-शीतांशु कुमार सहाय
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार 18 अप्रैल 2015 को पटना में पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। समारोह में राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि पटना उच्च न्यायालय के 100 वर्ष पूरा होना ऐतिहासिक क्षण है। मूलभूत अधिकारों के संरक्षण में न्यायपालिका की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। आजादी के बाद पटना उच्च न्यायालय ने कई ऐतिहासिक फैसले दिये हैं। न्यायपालिका ने हमेशा संविधान की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में न्यायालय का सूचना तकनीक से लैस होना जरूरी है। राष्ट्रपति ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के 100 साल में प्रवेश करना ऐतिहासिक क्षण है। बिहार ने देश को कई न्यायाधीश दिये। यहीं से देश को पहला राष्ट्रपति मिला। इस समारोह का विधिवत् उद्घाटन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दीप प्रज्वलित कर किया। दीप प्रज्जवल के समय राष्ट्रपति के साथ बिहार के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी, भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू भी साथ रहे। शताब्दी समारोह पूरे साल भर तक चलेगा। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एचएलदत्तू ने समारोह की अध्यक्षता की।
-लंबित मामले और न्यायाधीशों के रिक्त पद
श्री मुखर्जी ने अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 43 है जबकि वर्तमान में सिर्फ 31 न्यायाधीश काम कर रहे हैं और 12 सीटें रिक्त हैं। श्री मुखर्जी ने कहा कि कोर्ट में जजों की कमी है। न्यायाधीशों की कमी के कारण लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। लंबित मामलों की संख्या लाखों में पहुँच गई है। उन्होंने कहा कि इन खाली सीटों को भरने की आवश्यकता है; ताकि आम आदमी को त्वरित और समय पर न्याय मिले।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि त्वरित एवं गुणवतापूर्ण न्याय लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुत जरूरी है। आम आदमी को कम खर्च पर न्याय मिलना चाहिये। उन्होंने अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मुकदमों का शीघ्र निष्पादन किये जाने की आवश्यकता बतायी और कहा कि मामलों के शीघ्र निष्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिये न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ अदालतों एवं अन्य आधारभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना जरूरी है। राष्ट्रपति ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय से लेकर निचली अदालत तक बड़ी संख्या में मुकदमें लंबित हैं, इसके लिये उच्चतम न्यायालय से लेकर निचले अदालतों तक में लंबित मुकदमों के निष्पादन के लिए गंभीर प्रयास किये जाने चाहिये। कई राज्यों के उच्च न्यायालय और निचली अदालतों में भी न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं, जो लंबित मुकदमों के निपटारे में विलम्ब का बड़ा कारण है। उन्होंने न्यायालयों में रिक्तयों को भरने के लिये तेजी से कार्रवाई करने पर बल दिया और कहा कि बहाली में गुणवता से कोई भी समझौता नहीं किया जाना चाहिये।
-न्यायालय में सूचना तकनीक
राष्ट्रपति ने कहा कि आज न्यायालय को भी सूचना तकनीक से लैस करने की जरूरत है। सूचना तकनीक से जुड़ने के बाद जरूरतमंदों को समय पर न्याय मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि सूचना तकनीकी एवं कम्प्यूटर का इस्तेमाल मुकदमों के रिकॉर्ड के संधारण और त्वरित निष्पादन में मददगार हो सकता है।
-न्यायपालिका एवं कार्यपालिका
राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने कहा कि संविधान में न्यायपालिका एवं कार्यपालिका की जिम्मेदारियों का स्पष्ट उल्लेख है। न्यायालय के कई ऐतिहासिक फैसलों ने कार्यपालिका को अपनी जिम्मेदारी निभाने का रास्ता भी दिखाया है।
-डाक टिकट, स्मारिका व शताब्दी भवन
पटना हाईकोर्ट के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस अवसर पर राष्ट्रपति ने शताब्दी समारोह के दौरान पटना हाईकोर्ट के शताब्दी भवन का शिलान्यास भी किया गया। शताब्दी समारोह पर डाक टिकट भी जारी किया गया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर पटना हाईकोर्ट के शताब्दी समारोह स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
-पटना उच्च न्यायालय का स्वर्णिम इतिहास
राष्ट्रपति ने पटना उच्च न्यायालय के स्वर्णिम इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि ये गर्व की बात है कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और सच्चिदानंद जैसे लोग यहाँ वकालत करते थे, जिनका योगदान संविधान के निर्माण में भी रहा था। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति बने। पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बीपी सिन्हा, न्यायाधीश आरएन लोढ़ा एवं न्यायाधीश ललित मोहन शर्मा बाद में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।
-मुख्य न्यायाधीश नरसिम्हा को गर्व
इस मौके पर पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। अपने संबोधन में न्यायाधीश रेड्डी ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के 100 साल पूरे होने पर गर्व की अनुभूति हो रही है। यह क्षण सभी के लिए ऐतिहासिक है। बिहार महापुरूषों की धरती है। पटना उच्च न्यायालय ने कई देश को कई महान न्यायाधीश दिये हैं।
-केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा
केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा- मैं पटना की धरती पर राष्ट्रपति महोदय का स्वागत करता हूँ। उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय का इतिहास गौरवशाली रहा है। पटना उच्च न्यायालय ने देश को कई न्यायाधीश दिये हैं। अपने 100 साल के सफर में इसने कई मानदण्ड स्थापित किये हैं। श्री प्रसाद ने कहा कि राजेन्द्र प्रसाद ने भी पटना उच्च न्यायालय में वकालत की थी। कई नेताओं ने भी यहाँ वकालत किया है।
