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गुरुवार, 31 मई 2018

क्रिप्टोजैकिंग : कम्प्यूटर हैकिंग का नया हथियार / Crypto Jacking : A New Weapon of Computer Hacking


-शीतांशु कुमार सहाय
क्या आप का फोन अचानक से धीमा हो गया है? क्या इस की बैटरी अचानक गर्म हो जाती है और बहुत जल्दी डिस्चार्ज भी हो रही है? अगर आप के फोन या लैपटॉप के साथ ऐसा हो रहा है तो शायद यह क्रिप्टोजैकिंग की चपेट में है। दरअसल, क्रिप्टोजैकिंग के जरिये क्रिप्टोकरेंसी माइनर आप की जानकारी के बिना फोन या कंप्यूटर की क्षमता का उपयोग कर रहे हैं। आप के कंप्यूटर को हैक कर उस की क्षमता का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में किया जा रहा है।
अप्रैल-मई २०१८ में आदित्य बिड़ला समूह के दो हज़ार से अधिक कंप्यूटरों पर क्रिप्टोजैकिंग मालवेयर का हमला हुआ। इस से पहले ड्रूपल (Drupal) की सहायता से बनी 300 से अधिक वेबसाइटों पर क्रिप्टोजैकिंग हमले की खबरें थीं। ड्रूपल एक स्वतंत्र और खुला ऑनलाइन वेब स्रोत सामग्री प्रबंधन (सीएमएफ) ढाँचा है।
फरवरी २०१८ में टेस्ला की वेबसाइट पर भी इस तरह का हमला हुआ था। सॉफ्टेयर सुरक्षा कंपनी क्विक हील के अनुसार, वर्ष २०१७ में कंपनी ने क्रिप्टोकरेंसी माइनरों की ओर से इस तरह के १.४ करोड़ हमलों की पहचान की थी।
क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग प्रक्रिया में दो तरह के कार्य होते हैं। पहला, ब्लॉकचेन में जोडऩे के लिए नए ब्लॉक का सृजन और दूसरा, प्रत्येक लेन-देन के सफल होने के लिए किसी अन्य ब्लॉक की वैधता की जाँच करना। इसे तकनीकी भाषा में प्रूफ ऑफ वर्क (पीओडब्ल्यू) कहते हैं और इस के लिए बहुत अधिक कंप्यूटर क्षमता और बिजली का उपयोग होता है। इस के लिए कई माइनिंग फर्म उपयोगकर्ताओं के एक समूह में कार्य करती हैं, जिस से उन के कंप्यूटरों की क्षमता का सामूहिक उपयोग किया जा सके।
साइबर सुरक्षा प्रदाता कंपनी एफ सिक्योर के अनुसार, यह सब कॉइनहाइव कंपनी के सॉफ्टवेयर से शुरू हुआ। कंपनी ने सामान्य कंप्यूटरों पर माइनिंग के लिए जावा स्क्रिप्ट कोड लिखे लेकिन ये इतने सरल थे कि हैकरों ने इस का दुरुपयोग शुरू कर दिया।
क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग की प्रक्रिया काफी जटिल होती है, जिसे एक सामान्य कंप्यूटर द्वारा पूरा करने में दो-तीन दिन लग जाते हैं। इस के कारण इसे कंप्यूटरों के समूह में करना आसान रहता है। साइबर अपराधी पैसा कमाने के लिए पहले रैनसमवेयर जैसे हमले करते थे लेकिन क्रिप्टोजैकिंग इस का एक आसान माध्यम है। एक सामान्य जावा स्क्रिप्ट कोड की सहायता से विभिन्न वेबसाइटों और ऑनलाइन विज्ञापनों के माध्यम से ये कोड आप के कंप्यूटर या मोबाइल तक पहुँच जाते हैं। इस से कंप्यूटर की क्षमता काफी धीमी हो जाती है। ऐसा वेब सर्वर सेवा प्रदाता की जानकारी या इस के बिना भी किया जा सकता है।
वेब ब्राउजर "गूगल क्रोम" के कुछ एक्स्टेंशन में भी इस तरह के मालवेयर पाये गये हैं। इन हमलों से उपभोक्ता या कंपनियों की सेवाओं की गति काफी धामी हो जाती है और कंपनी के सर्वर की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। कुछ मामलों में क्रिप्टोजैकिंग हमले कंप्यूटर के एंटीवायरस को अद्यतन होने से रोक देते हैं और फिर सर्वर से जुड़कर माइनिंग प्रारंभ कर देते हैं।
पिछले वर्ष अक्टूबर-नवंबर में इस तरह के हमलों की संख्या में तेज देखी गई। इन में मोनेरो क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग से जुड़े मामले काफी अधिक रहे। क्विक हील सिक्योरिटी लैब्स के अनुसार, फरवरी 2018 के शुरुआती 10 दिनों में ही कॉइनहाइव मालवेयर हमलों के लगभग 1.9 लाख मामले सामने आए। इन की खास बात यह है कि सामान्य तौर पर इन की पहचान करना बहुत मुश्किल है। 
हमें इन हमलों को लेकर काफी सजग रहने की जरूरत है। देखना होगा कि क्या किसी विशेष वेबसाइट पर जाने के बाद कंप्यूटर की गति कम तो नहीं हो गई? या फिर कंप्यूटर के पंखे की गति बढ़ तो नहीं गयी है?' इस तरह के हमलों से बचने के लिए कंप्यूटर में एक अच्छा ऐंटीवायरस रखना आवश्यक है। एंटीवायरस को लगातार अपडेट करते रहें। इस तरह के हमलों में रोज नये मालवेयर बनाये जाते हैं, इसलिए अद्यतन एंटीवायरस की सहायता से इन से बचा जा सकता है।

