राँची का टैगोर हिल
-शीतांशु कुमार सहाय
झारखण्ड की राजधानी राँची की एक सड़क का नाम ‘रेडियम रोड’ यूँ ही नहीं है। इसके नामकरण के पीछे की एक बड़ी वजह है कि राँची की चट्टानें और मिट्टी रेडियोएक्टिव हैं। क्योटो विश्वविद्यालय के रिसर्च रिएक्टर इंस्टीट्यूट की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार राँची में पोटैशियम और थोरियम का कॉन्सन्ट्रेशन बहुत अधिक है। राँची की मिट्टी में रेडियम भी मौजूद है। भूगर्भशास्त्री डॉ. नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि राँची में यूरेनियम पाये जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता; क्योंकि एक रिपोर्ट में राँची में यूरेनियम की मौजूदगी की संभावना जतायी गयी है। इस प्रकार राँची में रहना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अत्यन्त हानिकारक है।
फेफड़े का कैंसर होने की संभावना--
डॉ. नीतीश प्रियदर्शी के अनुसार, क्योटो विश्वविद्यालय के शोध में राँची को रेडियोएक्टिविटी के लिहाज से डेंजर जोन में रखा गया है। राँची में ग्रेनाइट की चट्टानें हैं, वहाँ रेडियोएक्टिविटी का स्तर ज्यादा है। रेडियोएक्टिविटी का स्तर अधिक रहने से फेफड़े का कैंसर और कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने की संभावना रहती है। उन्होंने राँची के कुछ चुनिन्दा स्थानों में रेडियोएक्टिव विकिरण की जाँच की थी। कहीं इसका स्तर अधिक और कहीं निर्धारित सीमा से नीचे था।
यों किया जा सकता है हानि को कम--
डॉ. नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि रेडियोएक्टिविटी के एक्सपोजर को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है। पर, घरों में ग्रेनाइट की टाइल्स न लगायी जाये और वेंटीलेशन की सही व्यवस्था हो तो इसका असर बहुत हद तक कम किया जा सकता है। ग्रेनाइट की टाइल्स वाले घरों में रहनेवाले अपेक्षाकृत ज्यादा बीमार रहते हैं। उनमें साँस की अन्य बीमारियाँ भी हो सकती हैं या एलर्जी वाले रोग हो सकते हैं।
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