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शनिवार, 3 मई 2014

3 मई : विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस या विश्व प्रेस दिवस / 3 MAY : WORLD PRESS FREEDOM DAY OR WORLD PRESS DAY


-शीतांशु कुमार सहाय
आज 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है। भारत में अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा होती रहती है। पर, अफसोस की बात है कि नरेन्द्र मोदी या किसी अन्य भारतीय नेता ने मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर कुछ नहीं कहा। इसपर कहने के लिए नेतागण आदर्श आचार संहिता की दुहाई दे सकते हैं कि इसी कारण ज्यादा नहीं बोला। पर, अन्य कथित विकासवादी आश्वासनों के लिए तो आदर्श आचार संहिता आड़े नहीं आ रहा है। ऐसे में भारतीय पत्रकारों ने अपने हक को मारनेवाले अखबारों के मालिकों को दुखी दिल से ‘दुहाई’ दते हुए विश्व प्रेस स्वतन्त्रता दिवस मनाया।
3 मई को मनाए जाने वाले विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारत में भी प्रेस की स्वतंत्रता पर बातचीत होना लाजिमी है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है। विश्वस्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया जिसे विश्व प्रेस दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज भी दिया जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्थान को दिया जाता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो। वर्ष 2014 का गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार तुर्की के अहमत सिक को दिया जाएगा। 1997 से अब तक भारत के किसी भी पत्रकार को यह पुरस्कार नहीं मिलने की एक बड़ी वजह कई वरिष्ठ पत्रकार पश्चिम और भारत में पत्रकारिता के मानदंडों में अंतर को बताते हैं। भारतीय पत्रकारिता में हमेशा विचार हावी होता है जबकि पश्चिम में तथ्यात्मकता पर जोर दिया जाता है। इससे भारतीय पत्रकारिता के स्तर में कमी आती है। इसके अलावा भारतीय पत्रकारों में पुरस्कारों के प्रति जागरूकता की भी कमी है वे इसके लिए प्रयासरत नहीं रहते।
नरेंद्र मोदी की शुभकामना व अपने भाषण पर ऐतराज....
दूरदर्शन पर अपने साक्षात्कार पर उठे विवाद के बीच भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार (3 मई) को अहमदाबाद में सार्वजनिक प्रसारक में पत्रकारिता संबंधी स्वतंत्रता में ‘कमी’ आने का जिक्र किया और इसे वर्ष 1975 में आपातकाल की भयावह स्मृतियों से जोड़ा। मोदी ने अपने साक्षात्कार में काट-छांट पर उठे वाकयुद्ध में शामिल होते हुए यह बात कही। पिछले रविवार को दूरदर्शन पर प्रसारित उनके साक्षात्कार के कुछ अंशों को हटा दिया गया था और इसके देर से प्रसारित करने पर भी विवाद खड़ा हो गया। आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर पत्रकारों को शुभकामना देते हुए मोदी ने ट्विटर पर लिखा-- इस दिन मैं यह देखकर दुखी हूं कि हमारा राष्ट्रीय टीवी चैनल (दूरदर्शन) अपनी पेशेवर स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। इस अवसर पर मोदी लोगों को यह याद दिलाना नहीं भूले कि 1975 में दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाया गया था और तब मीडिया पर प्रतिबंध लगाए गए थे। मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि पत्रकार बंधुओं को विश्व प्रेस दिवस पर शुभकामनाएं। स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र का मील का पत्थर है और इसे सही अर्थों में बनाए रखा जाना चाहिए। ऐसी खबरें आने के बाद विवाद उत्पन्न हो गया था जिसके अनुसार, मोदी ने कहा था कि प्रियंका गांधी उनकी बेटी के समान है। इसे न तो प्रियंका और न ही कांग्रेस ने सराहा था। लेकिन बाद में यह बात सामने आई कि मोदी ने ऐसी बात नहीं कही थी। एक अन्य बयान पर विवाद उत्पन्न हुआ जिसमें मोदी ने सोनिया गांधी के करीबी सहयोगी अहमद पटेल से अपनी निकटता होने का जिक्र किया था। पटेल ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया था। साक्षात्कार में मोदी की इन बातों को काट दिया गया, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से यह बात सार्वजनिक हो गई।
भाजपा का निशाना....
भाजपा ने दूरदर्शन तथा सूचना व प्रसारण मंत्री पर निशाना साधते हुए उन पर बातचीत के तथ्यों को दबाने का आरोप लगाया। इस विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नेता वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रसार भारत अब ‘प्रचार भारती’ बन गया है। पिछले आठ वर्षों से उन्होंने मोदी को निषेध करके रखा। उन्होंने मांग की कि इस बारे में श्वेतपत्र जारी किया जाए कि चुनाव से 100 दिन पहले कांग्रेस नेताओं और मोदी को कितना कवरेज दिया गया। इससे प्रसार भारती के दुरूपयोग की बात सामने आ जाएगी।
प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सरकार ने कहा.....
प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सरकार ने कल प्रसार भारती की स्वयत्तता के मुद्दे पर तिवारी पर निशाना साधा था। सरकार ने कहा था कि मंत्रालय ने एक युवा मंत्री को यह समझाने का मौका गंवा दिया, जिससे मंत्रालय और समाचार प्रकोष्ठ के बीच ल3बे पारंपरिक संबंधों को तोड़ा जा सके और जो प्रसार भारती के शुरू होने से पहले से निर्बाध रूप से जारी है।
सूचना व प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा.....
इस विषय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सूचना व प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मेरा ध्यान इन खबरों पर दिलाया गया, जो प्रसार भारती के संबंध में मीडिया के एक वर्ग में आई है। मैंने पहले भी कहा है और फिर यह कहने की अनुमति चाहता हूं कि संसद के कानून के तहत प्रसार भारती की स्वायत्ता की गारंटी दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रसार भारती का संचालन बोर्ड करता है और सूचना व प्रसारण मंत्रालय इससे कुछ फासला बनाकर आगे चलता है। वास्तव में जहां तक स्वायत्ता का सवाल है, जब मैंने अक्टूबर 2012 में मंत्रालय का कार्यभार संभाला तब मेरे और तत्कालीन सचिव उदय कुमार वर्मा की पहल से सैम पित्रोदा समिति का गठन किया गया था। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि इस मुद्दे पर राई का पहाड़ बनाने की कोशिश की जा रही है, जबकि कुछ विश्लेषकों का आरोप है कि जब भी मौका मिलता है तब कांग्रेस और भाजपा दूरदर्शन का दुरूपयोग करते हैं। कांग्रेस के अल्वी ने कहा कि यह बडा मुद्दा नहीं है। साक्षात्कार का प्रसारण, समय व मुद्दे मीडिया की स्वतंत्रता से जुड़ा विषय है।

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