क्रिप्टोजैकिंग से बचाव :
मोबाइल फोन या कंप्यूटर की गति और क्षमता पर लगातार नजर बनाए रखें।
आवश्यकता न होने पर इंटरनेट बंद कर दें।
कंप्यूटर में नया एंटीवायरस रखें और लगातार अपडेट करते रहें।
सभी ऑनलाइन खातों के लिए द्वि-स्तरीय सुरक्षा अपनायी जाय।

ज्योतिष : जन्म कुण्डली निर्माण अनिवार्य / Astrology : Birth Horoscope is Compulsory

-शीतांशु कुमार सहाय
जन्म के समय का बड़ा महत्त्व है। इस समय का जीवनपर्यन्त प्रभाव पड़ता है। बच्चे का जन्म चाहे स्वतः अर्थात् प्राकृतिक रूप से हो या शल्य क्रिया द्वारा, उस के जन्म का समय उस के भविष्य को निर्धारित करता है। वास्तव में जन्म के समय ब्रह्माण्ड में ग्रहों और नक्षत्रों की जो स्थिति होती है, उस का प्रभाव जीवनभर पड़ता रहता है। 
भारत के ऋषियों ने प्राचीन काल में ही अपनी ज्योतिषीय गणना द्वारा यह बताया था जो आज कृत्रिम उपग्रहों के युग में भी अक्षरशः सत्य है। इसी आधार पर नवजात की जन्म कुण्डली बनायी जाती है। इस से बच्चे की रुचि, रोजगार, व्यवसाय, दुर्घटना, विवाह की स्थिति, विदेश यात्रा, विघ्न-बाधा आदि की सहज जानकारी मिल जाती है। यों बेटे या बेटी के भविष्य निर्धारण में महत्त्वपूर्ण सहयोग मिलता है। समस्याओं के समय रहते समाधान निकालने का अवसर मिल जाता है। 
कुछ बड़े लोग भी कुण्डली की जानकारी से अनभिज्ञ हैं। यदि आप बड़े हो गये और आप के माता-पिता ने आप की कुण्डली नहीं बनवायी है तो आप वरदान ज्योतिष केन्द्र से अपनी कुण्डली बनवा सकते हैं। 
ज्योतिषीय गणना चँूकि सूर्य या चन्द्र की चाल पर निर्भर करता है, अतः यह पूर्णतः वैज्ञानिक है। पर, आवश्यक यह है कि आप जिस ज्योतिषाचार्य की सेवा ले रहे हैं, वह वास्तव में ज्योतिषीय ज्ञान में पारंगत हो और सटीक गणना का उसे पूर्ण ज्ञान हो। 

