-शीतांशु कुमार सहाय
आखिरकार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा महीनों से प्रचारित व जनता द्वारा प्रतीक्षित ‘हुंकार रैली’ का आगाज पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान में हुआ। इसका तात्कालिक अंजाम बहुत बुरा हुआ। दूरगामी अंजाम तो मिशन-2014 से जुड़ा है पर तत्काल तो आधे दर्जन लोग विस्फोट की भेंट चढ़ गये। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी की चर्चित रैली के ठीक पहले पटना जंक्शन पर व आयोजन स्थल गाँधी मैदान के निकट सिलसिलेवार 7 विस्फोट हुए जबकि एक विस्फोट बम को निष्क्रिय करते समय हुआ। इसके बावजूद नरेन्द्र के साथ भाजपा का पूरा कुनबा मंच पर उपस्थित हुआ और विस्फोट की पुनरावृत्ति के डर से कुछ भागते और कुछ मैदान में डटे बिहारियों की भीड़ को सम्बोधित किया। इस दौरान भारतीय लोकतन्त्र का अजीब नजारा दिखाई दिया। ऊपर मंच पर तन्त्र के गिने-चुने चेहरे अति सुरक्षा में अपने विरोधियों पर वाक्तीर चला रहे थे, हुंकार भर रहे थे। नीचे लोक यानी जनता अपनों को खोज रही थी, चीत्कार कर रही थी। जाहिर है कि जो असमय काल-कवलित हो गये, उनके परिजनों के बिहार सरकार के 5 लाख रुपये के मुआवजे के बावजूद गम कम नहीं होंगे।
आखिर ऐसी भीड़ को बुलाने वाले किस हैसियत से हजारों-लाखों को बुला लेते हैं? आयी भीड़ को नियन्त्रित व उनकी सुरक्षा के बाबत उनके पास कैसी तैयारी होती है? चीत्कार कर रही जनता की आवाज भाजपा के दिग्गजों को सुनाई नहीं दी या यों कहें कि सुनकर भी अनसुना कर दिया गया। अनसुना करना भी जरूरी था; क्योंकि धर्म कहता है कि चाहे जितनी उलझनें आयें, पहले लक्ष्य को बेधो, उसे पूरा करो। भाषण के दौरान रामायण व महाभारत के प्रसंगों को सुनाने वाले नरेन्द्र मोदी को अर्जुन की भाँति मछली की आँख ही नजर आ रही थी। इसलिये भाजपा के दिग्गजों ने पहले मंच से हुंकार भर ली और फिर अपने दूसरे दर्जे के नेताओं को पटना चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल व अन्य अस्पतालों में भेजा कि वे दर्जनों घायलों का हाल-चाल जानकर दलीय कर्तव्य की इतिश्री कर लें। यही होना था, यही हुआ। अब लोक लाज से भले ही पहले दर्जे के नेता भी तीर्थ की तरह अस्पताल से घूम आयेंगे! यह लोकतन्त्र का ऐसा कड़वा सच है जिस पर विचार तो अवश्य ही किया जाना चाहिये।
अब हर घटना की तरह मोदी के भाषण से पहले पटना में हुए बम धमाकों पर भी राजनीतिक रोटी सेंकी जा रही है। बम धमाकों के पीछे किसका हाथ है, इसकी जाँच जारी है लेकिन इस मसले पर सियासत शुरू हो गयी है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि ऐसी घटनाओं से उनकी पार्टी के कार्यकर्ता नहीं डरेंगे और रैली में लोगों की भीड़ कम नहीं होगी। वहीं, जदयू सांसद साबिर अली ने नीतीश सरकार और प्रशासन को क्लीन चिट देते हुए भाजपा पर ही सवाल उठा दिये हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में भाजपा के लोग जब से सत्ता से अलग हुए हैं, तभी से ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं। ये लोग (भाजपा के लोग) सत्ता के लिए लोगों का खून बहाने से नहीं हिचकेंगे। काँग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया है, दोषी का पता लगाना नीतीश कुमार के लिए चुनौती है। नीतीश को बम धमाकों के लिए जिम्मेदार लोगों को जल्द-से-जल्द पकड़ लेना चाहिये, नहीं तो बिहार में मोदी की लॉन्चिंग के लिए यह परफेक्ट सेटिंग होगी। मतलब यह कि किसी भी दल को मरने या घायल होने वालों की फिक्र नहीं है। फिक्र है अपनी राजनीति चमकाने की!
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