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गुरुवार, 21 जुलाई 2022

भारत की १५वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 15th President of India Mrs. Draupadi Murmu


 -शीतांशु कुमार सहाय 

       विश्व के सब से बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत के सब से बड़े संवैधानिक पद पर निर्वाचित होनेवाली द्रौपदी मुर्मू पहली आदिवासी महिला हैं। वह १५वीं राष्ट्रपति चुनी गयी हैं। 

      अत्यन्त निर्धन और पिछड़े परिवार से आने वाली मुर्मू का जीवन संघर्षों से भरा रहा हैं। उन्होंने पाँच साल के अंदर अपने दो जवान बेटों और पति को खो दिया। ये तो मुर्मू के संघर्ष की बातें हो गईं। द्रौपदी मुर्मू ने अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया। फिर धीरे-धीरे राजनीति में आ गयीं।  द्रौपदी मुर्मू ने साल १९९७ में राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया था। 

      द्रौपदी मुर्मू  सन् २००० और २००९ इस्वी में ओडिशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर दो बार विधान सभा सदस्य चुनी गयीं। २००० से २००४ तक नवीन पटनायक के मंत्रिमंडल में स्वतंत्र प्रभार की राज्यमंत्री रहीं। उन्होंने मंत्री के रूप में लगभग दो-दो साल तक वाणिज्य और परिवहन विभाग तथा मत्स्य पालन के अलावा पशु संसाधन विभाग संभाला। उस दौरान नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) और भारतीय जनता पार्टी ओड़िशा मे गठबंधन की सरकार चला रही थी। उन्हें ओड़िशा में सर्वश्रेष्ठ विधायकों को मिलने वाला 'नीलकंठ पुरस्कार' भी मिल चुका है।

      द्रौपदी मुर्मू १८ मई २०१५ से १२ जुलाई २०२१ तक झारखण्ड की राज्यपाल थीं। 

      द्रौपदी मुर्मू का जन्म २० जून साल १९५८ ईस्वी को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गाँव में हुआ था। मुर्मू संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। उन के पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। वह किसान थे। उन के दादा और पिता दोनों ही गाँव के प्रधान रहे। 

      मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। दोनों से चार बच्चे हुए। इन में दो बेटे और दो बेटियाँ। साल १९८४ में एक बेटी की मौत हुई। इस के बाद २००९ में एक और २०१२ में दूसरे बेटे की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। २०१४ में मुर्मू के पति श्याम चरण मुर्मू की भी मौत हो गई है। बताया जाता है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था। अब उन के परिवार में सिर्फ एक पुत्री है। इस पुत्री का नाम इतिश्री मुर्मू है। वह झारखण्ड की राजधानी राँची में रहती हैं। इतिश्री के पति गणेश चंद्र हेम्ब्रम हैं। गणेश भी रायरंगपुर के रहने वाले हैं और इन की एक बेटी आद्याश्री है।

      द्रौपदी मुर्मू की आरम्भिक शिक्षा गाँव में ही हुई। साल १९६९ से १९७३ तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। इस के बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रमा देवी महिला महाविद्यालय में दाखिला ले लिया। द्रौपदी अपने गाँव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई के लिए भुवनेश्वर तक पहुँचीं।

      महाविद्यालय में अध्ययन के दौरान उन की मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। श्याम चरण भुवनेश्वर के एक महाविद्यालय से पढ़ाई कर रहे थे। दोनों की मित्रता कुछ समय बाद प्यार में बदल गयी। द्रौपदी और श्याम चरण एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे।

      वर्ष १९८० में दोनों ने विवाह करने का निर्णय लिया। परिवार की रजामंदी के लिए विवाह का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी के घर श्याम पहुँचे। श्याम चरण के कुछ रिश्तेदार द्रौपदी के गाँव में रहते थे। अपनी बात रखने के लिए श्याम चरण अपने चाचा और रिश्तेदारों को लेकर द्रौपदी के घर गये थे। पर, द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू ने विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। 

      दूसरी तरफ श्याम चरण ने तय कर लिया था कि वह द्रौपदी से ही विवाह करेंगे। द्रौपदी ने भी घर में साफ कह दिया था कि वह श्याम से ही विवाह करेंगी। श्याम चरण तीन दिन तक द्रौपदी के गाँव में ही अपने रिश्तेदार के घर रूके रहे। अन्ततः द्रौपदी के पिता ने विवाह की स्वीकृति दे दी। इस के बाद श्याम चरण और द्रौपदी के परिजन उपहार की बातचीत को लेकर बैठे। इस में तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रौपदी को एक गाय, एक बैल और १६ जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे। दोनों के परिवार इस पर सहमत हो गए। दरअसल द्रौपदी जिस संथाल समुदाय से आती हैं, उस में लड़की के घरवालों को लड़के की तरफ से उपहार दिये जाते हैं। 

      द्रौपदी मुर्मू का ससुराल पहाड़पुर गाँव में है, जहाँ उन्होंने अपने घर को ही वर्ष २०१६ में विद्यालय के रूप में बदल दिया है। इस का नाम श्याम लक्ष्मण शिपुन उच्चतर प्राथमिक विद्यालय है। हर साल द्रौपदी अपने दोनों पुत्रों और पति की पुण्यतिथि पर इस गाँव में अनिवार्य रूप से आती हैं। इन तीनों दिवंगतों की आवक्ष प्रतिमाएँ द्रौपदी मुर्मू ने अपने आवासीय परिसर में बनवायी हैं। 

     प्रत्याशा है कि द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति के रूप में भारत के प्रति अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेंगी। 

मंगलवार, 19 जुलाई 2022

आज़ादी का अमृत महोत्सव :भारत का राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' का सम्पूर्ण पाठ Azadi Ka Amrit Mahotsav :Full Text of the National Song of India 'Vande Mataram'


-शीतांशु कुमार सहाय 
     आज़ादी का अमृत महोत्सव वर्ष में पढ़िये भारत के राष्ट्रीय गीत का पूरा स्वरूप। इसे वंकिमचन्द चट्टोपाध्याय ने लिखा और संगीत से संवारा पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर ने। 

वन्दे मातरम्

सुजलां सुफलाम्

मलयजशीतलाम्

शस्यश्यामलां मातरम्।


शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्

फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्

सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्

सुखदां वरदां मातरम्॥ १॥


कोटि कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले

कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,

अबला केन मा एत बले।

बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं

रिपुदलवारिणीं मातरम्॥ २॥


तुमि विद्या, तुमि धर्म

तुमि हृदि, तुमि मर्म

त्वम् हि प्राणा: शरीरे

बाहुते तुमि मा शक्ति,

हृदये तुमि मा भक्ति,

तोमारई प्रतिमा गडी मन्दिरे-मन्दिरे॥ ३॥


त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी

कमला कमलदलविहारिणी

वाणी विद्यादायिनी,

नमामि त्वाम्

नमामि कमलाम्

अमलां अतुलाम्

सुजलां सुफलाम् मातरम्॥४॥


वन्दे मातरम्

श्यामलां सरलाम्

सुस्मितां भूषिताम्

धरणीं भरणीं मातरम्॥ ५॥