-शीतांशु कुमार सहाय
बुधवार 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में डिजिटल इंडिया वीक लांच कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘डिजिटल इंडिया’ का शुभारंभ किया। उन्होंने ये भी कहा कि जल्द ही सरकार मोबाइल पर आने वाली है। और ई- गवर्नेंस वाली सरकार एम-गवर्नेंस में बदलने वाली है। पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत टेलिकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद के धन्यवाद के साथ की। उन्होंने कहा कि करोड़ों देशवासियों का सपना साकार होगा। लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज अब तक हुई घोषणा के अनुसार करीब 18 लाख लोगों को तो रोजगार मिलेगा। पीएम मोदी ने कहा कि बच्चा भी मोबाइल की ओर आकर्षित हो रहा है। अब वह बड़ों की जेब से मोबाइल खींचता है। बच्चा भी डिजिटल ताकत को समझता है। उन्होंने कहा कि समय की मांग है, हम इस बदलाव की जरूरत को समझें और आगे बढ़ें। पहले लोग नदियों के किनारे पर बसते थे, फिर हाइवे जहां बने वहां शहर बसा, लेकिन अब मानव जाति वहां बसेगी जहां से ऑप्टिकल फाइबर गुजरेगा। मुकेश अंबानी ने 250 हजार करोड़ के निवेश का एलान किया। कार्यक्रम में दस हजार लोग मौजूद थे। कार्यक्रम में 400 से भी ज्यादा टॉप इंडस्ट्रियलिस्ट्स बुलाए गए। मोदी सरकार इस स्कीम के जरिए सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोडऩा चाहती है। इसके अलावा, ई-गर्वनेंस को बढ़ावा देना और पूरे भारत को इंटरनेट से कनेक्ट करना इस मुहिम का मुख्य लक्ष्य है।
पीएम ने आगे कहा, 'हमें जो भी विरासत है उसके साथ आधुनिक टेक्नोलॉजी को जोड़ना होगा। देश में 25-30 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं, यह काफी बड़ी संख्या है। लेकिन इससे वंचित लोग भी दुनिया में सबसे ज्यादा है। अब डिजिटल इंडिया को वहां ले जाना है जहां के लोगों तक इसकी पहुंच नहीं है। जो वंचित रहेंगे वो पिछड़े रह जाएंगे।'
मोदी ने कहा, 'डिजिटल डिवाइड की वजह से भविष्य में समाज में खाई बन जाएगी। इसलिए गरीब से गरीब तक इसकी पहुंच होनी चाहिए। यह सुविधा गांव के गरीब तक पहुंचनी चाहिए। तभी वह विकास का लाभ ले पाएगा। इसलिए सरकार दूर सुदूर गांव में इस सुविधा को उपलब्ध कराने की कोशिश कर रही है। ताकि वह अपनी जरूरत के हिसाब से इसका प्रयोग कर सके।'
पीएम ने डिजिटल ताकत का महत्व बताते हुए कहा, 'आज बच्चा भी गूगल गुरु की सहायता लेना जानता है। मिनिमन गवर्नमेंट-मैक्सीमम गवर्नेंस में तकनीक का बहुत बड़ा योगदान है। ई-गवर्नेंस जल्दी ही एम-गवर्नेंस में बदलने वाला है। मोदी नहीं मोबाइल गवर्नेंस में बदल जाएगा। इसके लिए हमें खुद को तैयार करना होगा।'
उन्होंने आगे कहा, 'ई-गवर्नेंस, ईजी और इकोनॉमिकल गवर्नेंस है। भविष्य के लिए जरूरी है। इससे लोगों को तमाम सुविधाओं का लाभ मिलेगा। आने वाले समय में बच्चों की किताब का बोझ में भी यही खत्म कर देगा। आगे जल्द ही बैंक भी पेपरलेस हो जाएगी। बैंकिंग कारोबार प्रेमाइसेस लेस हो जाएगा। सब कारोबार तकनीक पर हो जाएगा। 19वीं शताब्दी से इसकी आहट हो गई। औद्योगिक क्रांति का लाभ नहीं ले पाए क्योंकि हम गुलाम थे। जब आईटी रिवोल्यूशन आया तब हमें इसका फायदा उठाना है।'
मोदी ने कहा, 'पेट्रोलियम इम्पोर्ट हमारी मजबूरी है। यह समझ से परे है कि दूसरा सबसे बड़ा आयात इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का है। जब इतनी तरक्की है तो क्या यहां इलेक्ट्रॉनिक गुड्स नहीं बनना चाहिए। डिजिटल इंडिया के माध्यम से हम इस ओर बढ़ना चाहते हैं।'
पीएम मोदी ने कहा, 'हम नौजवानों को हर मदद देने को तैयार हैं। आने वाले दिनों में हम स्टार्टअप के क्षेत्र में जल्द ही दूसरे नंबर पर होंगे। गूगल क्यों भारत में नहीं बना। हम देश के नौजवानों से आह्वान है कि वे भारत में ऐसी योजना बनाएं। मेक इन इंडिया के साथ डिजाइन इन इंडिया भी जरूरी है।'
पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया में रक्तविहीन युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में मानव जाति को सुख चैन की जिंदगी देने के लिए भारत आगे आ सकता है। रक्तविहीन युद्ध यानी साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में भारत के नौजवान कोई तकनीक दे सकते हैं। क्या यहां का जवान दुनिया को विश्वास दिला सकता है। इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करना होगा। ऐसे में मानव जाति के सुख के लिए साइबर सिक्योरिटी जरूरी है। आज हजारों मील दूर बैठा बच्चा भी कंप्यूटर की मदद से मुसीबत बन सकता है। जरूरी है कि ऐसी व्यवस्थाओं को बनाया जाए कि दुनिया सुरक्षित महसूस करे। इसमें भी हमें आत्मनिर्भर बनना होगा। भविष्य में तमाम डिजिटल लॉकर मिलेंगे। हाई स्पीड डिजिटल हाईवे की अब जरूरत है। मैं ऐसा सपना देखता हूं कि भ्रष्टाचार पर रोक के लिए डिजिटल माध्यम जरूरी है। ऐसा कोयला खदानों की नीलामी में किया गया।
-ब्रॉडबैंड हाईवे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया सप्ताह का उद्घाटन किया जिसमें ब्रॉडबैंड हाईवे बनाने की बात कही। सड़क का हाईवे तो सुना था, लेकिन यह ब्रॉडबैंड हाईवे क्या है। हम आपको बताने जा रहे हैं इस खबर में। असल में ब्रॉडबैंड हाईवे एक काल्पनिक डिजिटल सड़क है, जिस पर हर प्रकार की सुविधाएं ई-गवरनेंस के माध्यम से मिलेंगी। नागरिक सेवायें इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध करायी जायेंगी और नागरिकों तथा प्राधिकारियों की एक दूसरे के साथ बातचीत कराने के लिये माध्यम बनाये जायेंगे। डिजिटल इंडिया में ब्रॉडबैंड हाईवे को डिजिटल इंडिया का एक मुख्य स्तम्भ के रूप में माना जा रहा है। देश के नागरिकों को सेवाओं की आपूर्ति में सहायता करने के लिए प्रौद्योगिकी को उपलब्ध कराने और समर्थ बनाने के लिए जुड़ाव एक मानदंड है यह। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने ई-शासन में ई-क्रांति ढांचा, भारत सरकार के लिए ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर अपनाने पर नीति, ई-शासन प्रणालियों में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर अपनाने के लिए ढांचा, भारत सरकार के लिए ओपन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेसेज (एपीआई) के लिए नीति, भारत सरकार की ई-मेल नीति, भारत सरकार की सूचना प्रौद्योगिकी संसाधनों के उपयोग पर नीति, सरकारी एप्लीकेशन के साधन कोड को खोलने के लिए सहयोगपूर्ण एप्लीकेशन विकास पर नीति, कलाउड रेडी एप्लीकेशन के लिए एप्लीकेशन विकास एवं रि-इंजीनियरिंग दिशानिर्देश जैसी नीति पहल शुरू की हैं। देश को कैसे जोड़ेगा ब्रॉडबैंड हाईवे विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य राज्यों के छोटे और मुफस्सिल शहरों में बीपीओ केन्द्र खोलने के लिए बीपीओ स्थापित किये जायेंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निधि (ईडीएफ) नीति का उद्देश्य नवाचार, अनुसंधान और विकास, उत्पाद और विकास को प्रोत्साहन देने उपक्रम निधियों के आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी प्रणाली का सृजन करने के लिए देश में आईपी का संसाधन पूल स्थापित किया जायेगा। फलेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स के उभरते हुये क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए फलेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए राष्ट्रीय केन्द्र बनाया जायेगा। इसके अंतर्गत् इंटरनेट ऑन थिंक्स (आईओटी) के लिए उत्कृष्टता केन्द्र इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, ईआरएनईटी और नेस्सोकेम की संयुक्त पहल है। 2019 तक डिजिटल इंडिया के अनुमानित प्रभाव से सभी पंचायतों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ा जायेगा। कन्या कुमारी से लेकर श्रीनगर तक सभी स्कूलों और विश्वविद्यालयों में वाई-फाई और सार्वजनिक रूप से वाई-फाई हॉटस्पोर्ट उपलब्ध हो जाएंगे। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस कार्यक्रम से भारी संख्या में सूचना प्रौद्योगिकी, टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स रोजगार पैदा होंगे। इस ब्रॉडबैंड हाईवे के माध्यम से पूरा भारत डिजिटल रूप से सशक्त बनेगा। यह वो हाईवे है जो स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, बैंकिंग जैसे क्षेत्रों से संबंधित सेवाओं की आपूर्तिमें सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग में शीर्ष स्थान पर ले जायेगा।
-सरकार कितना खर्च करेगी?
