-शीतांशु कुमार सहाय
हे गुरुदेव ! हे भगवान !
चरण-कमल में तेरे प्रणाम !
साधन तुम हो, साध्य हो तुम ही
मेरा एक आराध्य भी तू ही
हे गुरुदेव ! हे भगवान !
चरण-कमल में तेरे प्रणाम !
अज्ञानी था, ज्ञान दिया
सोया भाग्य जगा दिया
अन्तस् में जो उजियारा
दिव्य किरण है वो तेरा
तू ही सकल जहान
हे गुरुदेव ! हे भगवान !
चरण-कमल में तेरे प्रणाम !
दीक्षा का दिन था पावन,
सब कुछ तुझ को किया अर्पण।
तेरी कृपा मुझ पर हरदम,
सहस्रार में हैं हरदम।
हर कण है भगवान
हे गुरुदेव ! हे भगवान !
चरण-कमल में तेरे प्रणाम !
क्रिया-योग तुम ने बतलाया,
आत्मतत्त्व को भी समझाया।
चरणामृत को पीकर के,
सबल हुआ साधन कर के।
गीता है वरदान
हे गुरुदेव ! हे भगवान !
चरण-कमल में तेरे प्रणाम !
सोया भाग्य जगा दिया
अन्तस् में जो उजियारा
दिव्य किरण है वो तेरा
तू ही सकल जहान
हे गुरुदेव ! हे भगवान !
चरण-कमल में तेरे प्रणाम !
दीक्षा का दिन था पावन,
सब कुछ तुझ को किया अर्पण।
तेरी कृपा मुझ पर हरदम,
सहस्रार में हैं हरदम।
हर कण है भगवान
हे गुरुदेव ! हे भगवान !
चरण-कमल में तेरे प्रणाम !
क्रिया-योग तुम ने बतलाया,
आत्मतत्त्व को भी समझाया।
चरणामृत को पीकर के,
सबल हुआ साधन कर के।
गीता है वरदान
हे गुरुदेव ! हे भगवान !
चरण-कमल में तेरे प्रणाम !
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
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