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शनिवार, 5 जनवरी 2013

झारखंड में आर्थिक स्वावलम्बन का आधार बनी माडर्न डेयरी योजना



झारखंड राज्य सरकार द्वारा संचालित डेयरी विकास योजना ने कई लोगों का जीवन कायाकल्प कर दिया है। इस योजना के कई किसान और ग्रामीण जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं और दूसरों को भी रोजगार का अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। कई लोग इसे पूर्णरुपेण रोजगार के रूप में अपना लिया है। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं उमेश कुमार, जो रोहिणी रोड तनकोलिया पो. जसीडीह, देवघर, झारखंड के रहने वाले हैं।

उमेश कुमार ने आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण सिर्फ इंटर तक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने कुछ व्यवसाय करने की सोचा। इस बीच 2009 में उनका सम्पर्क जिला डेयरी विकास देवघर के अधिकारी से हुआ। जहां इस योजना की पूरी जानकारी प्राप्त की। इसके बाद डेयरी विकास योजना के तहत संचालित माडर्न डेयरी यूनिट का लाभ लिया। इसके अंतर्गत 2009 में 100 संकर नस्ल गाय के साथ माडर्न डेयरी यूनिट जसीडीह तनकोलिया में स्थापित किया। इसके लिए सरकार 54 लाख 50 हजार का लोन 20 प्रतिशत की सबसिडी पर मिला। कुछ दिनों के अंदर उन्हें 900-1000 लीटर दूध आने लगा, जिससे 50 हजार रुपए शुध्द मुनाफा होने लगा। आज उमेश कुमार के पास 150 गाये है जिससे 12 सौ लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। माडर्न डेयरी यूनिट से सिर्फ उमेश को लाभ नहीं हो रहा है बल्कि इससे आसपास के 100 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।

इस डेयरी से आज उमेश कुमार को प्रतिमाह एक से डेढ़ लाख रुपए मुनाफा प्राप्त हो रहा है। उमेश कुमार ने बताया कि सरकारी योजना का लाभ उठाकर ही इस मुकाम तक पहुंचने में सफलता मिली है। उनकी सफलता में योजना का बहुत बड़ा योगदान है। इतनी अधिक पूंजी प्राप्त करना मुश्किल था जिसे योजना ने उपलब्ध कराया। साथ ही 20 प्रतिशत की सबसिडी भी मिला। आज वह सारे कर्ज वापस दिया है। आर्थिक रूप से भी काफी सशक्त हुए हैं। सफलतापूर्वक माडर्न डेयरी का संचालन के बाद उमेश फिर योजना के तहत पांच हजार लीटर की दक्षता वाला मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट खोलने के लिए एक करोड़ 20 लाख का ऋण लिया है। इसमें 25 प्रतिशत सबसिडी मिलेगा। इस प्लांट का उद्धाटन वसंत पंचमी को किया जाएगा।

उमेश कुमार ने बताया कि इस प्लांट से 40-45 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। काफी दुग्ध उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। इस प्लांट में दूध, दही, लस्सी, पनीर आदि का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए प्रतिदिन बाहर से तीन-चार हजार लीटर दूध की आवश्यकता होगी। जिसका सीधा लाभ आसपास के दुग्ध उत्पादकों को मिलेगा। उमेश ने बताया कि उन्हें ज्यादा पढ़ाई नहीं करने का मलाल नहीं है। डेयरी विकास योजना ने उन्हें आर्थिक रुपए सशक्त बनाया है। इससे वे खुश हैं। इसे आज उन्होंने पूरी तरह से रोजगार के रूप में अपना लिया है। आगे इसे वह अपने क्षेत्र में और विस्तार रूप देना चाहते हैं। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 2011 में और राज्य स्तर पर 2012 में सम्मानित किया जा चुका है।(ranchiexpress.com)

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