-शीतांशु कुमार सहाय
जिस तरह सारे स्वाद केवल स्वस्थ व्यक्तियों की जिह्वा को ही संतुष्ट करते हैं, उसी तरह जगत की सारी खुशियाँ केवल अमीरों के लिए ही हैं। अपने धन बल से ऐसे लोग समस्त आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। लिहाजा खुशियाँ उनके चरणों को चूमती हैं। महंगाई उनके लिए है जिनकी आय कम है। उनके लिए महंगाई कोई मायने नहीं रखती जिनकी आय असीमित है या यों कहें कि महंगाई के अनुसार उनकी आय भी बढ़ती जाती है। देश में जहाँ एक ओर निर्धनों की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ धनकुबेरों की तादाद में भी इजाफा देखा जा रहा है। कम संख्या में ही सही लेकिन अब महिलाएँ भी धनकुबेरों में शामिल हो रही हैं। अमेरिकी आर्थिक पत्रिका ‘फोर्ब्स’ द्वारा जारी सूची के अनुसार, भारत के 100 धनकुबेरों में 5 महिलाएँ शामिल हैं। पुरुषों व महिलाओं की साझा सूची में सावित्री 14वें नंबर पर हैं। उनके बाद 1.9 अरब डॉलर (116 अरब रुपये) संपत्ति के साथ इंदू जैन दूसरे नंबर पर रही हैं। संयुक्त सूची में वह 29वें पायदान पर हैं। थर्मेक्स की अनु आगा तीसरे बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ चौथे व शोभना भरतिया पाँचवें स्थान पर रही हैं। संयुक्त सूची में इनका स्थान क्रमशः 86वाँ, 96वाँ और 98वाँ रहा है।
रिलायंस उद्योग समूह के प्रमुख मुकेश अम्बानी लगातार छठी बार भारत के सबसे बड़े धनकुबेर बने हैं। देश की सबसे अमीर महिला बनी हैं जिन्दल उद्योग समूह की चेयरपर्सन सावित्री जिन्दल। ‘फोर्ब्स’ द्वारा मंगलवार को जारी 100 सबसे अमीर भारतीयों की सूची में शामिल हस्तियों की आय एक साल की तुलना में करीब 3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 259 अरब डॉलर यानी 15,897 अरब रुपये पर पहुँची है। भारत की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण अमीरों की संपत्ति में वृद्धि धीमी रही। ऊँची महंगाई दर व डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट के कारण भी इनकी अमीरी की रफ्तार सुस्त रही।
दरअसल, इन दिनों अमेरिका सहित कई प्रमुख देशों में आर्थिक सुस्ती जारी है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। लिहाजा मुकेश अम्बानी व आर्सेलर मित्तल के प्रमुख लक्ष्मी निवास मित्तल की निजी संपत्ति में अधिक वृद्धि नहीं हुई। मुकेश की संपत्ति 21 अरब डॉलर यानी 1,289 अरब रुपये आँकी गयी जिसमें प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लक्ष्मी 16 अरब डॉलर यानी 982 अरब रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं। यों सन फार्मा के स्वामी दिलीप संघवी 13.9 अरब डॉलर अर्थात् 853 अरब रुपये के साथ तीसरे स्थान पर हैं। ‘फोर्ब्स’ की सूची में सबसे शानदार प्रदर्शन संघवी का ही रहा है जिनकी सम्पत्ति में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उन्होंने तीसरे स्थान से विप्रो के स्वामी अजीम प्रेमजी (847 अरब रुपये) को चौथे स्थान पर धकेला। दिलीप की सम्पत्ति 4.7 अरब डॉलर बढ़ी और प्रेमजी की संपत्ति में 1.6 अरब डॉलर जुड़ा। हाल के वर्षों में निर्माण क्षेत्र की चर्चित कम्पनी समूह शपूरजी पलोनजी उद्योग समूह के पलोनजी मिस्त्री टाटा संस के बड़े शेयरधारक के रूप में उभरे हैं। इस वर्ष उनकी सम्पत्ति घटकर 12.5 अरब डॉलर यानी 767 अरब रुपये हो गयी। वह चौथे से खिसक पाँचवें स्थान पर गिरे। उनके पुत्र साइरस मिस्त्री पिछले वर्ष रतन टाटा के स्थान पर टाटा उद्योग समूह के प्रमुख बने।
अप्रवासी भारतीय कारोबारी हिन्दुजा बन्धु इस वर्ष 9 अरब डॉलर यानी 552 अरब रुपये की सम्पत्ति के साथ नौंवे से उठकर छठे स्थान पर आ गये। शिव नाडर भी ऊपर चढ़े, सातवें स्थान पर आ गये। अदि गोदरेज दो स्थान नीचे आये और 8.3 अरब डॉलर यानी 509 अरब रुपये की सम्पत्ति के साथ आठवें स्थान हैं। आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला 7.6 अरब डॉलर (466 अरब रुपये) के साथ एक स्थान ऊपर उठकर नौंवे स्थान पर हैं। सुनील मित्तल 6.6 अरब डॉलर (405 अरब रुपये) संपत्ति के साथ फिर से दसवें स्थान पर हैं। वैसे 100 में शामिल 5 महिलाओं की कुल संपत्ति 8.83 अरब डॉलर यानी 542 अरब रुपये है जो शीर्ष-100 की कुल संपत्ति का 3 प्रतिशत है। गरीबों के देश के इन धनकुबेरों ने गरीबी दूर करने में कोई रुचि नहीं ली जबकि उन गरीबों के पैसे पर ही इनकी अमीरी कायम है।
20 परिवारों के पास 33.77 खरब रुपये
देश के 20 औद्योगिक घरानों के पास करीब 3,37,600 करोड़ रुपये (33.77 खरब) की सम्पत्ति है। शीर्ष 10 में 3 औद्योगिक घराने शामिल हैं। इनमें हिंदुजा बंधु छठे, गोदरेज परिवार आठवें व मित्तल परिवार 10वें नंबर पर है। रुईया, जिंदल व बजाज परिवार भी शीर्ष 20 में जगह बनाने में सफल रहे।
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