भारतीय वैज्ञानिकों ने हिमालय के ऊपरी इलाके में एक अनोखे पौधे की खोज की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह पौधा एक ऐसी औषधि के रूप में काम करता है जो हमारे इम्युन सिस्टम को रेग्युलेट करता है, हमारे शरीर को पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढलने में मदद करता है और हमें रेडियोऐक्टिविटी से भी बचाता है। यह खोज सोचने पर मजबूर करती है कि क्या रामायण की कहानी में लक्ष्मण की जान बचाने वाली जिस संजीवनी बूटी का जिक्र किया गया है, वह हमें मिल गई है? रोडिओला नाम की यह बूटी ठंडे और ऊंचे वातावरण में मिलती है। लद्दाख में स्थानीय लोग इसे सोलो के नाम से जानते हैं। अब तक रोडिओला के उपयोगों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। स्थानीय लोग इसके पत्तों का उपयोग सब्जी के रूप में करते आए हैं। लेह स्थित डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ हाई ऐल्टिट्यूड (डीआईएचएआर) इस पौधे के चिकित्सकीय उपयोगों की खोज कर रहा है। यह सियाचिन जैसी कठिन परिस्थितियों में तैनात सैनिकों के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। डीआईएचएआर के निदेशक आर. बी. श्रीवास्तव के अनुसार, रोडिओला में इम्युमॉड्युलैटरी (प्रतिरोध क्षमता बढ़ाना), ऐडप्टोजैनिक (कठिन वातावरण परिस्थितियों में शरीर को ढालना) और रेडियो-प्रोटेक्टिंग क्षमताएं है। इसकी वजह इसमें मौजूद सेकंडरी मेटाबोटिटेस और फोटोऐक्टिव कंपाउंड्स हैं।
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शनिवार, 30 अगस्त 2014
वैज्ञानिकों ने हिमालय में ढूंढी कमाल की बूटी रोडिओला / Scientists Discovered in the Himalayas the herb Rodiola
भारतीय वैज्ञानिकों ने हिमालय के ऊपरी इलाके में एक अनोखे पौधे की खोज की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह पौधा एक ऐसी औषधि के रूप में काम करता है जो हमारे इम्युन सिस्टम को रेग्युलेट करता है, हमारे शरीर को पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढलने में मदद करता है और हमें रेडियोऐक्टिविटी से भी बचाता है। यह खोज सोचने पर मजबूर करती है कि क्या रामायण की कहानी में लक्ष्मण की जान बचाने वाली जिस संजीवनी बूटी का जिक्र किया गया है, वह हमें मिल गई है? रोडिओला नाम की यह बूटी ठंडे और ऊंचे वातावरण में मिलती है। लद्दाख में स्थानीय लोग इसे सोलो के नाम से जानते हैं। अब तक रोडिओला के उपयोगों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। स्थानीय लोग इसके पत्तों का उपयोग सब्जी के रूप में करते आए हैं। लेह स्थित डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ हाई ऐल्टिट्यूड (डीआईएचएआर) इस पौधे के चिकित्सकीय उपयोगों की खोज कर रहा है। यह सियाचिन जैसी कठिन परिस्थितियों में तैनात सैनिकों के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। डीआईएचएआर के निदेशक आर. बी. श्रीवास्तव के अनुसार, रोडिओला में इम्युमॉड्युलैटरी (प्रतिरोध क्षमता बढ़ाना), ऐडप्टोजैनिक (कठिन वातावरण परिस्थितियों में शरीर को ढालना) और रेडियो-प्रोटेक्टिंग क्षमताएं है। इसकी वजह इसमें मौजूद सेकंडरी मेटाबोटिटेस और फोटोऐक्टिव कंपाउंड्स हैं।
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