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मंगलवार, 10 जून 2014

माँ अम्बिका की आरती


-शीतांशु कुमार सहाय

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।
करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

हे अम्बे भवानी आमी वाली, पिण्ड रूप में रहने वाली।
जगत् पिण्ड को तूने बनाया, कण-कण में अपना रूप बसाया।

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

राक्षसगण का वध करती हो, सज्जन सबको बचाये रखती हो।
नाम जपूँ तेरा भक्त मैं बनकर, आशिष दे सन्तान समझकर।

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

थाल के बीच में दीप जलाया, उड़हुल फूल से इसको सजाया।
हृदय-कमल है आपको अर्पण, जीवन अपना करूँ मैं समर्पण।

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

तुझसे कुछ नहीं माँगू माता, आदिशक्ति से क्या छिप पाता।
तेरी गोद में हूँ पलता-बढ़ता, चाहिये क्या तू जाने है माता।

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

शेर की सवारी तुम करती हो, काल को वश में किये रहती हो।
देव-दानव सब भजन करते हैं, सुनकर माता खुश रहती हो।

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

भक्ति का भिक्षा दे दे दुर्गे, तेरी शरण में हँू माता अम्बे।
सहस्रार पर राज करा दे, चरणरज अपना तू दे दे।

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

सारण क्षेत्र में गंगा तट पर, सुरथ-समाधि को मुक्ति देकर,
तुमने अपना रूप बसाया, तब आमी तीरथ कहलाया।

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

तू ही सती और सीता तू है, तू ही काली-भवानी तू है।
सब भक्तों पर कृपा तेरी, दुर्गतिनाशिनी माता मेरी।

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

भक्त शीतांशु गुण तेरा गाये, सिंहवाहिनी तुझको हर्षाये।
जगत् के कष्ट से करता क्रन्दन, जन्म-मरण का तोड़ दे बन्धन।

करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।
करते हैं आरती अम्बिका की, अम्बिका की जगदम्बिका की।

अम्बे भवानी आमी वाली की जय! अम्बे भवानी आमी वाली की जय!

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