शनिवार, 26 मई 2018

पटना उच्च न्यायालय ने दी व्यवस्था : परिवार में कोई नौकरीवाला है तो आश्रित को अनुकम्पा पर नौकरी नहीं / Patna High Court Gave the Order : There is no Employer in the Family, Then the Dependent does not have Employment on Compassionate Grounds.

-शीतांशु कुमार सहाय 
अनुकम्पा के आधार पर नौकरी प्राप्त करना काफी कठिन है। कई अधिकारियों के मान-मनव्वल और रिश्वत के बाद ही नौकरी मिल पाती है। अब पटना उच्च न्यायालय के नये आदेश की गलत व्याख्या करके अधिकारी अनुकम्पा के लाभार्थियों की नानी याद दिला देंगे। दरअसल, पटना उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि किसी सरकारी कर्मचारी के सेवाकाल में मृत्यु के बाद उस का कोई बच्चा नौकरी में है तो कर्मचारी के अन्य आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी नहीं मिलेगी। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन, न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन व न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की तीन सदस्यीय पीठ ने यह व्यवस्था कई याचिकाओं व अपील पर सुनवाई के बाद दी। 
तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट किया कि कर्मचारी के किसी बच्चे की नौकरी ऐसी हो कि वह परिवार के अन्य सदस्यों का भरण-पोषण कर सके तो उसे अनुकम्पा का लाभ नहीं दिया जा सकता। अगर ऐसा नहीं है तो कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा पर नौकरी दी जा सकती है। न्यायालय ने यह व्यवस्था देते हुए याचिकाकर्ता निरंजन कुमार मल्लिक सहित अन्य की याचिकाओं को खारिज कर दिया। 
पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि मृत कर्मचारी का कोई आश्रित नौकरी करता है तो अधिकारी को यह देखना है कि वह परिवार के अन्य सदस्यों को खिला सकता है या नहीं। अगर नहीं खिला सकता है तो मृत कर्मचारी के अन्य आश्रित को अनुकंपा पर नौकरी देने का विचार किया जा सकता है। 
न्यायालय ने कहा कि अनुकम्पा पर नौकरी दिया जाना सामान्य तरह से नौकरी दिये जाने के समान नहीं है। इस में यह देखा जाता है कि मृत कर्मचारी के आश्रितों का भरण-पोषण कैसे होगा। परिवार में भरण-पोषण करनेवाला कोई नहीं है तो आश्रित को अनुकम्पा पर नौकरी दी जाती है। 
पटना उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि सरकार का मृत कर्मचारी के किसी आश्रित को नौकरी में होने की दशा में अन्य आश्रित को अनुकम्पा पर नौकरी नहीं देना, उस का नीतिगत फैसला है। इस में अधिकारी को यह नहीं देखना है कि नौकरी करनेवाला आश्रित दूसरे आश्रितों का भरण-पोषण करेगा कि नहीं। सरकार सकारात्मक दृष्टिकोष रखते हुए देखती है कि नौकरी करनेवाला आश्रित परिवार के अन्य सदस्यों का भरण-पोषण करेगा। 
यहाँ यह विचारयोग्य है कि सरकार पहले ही कई नौकरियों में पेंशन बंद कार चुकी है। साथ ही कई अन्य लाभों को भी बंद कर दिया गया है। अब एक अनुकम्पा का लाभ ही सरकारी नौकरी में बचा था जो पटना उच्च न्यायालय की दी गयी व्यवस्था के बाद लगभग समाप्त ही हो जायेगा।