2013 श्रावणी मेले में अरघा के माध्यम से भोलेनाथ पर होगा जलार्पण
झारखंड में देवघर स्थित प्रसिद्ध बाबा वैद्यनाथधाम मंदिर में रामनवमी के दिन शुक्रवार को नई पूजा व्यवस्था का प्रयोग किया गया। रामनवमी के मौके पर श्रद्धालुओं ने बाबा भोलेनाथ पर ’अरघा व्यवस्था’ के तहत जलार्पण किया। इस व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं कोे बाबा मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश के बजाय दूर से ही ’अरघा’ के माध्यम से जलार्पण करने की अनुमति दी गयी। इस वर्ष श्रावणी मेले में अरघा व्यवस्था के माध्यम से ही श्रद्धालुओं को जलार्पण की अनुमति मिल सकेगी। इसके तहत भक्त द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को स्पर्श किये बिना दूर से ही शिवलिंग पर जलार्पण कर सकेंगे। 12 फुट लंबे इस अरघे को विशेष तौर पर दिल्ली से मंगाया गया और शुक्रवार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में मंदिर प्रबंधन की ओर से इसका सफल प्रयोग किया गया। नई व्यवस्था के प्रयोग के दौरान जिले के उपायुक्त व मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख राहुल पुरवार भी उपस्थित थे। उन्होंने इस व्यवस्था को सफल बताया। अरघा व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं को बाबा मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश नहीं कराया जाता है, बल्कि गर्भ गृह, जहां शिवलिंग है, वहां से लेकर दरवाजे तक अरघे की व्यवस्था की गयी है। उस अरघे में भक्तों ने जल व फूल डाला और वह जल व फूल अरघे के ढलान के माध्यम से गर्भगृह में स्थित ज्योतिर्लिंग पर गिरा और दूर से ही भक्त बाबा भोलेनाथ का दर्शन कर पाये। मंदिर प्रबंधन का दावा है कि इस व्यवस्था से अधिक-से-अधिक संख्या में भक्त जल अर्पित कर पाएंगे। मंदिर प्रबंधन का दावा है कि नई पद्धति में एक घंटे में 4 से 5 हजार श्रद्धालु जल अर्पित कर पाएंगे।
झारखंड में देवघर स्थित प्रसिद्ध बाबा वैद्यनाथधाम मंदिर में रामनवमी के दिन शुक्रवार को नई पूजा व्यवस्था का प्रयोग किया गया। रामनवमी के मौके पर श्रद्धालुओं ने बाबा भोलेनाथ पर ’अरघा व्यवस्था’ के तहत जलार्पण किया। इस व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं कोे बाबा मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश के बजाय दूर से ही ’अरघा’ के माध्यम से जलार्पण करने की अनुमति दी गयी। इस वर्ष श्रावणी मेले में अरघा व्यवस्था के माध्यम से ही श्रद्धालुओं को जलार्पण की अनुमति मिल सकेगी। इसके तहत भक्त द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को स्पर्श किये बिना दूर से ही शिवलिंग पर जलार्पण कर सकेंगे। 12 फुट लंबे इस अरघे को विशेष तौर पर दिल्ली से मंगाया गया और शुक्रवार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में मंदिर प्रबंधन की ओर से इसका सफल प्रयोग किया गया। नई व्यवस्था के प्रयोग के दौरान जिले के उपायुक्त व मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख राहुल पुरवार भी उपस्थित थे। उन्होंने इस व्यवस्था को सफल बताया। अरघा व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं को बाबा मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश नहीं कराया जाता है, बल्कि गर्भ गृह, जहां शिवलिंग है, वहां से लेकर दरवाजे तक अरघे की व्यवस्था की गयी है। उस अरघे में भक्तों ने जल व फूल डाला और वह जल व फूल अरघे के ढलान के माध्यम से गर्भगृह में स्थित ज्योतिर्लिंग पर गिरा और दूर से ही भक्त बाबा भोलेनाथ का दर्शन कर पाये। मंदिर प्रबंधन का दावा है कि इस व्यवस्था से अधिक-से-अधिक संख्या में भक्त जल अर्पित कर पाएंगे। मंदिर प्रबंधन का दावा है कि नई पद्धति में एक घंटे में 4 से 5 हजार श्रद्धालु जल अर्पित कर पाएंगे।
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