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बुधवार, 12 दिसंबर 2018

नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी पर राहुल गाँधी भारी Rahul Gandhi Cumbersome on the Pair of Narendra Modi & Amit Shah

-शीतांशु कुमार सहाय
भारत में लोकसभा आम निर्वाचन 2019 से पहले केन्द्रीय सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे पाँच राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के विधानसभा आम निर्वाचन में तीन प्रमुख राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में भाजपा को सत्ता से बेदखल कर काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की ‘दमदार राजनीतिक जोड़ी’ पर भारी पड़े हैं। इस से जनता के बीच जो सन्देश गया है, वह काँग्रेस और राहुल गाँधी दोनों की स्वीकार्यता को बढ़ाने में सकारात्मक भूमिका अदा करेगा। 
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा अध्यक्ष शाह के जी-तोड़ चुनाव प्रचार पर काँग्रेस अध्यक्ष गाँधी की 82 जनसभाओं व 7 रोड शो ने पानी फेर दिया। इन तीन राज्यों के चुनाव परिणाम जहाँ काँग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेंगे, वहीं राहुल की खुद की राजनीति में नया अध्याय लिखंेगे। तीन राज्यों से भाजपा को सत्ता से बेदखल करने पर राहुल देश की राजनीति की पिच पर मंझे राजनेता के रूप में स्थापित कर पाने में समर्थ हो पायेंगे। 
पिछले कुछ समय से सोशल साइटों पर राहुल गाँधी को लेकर जो व्यंग्यबाण चलाये जा रहे थे, उन पर अचानक ब्रेक लग गया है। चुनाव नतीजे ऐसे लोग के मुँह बंद कर दिये हैं। विरोधी लोग राहुल की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठा रहे थे। 
भाजपाशासित तीन राज्यों में राहुल के नेतृत्व में जीत के बाद उन का कद विपक्ष की राजनीति में बढ़ा है, इस से इंकार नहीं किया जा सकता। देशभर में यह संदेश भी गया है कि लोकसभा आम निर्वाचन 2019 में भी राहुल गाँधी भाजपा अर्थात् मोदी-शाह की जोड़ी को कड़ी चुनौती देने में सक्षम हैं। 
चुनावी समर में काँग्रेस ने इस बार भाजपा को उस के मोदी बनाम राहुल के अस्त्र से ही घेरा। यही कारण रहा कि पूरे अभियान में राहुल का पूरा फोकस मोदी को घेरने पर रहा। राफेल कांड, नोटबंदी, जीएसटी, सीबीआई विवाद, आरबीआई का सरकार से टकराव, रोजगार, किसानों की दयनीय स्थिति व युवाओं को लेकर राहुल के तेवर नरेन्द्र पर लगातार तल्ख रहे। इतना ही नहीं अपनी आक्रामक शैली से राहुल ने तीनों राज्यों में चुनावी एजेंडे सेट किये और मोदी से लेकर भाजपा के ज्यादातर बड़े नेता उन में फँसते चले गये। 
गाँधी युवाओं और किसानों को यह संदेश देने में भी सफल रहे कि मोदी के वायदे खोखले हैं और जुमलेबाजी से लोग का भला नहीं होनेवाला है। उन्होंने झूठे वायदों और नफरत की राजनीति पर मोदी व भाजपा को घेरा। नतीजे गवाह हैं कि राहुल का यह अंदाज मतदाताओं को रास आया। किसानों की कर्जमाफी और उन की फसल के मूल्य पर राहुल की चली गुगली में भाजपा बोल्ड हो गयी। दूसरी तरफ भाजपा नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान जो भाषण दिये, उन के प्रभाव भी भाजपा पर नकारात्क पड़ा। कोई भाजपा प्रवक्ता अपने नेताओं के भाषण के नकारात्मक पहलुओं को सकारात्मक रूप से समझाने में सफल नहीं रहा।
अप्रत्याशित जीत दर्ज करने के बाद जो राहुल गाँधी का बयान आया, उस में अत्यन्त सधे हुए शब्द थे। काँग्रेस अध्यक्ष राहुल ने ‘काँग्रेसमुक्त भारत’ के भाजपा के नारे के बारे में स्पष्ट कहा कि उन की पार्टी भाजपा मुक्त करने के लिए नहीं; बल्कि भाजपा की विचारधारा के खिलाफ लड़ रही है और हमें उम्मीद है कि हम उस में जीत हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि आज हम जीते हैं और पूरा विपक्ष मिलकर 2019 में भी भाजपा को हरायेगा। 
प्रधानमंत्री मोदी के बारे में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जिन तीन अहम मुद्दों को लेकर 2014 में सत्ता में आये थे- किसानों की समस्या का समाधान, युवाओं को रोजगार और भ्रष्टाचार पर लगाम- इन तीनों मुद्दों पर मोदी विफल रहे हैं। कहीं-न-कहीं विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार का यह भी एक कारण है। जीएसटी, नोटबंदी लोग पर भारी पड़े तो जनता ने अपने वोट के जरिये अपना निर्णय सुना दिया है। नोटबंदी तो एक बड़ा स्कैम था।
छत्तीसगढ़ में पार्टी की दो तिहाई बहुमत के साथ जीत, राजस्थान में स्पष्ट बहुमत मिलने और मध्यप्रदेश में सब से बड़े दल के रूप में जीत दर्ज करने पर काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने पार्टी की जीत को किसान, युवाओं और छोटे दुकानदारों की जीत बताया।

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