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रविवार, 8 दिसंबर 2013

झारखण्ड में बदहाली के आँसू बहा रहा पर्यटन उद्योग / Tourism in Jharkhand



-पर्यटन के विकास में असुरक्षा सबसे बड़ी बाधा



वैद्यनाथधाम मन्दिर, देवघर



पारसनाथ, गिरिडीह





हुण्डरू जलप्रपात, राँची




नवलखा मन्दिर, देवघर



-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay 
झारखण्ड में पर्यटन की असीम संभावनाओं के बावजूद पर्यटन उद्योग अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहा है। राज्य सरकार ने पर्यटन के विकास के कई दावे किये हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है। आलम यह है कि सरकार पुराने पर्यटन स्थलों की सुरक्षा व रख-रखाव में भी विफल साबित हो रही है।
होटल चलाने में सरकार नाकाम
राँची में पर्यटन विभाग के होटल को निजी एजेंसी को सौंपने की तैयारी चल रही है। हटिया डैम में करोड़ों रुपये खर्च कर बोट मँगाये गये थे जो आज जहाँ-तहाँ पड़े हुए हैं। टैगोर हिल की स्थिति और जर्जर हो गयी है। हुंडरू में बने गेस्ट हाउस की स्थिति भी गंभीर है। दशम फॉल में झारखण्ड राज्य बनने के बाद लगभग 25 लोग डूब गये। पर्यटन विभाग यहाँ सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं कर पाया है। जमशेदपुर में बने होटल साकची बिहार की स्थिति भी बिरसा विहार जैसी ही है। इसके संचालन के लिए भी एक निजी एजेंसी चाहिए। यह तो सीधे पर्यटन विभाग की नाकामी है। हुंडरू जलप्रपात के समीप करोड़ों खर्च कर गेस्ट हाउस बना है जिसका उपयोग नहीं हो पाता है। न यहाँ पर्यटक रात गुजारते हैं, न पर्यटन विभाग इसकी पहल करता है; क्योंकि इस इलाके में सुरक्षा व्यवस्था सबसे बड़ी बात है।
पर्यटकों की सुरक्षा भगवान भरोसे 
झारखण्ड में भी अधिकतर जल प्रपात नक्सल प्रभावित इलाकों में हैं। राज्य की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहाँ के जंगल व पहाड़ पर नक्सलियों का बसेरा है। दुर्गम इलाके में इनकी ही समानांतर सरकार चलती है। इनके अनुसार बसें चलती हैं, दुकानें खुलती हैं। इन इलाकों में पुलिस दिन में भी जाने से कतराती है। जैविक विविधाओं और जंगली जानवरों से भरे बेतला नेशनल पार्क, हजारीबाग, नेतरहाट की वादियाँ निश्चित रूप से पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती हैं। कई बार पर्यटन विभाग ने गाँव में युवकों को जागरूक करने का प्रयास किया लेकिन असफल रही; क्योंकि राज्य सरकार इन नक्सल प्रभावित इलाकों में पर्यटकों को सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने के लिए कभी चर्चा भी नहीं करती है। पर्यटन विभाग में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ। कई बार विधानसभा में भी इसकी चर्चा हुई, पर आरोपित अधिकारी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जर्जर हैं सड़कें
झारखण्ड के जिन इलाकों में पर्यटन स्थल हैं, वहाँ की सड़कों की स्थिति भी जर्जर है। इस कारण पर्यटक यहाँ आने से मुँह मोड़ रहे हैं। खराब मौसम में दूरस्थ इलाकों में आवाजाही पर्यटक की राह में रोडे़ हैं। पर्यटन स्थलों पर जाने के लिए पूरी सुविधा नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में गाइड और सुरक्षा के कोई उपाय नहीं हैं।
एयरपोर्ट की भी स्थिति अच्छी नहीं
इसके अलावा राँची एयरपोर्ट की भी स्थिति अच्छी नहीं है। यहाँ से ज्यादा जगहों के लिए हवाई सुविधा उपलब्ध नहीं है। देवघर में हवाई अड्डा बनाने का कार्य चल रहा है। हवाई अड्डा तैयार होने के बाद यहाँ निश्चित रूप से हलचल बढ़ेगी।
 झारखण्ड में पर्यटन उद्योग की बदहाली के कारण- 
1. झारखण्ड में पर्यटन सुविधाओं का अभाव।
2. पर्यटन विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोपित अधिकारी खुलेआम घूम रहे हैं।
3. करोडों रुपये खर्च कर बना टूरिस्ट बंगला पर्यटकों के इंतजार में जर्जर हो रहे हैं।
4. दूसरे राज्य पर्यटन में हर वर्ष एक कदम आगे बढ़ जाते हैं और झारखण्ड एक कदम पीछे।
5. अधिकतर पर्यटन स्थलों में नक्सलियों का बसेरा है, जिससे लोग असुरक्षित महसूस करते हैं।
6. झारखण्ड का पर्यटन स्थल सिर्फ वेबसाइट तक सीमित रह गया है।
7. देवघर में स्थित वैद्यनाथधाम जैसे धार्मिक पर्यटन स्थलों पर पण्डा की घृणित संस्कृति कायम है जहाँ कदम-कदम पर पण्डों द्वारा रुपये-पैसे की माँग की जाती है। इस कारण दुबारा पर्यटक यहाँ आना नहीं चाहते।
8. सड़क मार्ग की स्थिति काफी खराब है।
9. पर्यटन के क्षेत्र में सरकारी या निजी पूँजी निवेश का सर्वथा अभाव है।

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