुस्कान लाने की जिम्मेदारी है जो आतंक के शिकार हैं। सूफीवाद सिखाता है कि सभी जीवों को ईश्वर ने बनाया है और हमें इन सबसे प्रेम करना चाहिए। आतंकवाद की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसने दुनिया को बांटने और तबाह करने का काम किया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के साथ टकराव नहीं है और न ही ऐसा हो सकता है। विविधता प्रकृति की मूलभूत सच्चाई है और किसी भी समाज की समृद्धि का स्रोत है। यह किसी विवाद का कारण नहीं हो सकता है। 

मंगलवार, 15 मार्च 2016

असदुद्दीन ओवैसी की शब्दबाजी व देशभक्ति : बोले, भारत माता की जय और जयहिन्द / Asaduddin Owaisi's Patriotism and Tricks of Speech : Called Bharat Mata Ki Jai & Jai Hind

शीतांशु कुमार सहाय
भारत सभी धर्मों और विभिन्न जातियों का संगम है। संसार में सर्वाधिक सनातनर्धी (हिन्दू) इसी भूमि पर बसते हैं। ये धरती को माता मानते हैं और सर्वशक्तिमान ईश्वर की प्रतिनिधि के रूप में इसे पूजते हैं। भारत देश की भूमि को भी ‘भारत माता’ के रूप में पूजने की परम्परा है और श्रद्धास्वरूप कभी-कभी बोल उठते हैं- भारत माता की जय ! प्रत्येक देशभक्त को ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष करना ही चाहिये।
आज मैं अपने देश के एक विशेष देशभक्त की चर्चा कर रहा हूँ। वह देशभक्त एक राजनीतिक दल का नेता है। दाढ़ी रखता है। अपनी ‘करनी’ और ‘कथनी’ से मीडिया में, चर्चा में, समाचारों में बना रहता है। संसद में जनता के प्रतिनिधि हैं। ऐसा नहीं है कि देश में जहाँ वे खड़े हो जायेंगे, वहाँ हजारों लोग उन्हें सुनने पहुँचेंगे। बात ऐसी भी बिल्कुल नहीं है कि वे परम्परागत राजनीतिज्ञ हैं। जो मन में आता है, बोलते रहते हैं। अपने देश के हैं, अल्पसंख्यक हैं, सरकार की आरक्षण नीति के लाभार्थी हैं। मुझे लगता है कि इसी आरक्षण नीति की तर्ज पर चलती हुई मीडिया भी एक नेतावाले राजनीतिक दल के इस नेता को समाचारों के बीच जगह देती है। इस बार भी मीडिया ने इस नेता को समाचार बनाया; क्योंकि इस देशभक्त ने कहा- कोई मेरे गले पर छुरी भी रख दे तो भी मैं भारत माता की जय नहीं बोलूँगा।
पर, इस सच्चे भारतीय मुसलमान की ईमान देखिये कि मातृभूमि से उनका लगाव, देश के प्रति उनकी मोहब्बत उनकी जुबां से निकल ही गयी। भरी सभा में उन्होंने कहा..... मैं ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलूँगा। वाह कितनी हमदर्दी है भारत माता के प्रति। नहीं बोलने के बावजूद ‘भारत माता की जय’ तो बोल ही दिया। दरअसल, यह देशप्रेमी है अपना दाढ़ीवाला भाई असदुद्दीन ओवैसी जो एआईएमआईएम का अध्यक्ष है। वास्तव में यह कुछ कठमुल्लाओं के चक्कर में पड़ गया है, अतः उनकी भी बात रखनी पड़ती है। अब भरी सभा में तो कठमुल्लाओं ने ‘भारत माता की जय’ बोलने को कहा नहीं है और मन में देशभक्ति भी उफान मार रही है। ऐसे में भाई ओवैसी ने जो बीच का रास्ता अपनाया, जो काबिल-ए-तारीफ है। मतलब यह कि कठमुल्ला भी खुश और देशभक्ति भी हो गयी। उन्होंने कहा..... मैं ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलूँगा।  
भारत माता के इस बेटे के बयान पर भारत पुत्र और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तो गरजने लगे कि भारत पसन्द नहीं तो देश छोड़ दो। भाई गिरिराज! इतना गरम होने की जरूरत नहीं है। आपको इस देशभक्त ओवैसी की बात को रूक-रूककर पढ़ना या सुनना चाहिये था। उन्होंने अपने कथन में ‘भारत माता की जय’ तो कहा ही था और ‘भारत माता की जय’ के आगे-पीछे जो शब्द उनकी जुबान से निकले, वे कठमुल्लाओं के लिए थे- आपके लिए, हमारे लिए या खुद आवैसी के लिए भी नहीं। अब समझे इस देशभक्त की शब्दबाजी! 
अब देखिये कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इनके खिलाफ मंगलवार 15 मार्च 2016 को जनहित याचिका दाखिल कर दिया गया। ऐसे में फिर उनकी देशभक्ति उजागर हुई और उन्होंने मंगलवार 15 मार्च 2016 को ही पत्रकारों के बीच कहा- जय हिन्द! अब भी कोई शक! ......शक थोड़ा-सा होगा, यह मैं मान रहा हूँ पर इस बात का सुकून तो अवश्य है कि अब ओवैसी भाई में कठमुल्लाओं से लोहा लेने की हिम्मत बढ़ी है। वे सबके सामने ‘जय हिन्द’ तो बोले........अब वे सब भी बोलेंगे जो उनका देशभक्त दिल कहता है, बार-बार कहता है और उनका दिल भी वही कहता है जो आम भारतीय का दिल कहता है।
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्‍तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी के भारत माता की जय को लेकर दिए गए बयान के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। ओवैसी के खिलाफ मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में देशद्रोह के आरोप में पीआईएल दाखिल की गई। उनके खिलाफ लखनऊ के सीजेएम कोर्ट में भी देशद्रोह की शिकायत की गई है। पीआईएल के सवाल पर ओवैसी ने कहा, 'मुझे कोर्ट में पूरा भरोसा है। कोई केस नहीं है। जय हिंद।'
इलाहाबाद हाईकोर्ट में हैदराबाद से सांसद ओवैसी के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत पीआईएल दाखिल की गई है। बता दें कि ओवैसी ने महाराष्ट्र के लातूर जिले में सभा में कहा था कि वह भारत माता की जय नहीं बोलेंगे। ओवैसी ने कहा,'चाहे मेरे गले पर चाकू लगा दो पर मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगा।' उन्होंने कहा कि संघ नेताओं के कहने पर वो भारत माता की जय के नारे नहीं लगाएंगे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के विरोध में ओवैसी ने यह बात कही। भागवत ने पिछले दिनों कहा था कि नई पीढ़ी को भारत माता की जय बोलना भी सीखाना पड़ता है।
......तो मेरे मित्रों सोच को सदैव सकारात्मक रखें....शत्रु भी प्यार करने लगेंगे।