-डिजिटल इंडिया पर सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा है। हर गांव को नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के दायरे में लाया जाएगा। मार्च 2015 तक 50 हजार गांवों का जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अभी 30 हजार पंचायतें ही इस नेटवर्क से जुड़ पाई हैं।
-देश में अभी क्या है स्थिति?
-इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट इंडेक्स के मुताबिक भारत इंटरनेट कनेक्टिविटी, लिट्रेसी और बैंडविड्थ जैसे मामलों में 166 देशों की लिस्ट में 129वें स्थान पर है। भारत मालदीव, मंगोलिया, केन्या, कजाख्स्तान, फिजी, निकारागुआ से भी पीछे है। देश में 20 करोड़ लोग यानी करीब 15% आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही है। जबकि चीन में 60 करोड़ लोग यानी 44% आबादी इंटरनेट यूज़ करती है।
-बिजली की कमी बड़ा रोड़ा
बिजली के बगैर डिजिटल इंडिया का सपना सपना ही रह जाएगा। सरकार भारत को डिजिटल इंडिया बनाने पर फोकस कर रही है, लेकिन इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरत बिजली की है। देश में बिजली की कमी है। अभी फिलहाल देश में 80 हजार मेगावॉट बिजली है, लेकिन मांग हैं एक लाख 37 हजार मेगावाट की। उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बिजली की दो-तिहाई की कमी है। यूपी में गांवों में बिजली ही नहीं आती है। लोग मोबाइल रिचार्ज तक नहीं कर पात हैं तो डिजिटल इंडिया कहां से होगा। तिवारी के अनुसार एक मेगावॉट बिजली बनाने में 6 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। सरकार के पास बजट कहां है? उनके अनुसार एक मेगावॉट सोलर एनर्जी पैदा करने के लिए 7-10 एकड़ की जरूरत होती है, इतनी जमीन कहां से लाएंगे?
-इंटरनेट स्पीड है समस्या
भारत में इंटरनेट स्पीड काफी कम है। भारत में 1-2 एमबीपीएस डाउनलोड स्पीड है, जबकि साउथ कोरिया और हांगकांग जैसे देशों में काफी ज्यादा है। उनके अनुसार डिजिटल इंडिया का सपना साकार करने के लिए इंटरनेट स्पीड में बढ़ोतरी बहुत जरूरी है। अचिन जाखड़ के अनुसार मेट्रो शहरों मे लोगों को इंटरनेट स्पीड मिल भी रही है, लेकिन छोटे शहरों और गांवों की हालत बहुत खराब है। लोग ई-गर्वनेंस से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन स्पीड की दयनीय स्थिति में लोग मुंह मोड़ने लगते हैं। सरकार को डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए इंटरनेट स्पीड की ओर जरूर ध्यान देना होगा। इंटरनेट फैसिलिटी और लिट्रेसी भारत में एक बड़ी समस्या है। दक्षिण कोरिया की 98 फीसदी आबादी इंटरनेट इस्तेमाल करती है, लेकिन भारत में यह आंकड़ा अभी काफी कम है। इसके अलावा भारत में लोग कम्प्यूटर और टैब से ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन भारत में इंटरनेट की स्पीड और स्मार्टफोन की काफी दिक्कत है जिसपर भारत को ध्यान देने की जरूरत है। इंटरनेट साक्षरता भी भारत में बड़ी समस्या है। भारत की कोशिश है कि देश के दूरदराज में इस तरह के केंद्र बनाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल फैसिलिटी उपलब्ध कराई जाएं।
-सभी बड़ी इंटरनेट कंपनियों के सर्वर भारत के बाहर
सभी बड़ी अमेरिकी इंटरनेट कंपनियों के सर्वर भारत से बाहर हैं। यदि सर्वर भारत में लगाया जाए तो प्रति सर्वर औसतन एक हजार लोगों को रोजगार मिल सकता है। इसके अलावा भारत में सर्वर होने से सुरक्षा जेंसियों को अपराध नियंत्रण में भी मदद मिल सकेगी और इन कंपनियों की भारत में कानूनी जवाबदेही भी बन पाएगी। इस खामी के चलते दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर केंद्र को सरकारी अधिकारियों के लिए नई ई-मेल पॉलिसी लानी पड़ी, जिसके अनुसार विदेशी इंटरनेट कंपनियों के सर्वर के माध्यम से सरकारी कार्यों के लिए ई-मेल का प्रयोग गैर-कानूनी है। दुर्भाग्य है कि इतने स्पष्ट आदेश और कानून के बावजूद भारत सरकार के 45 लाख से अधिक कर्मचारी-अधिकारी तथा राज्य सरकारों के करोड़ों अधिकारी विदेशी ई-मेल सेवाओं का गैर-कानूनी प्रयोग कर रहे हैं।
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