- केंद्रीय कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा
इस अवसर पर केंद्रीय कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि मैं अपने आप को गौरवशाली महसूस कर रहा हूँ कि मुझे पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी समारोह में भाग लेने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य उच्च न्यायालय के ऊपर पड़नेवाले दबाव को कम करना है। लंबित मामलों को घटना हमारा प्रयास है। श्री गौड़ा ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था को मजबूत बनाया जायेगा; ताकि लोगों को किसी प्रकार की कोई परेशान न हो। केन्द्रीय कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने के साथ-साथ आधारभूत सुविधाएँ मुहैया कराने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लंबित मामलों को देखते हुए महसूस किया जा रहा है कि अन्य माध्यम से भी विवादों को निपटाये जाने के लिए रास्ते तलाश किये जायें।
-बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा
पटना उच्च न्यायालय को इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए जिन चीजों की जरूरत होगी, राज्य सरकार उसे उपलब्ध करायेगा। पटना उच्च न्यायालय को राज्य सरकार की ओर से पूरा सहयोग मिलेगा। साथ ही पटना उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या भी बढ़नी चाहिये। उक्त बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी समारोह के अवसर पर अपने संबोधन में कही। इस अवसर पर मुख्यमंत्री राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को शताब्दी समारोह में अपना किमती समय देने के लिए धन्यावद दिया। श्री कुमार ने कहा कि बिहार के लिए आज गौरव का दिन है और राष्ट्रपति का इस अवसर पर इसमें शामिल होना बिहारवासियों के लिए खुशी का क्षण है। पटना हाईकोर्ट के 100वें साल में प्रवेश करने पर उन्होंने बिहार की जनता को शुभकामनाएँ भी दी। इस अवसर पर उन्होंने पटना हाईकोर्ट के इतिहास पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 1913 में हाईकोर्ट के भवन निर्माण आरंभ किया गया था। 1916 में तीन साल बाद भवन के बनने के बाद इसमें कार्य प्रारंभ हुआ। मुख्य न्यायाधीश समेत 7 न्यायाधीशों से पटना हाईकोर्ट में काम की शुरूआत हुई थी। इस अवसर पर श्री कुमार ने कहा कि न्याय के साथ विकास में न्यायापालिका का महत्त्वपूर्ण स्थान है। कानून राज्य में न्यायापालिका की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री श्री कुमार ने पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा- राज्य में न्याय के साथ विकास, सबको न्याय दिलाने एवं राज्य में कानून का राज स्थापित करने में न्यायपालिका की बड़ी भूमिका है। जब मैंने राज्य का कार्यभार संभाला तो मेरी पहली प्राथमिकता सुशासन और न्याय के साथ विकास की थी। स्पीडी ट्रायल की व्यवस्था कर अपराधियों को सजा दिलाने का सर्वाधिक दर बिहार में रहा है।
-पटना उच्च न्यायालय का इतिहास
1916 में पटना उच्च न्यायालय ने अपना काम प्रारंभ किया था। 1913 से इसके भवन के निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ था। 3 वर्षों के अन्दर निर्माण कार्य पूरा हुआ और 7 न्यायाधीशों के साथ पटना उच्च न्यायालय ने अपना काम शुरू किया। बाद में 1948 में उड़ीसा उच्च न्यायालय, फिर 2000 में झारखण्ड उच्च न्यायालय की स्थापना हुई।
-महत्त्वपूर्ण सहभागिता
इस अवसर पर पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय विधि मंत्री सदांनद गौड़ा, केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद हैं। वहीं समारोह में सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान और पूर्व मुख्य न्यायाधीश, पटना हाईकोर्ट के वर्तमान और पूर्व न्यायाधीश सहित कई मंत्री भी उपस्थित रहे। साथ ही बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, बिहार के विधि मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव सहित राज्य मंत्रिमण्डल के मंत्रीगण, न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिकारी एवं गणमान्य व्यक्ति बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
-राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की विदाई
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपने दो दिवसीय बिहार दौरे के बाद शनिवार 18 अप्रैल 2015 को विशेष विमान से पटना से नयी दिल्ली वापस लौट गये। राष्ट्रपति को पटना हवाई अड्डा के स्टेट हैंगर में आयोजित एक समारोह में विदाई दी गयी। इस अवसर पर सशस्त्र पुलिस बल ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया तथा उन्होंने संयुक्त टुकड़ी से सलामी ली। हवाई अड्डा पर राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष अमरेन्द्र प्रताप सिंह, विधान परिषद मंे प्रतिपक्ष नेता सुशील कुमार मोदी, विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता नन्द किशोर यादव, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी सहित बिहार सरकार के कई मंत्री सहित अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद रहे। हवाई पट्टी पर भी, मुख्यमंत्री एवं वरीय अधिकारियों ने महामहिम राष्ट्रपति को फूलों का गुलदस्ता भेंट किया और उनके सुखद यात्रा एवं सफल जीवन की कामना की। राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री को इस अवसर पर दो पुस्तकं भी भेंट कीं। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति जी को पुनः बिहार आने के लिए कहा।
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