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शुक्रवार, 28 मार्च 2014

विदेशी फंड का घपला : काँग्रेस व भाजपा पर दिल्ली उच्च न्यायालय सख्त / FOREIGN FUNDING : DELHI HIGH SOURT RIGOROUS ON CONGRESS & BJP


शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
लोकसभा आम चुनाव होने वाले हैं। पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व काँग्रेस के बीच ही मुख्य टक्कर है। पर, इस बीच सबसे आश्चर्य की बात है कि मात्र एक वर्ष की आम आदमी पार्टी (आप) पूरे देश में तीसरे स्थान पर मीडिया के चुनाव कवरेज में बना हुआ है। अब इससे भी आश्चर्य की बात जानिये कि भाजपा और काँग्रेस ने विदेश से करोड़ों रुपयों का राजस्व अवैध तरीके से प्राप्त किया। इसपर शुक्रवार 28 मार्च 2014 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने सख्त रूख अपनाया है। इन दोनों के विरुद्ध 6 माह में जाँच का आदेश दिया है। वैसे यह मालूम हो कि ये दोनों दल आप के विदेशी फण्डिंग पर सवाल खड़ा करते रहे हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से कहा है कि काँग्रेस और भाजपा पर विदेशी फडिंग को लेकर लग रहे आरोपों पर उचित कार्रवाई करे। जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस जयंत नाथ की बेंच ने गृह मंत्रालय के रुख को खारिज करते हुए कहा कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने फॉरन कॉन्ट्रिब्यूशन रेग्युलेशन ऐक्ट का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि राजनीतिक दलों की रसीदों की दोबारा जांच करके विदेशी फंडिंग की पहचान की जाए और छ: महीने के भीतर कार्रवाई की जाए। कोर्ट का यह आदेश असोसिएशन फॉर डेमॉक्रैटिक रीफॉर्म्स के वकील प्रशांत भूषण की उस जनहित याचिका पर दिया गया है जिसमें दावा किया गया था कि ब्रिटेन की कंपनी वेदांता और भारत में इसकी सहयोगी कंपनियां स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, सेसा गोवा और मालको भारत के राजनीतिक दलों काँग्रेस और भाजपा को कई करोड़ रुपये की फंडिंग कर रही हैं। हाई कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि कंपनीज़ ऐक्ट 1956 के हिसाब से वेदांता एक विदेशी कंपनी है। इस हिसाब से इसके और इसकी सहयोगी कंपनियों स्टरलाइट और सेसा को विदेशी सोर्स माना जाए। हाई कोर्ट ने कहा, 'पहली नजर में लगता है कि काँग्रेस और भाजपा साफ-साफ विदेशी फंडिंग पर लगाई गई रोक का उल्लंघन कर रही हैं क्योंकि स्टरलाइट और सेसा से जो धन मिला है वह कानूनन विदेशी धन है।' जनहित याचिका में वेदांता की 2012 की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2011-12 में उसने 20.1 लाख डॉलर की राजनीतिक फंडिंग दी। कानूनन कोई भारतीय पार्टी किसी विदेशी कंपनी से फंड नहीं ले सकती। उच्च न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि वेदांता कंपनी अधिनियम 1956 के तहत एक विदेशी कंपनी है और विदेशी योगदान (नियमन) अधिनियम, 1976 के तहत वेदांता और इसकी सहायक कंपनियां विदेशी स्रोत हैं। पीठ ने कहा, "प्रथम दृष्टया काँग्रेस और भाजपा ने कानून के दायरे में विदेशी स्रोत माने जाने वाले स्टरलाइट और सेसा से चंदा स्वीकार कर विदेशी योगदान (नियमन) अधिनियम का प्रत्यक्ष उल्लंघन किया है।" एनजीओ और केंद्र सरकार के पूर्व सचिव ईएएस शर्मा द्वारा दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि दोनों पार्टियों ने वेदांता सर्विसेज से चंदा लिया है। याचिका में कहा गया है कि दोनों ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और विदेशी योगदान (नियमन) अधिनियम (एफसीआरए) का उल्लंघन किया है। याचिका के मुताबिक, वेदांता के 2012 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार उसने 2011-12 में 20.1 लाख डॉलर का चंदा दिया है। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि वित्त मंत्री पी.चिदंबरम मई 2004 तक वेदांता के निदेशक थे, इसलिए सरकार ने खुद इस समूह पर कोई कार्रवाई नहीं की।

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