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रविवार, 10 मई 2020

कम्युनिस्ट चीन की कुण्डली का पहली बार ज्योतिषीय आकलन : घोर संकट की शुरुआत Astrological Assessment of the Horoscope of Communist China for the First Time: The Beginning of the Great Crisis

चीन की कुण्डली
-अमित कुमार नयनन
        कई देशों की राजनीतिक आज़ादी का निश्चित समय दुनिया के पास है, इसलिए उन की जन्म-कुण्डली का निर्माण और आकलन आसान है। मसलन भारत की आज़ादी का समय १५ अगस्त की रात्रि १२ बजे सन् १९४७ ईस्वी है मगर चीन की आज़ादी का कोई निश्चित समय निर्धारित नहीं है। इसलिए इस की जन्म-कुण्डली को लेकर विविध विरोधाभास हैं। 
       चीन की कुण्डली को लेकर विविध विरोधाभासी तथ्य प्रचलित हैं। चीन की कुण्डली की गणना कम्युनिस्ट शासन के सत्ता सम्भालने के समय को लेकर होती है मगर इस में भी विरोधाभास है। कोई इसे सुबह, तो कोई शाम को मानता है। सुबह ८ बजे के लगभग रेडियो से कम्युनिस्ट पार्टी की चीन पर सत्ता संभालने की उद्घोषणा हुई थी। इस के उपरांत ३-४ बजे शाम या किसी भी समय इसे विधिवत् रूप से अंजाम दिया गया।
       इस प्रकार समय की विविधता का मसला अपनी जगह है मगर यह चीन की विशुद्ध कुण्डली नहीं है; बल्कि चीन के साथ कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता संभालने की कुण्डली भी है, इसलिए इसे इन दोनों की कुण्डली कहना भी उपयुक्त होगा। इस में यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि इसे चीन की विशुद्ध कुण्डली या कम्युनिस्ट पार्टी की विशुद्ध कुण्डली कहना सही नहीं है; बल्कि चीन पर कम्युनिस्ट पार्टी के शासन की शुरूआत की विशुद्ध कुण्डली कहना बिल्कुल सही होगा। तमाम गणना में यह बात स्पष्ट है। इसलिए चीन में कम्युनिज्म की पकड़ की इस कुण्डली के साथ चीन के भविष्य की ज़्यादा सूक्ष्मता और सटीकता से गणना करना सही होगा और उस के परिणाम भी सही आयेंगे।  
       सभी प्रकार से समस्त समय को ध्यान में रखकर समस्त प्रकार की कुण्डली की गणना करने पर पाया गया कि १ अक्तूबर १९४९ ईस्वी लगभग सुबह ८ बजे बिजिंग (पेईचिंग) का समय ही प्रामाणिक है। 

कम्युनिज्म बनाम चीन 

कुण्डली : चीन : १ अक्तूबर १९४९ लगभग प्रातः ८ बजे  बिजिंग
ग्रह राशि         अंश         कला
सूर्य              ०५              १४          २६
चंद्र ०९               ०७          ४४
मंगल ०३               २१          ३७
बुध ०५               २०          १२
बृहस्पति ०८               २९          २८
शुक्र ०६               २६          ०४
शनि ०४               २०          ००
राहु ११               २३          ४९
केतु ०५              २३          ४९
       लग्न में लग्नेश बनाम शुक्र का अपनी ही राशि तुला में स्वगृही होना व पञ्चमहापुरूष योग में से एक योग मालव्य योग बनाना इस के दीघार्यु व स्वस्थ होने को स्पष्ट करता है। पञ्चमहापुरूष योग में से हर एक योग विश्वप्रसिद्ध होने की क्षमता रखता है। इसलिए आज भी कम्युनिस्ट पार्टी चीन में चिरकालिक शासन कर रही है और इस शासन पर आजतक कोई भी हावी नहीं हो पाया है जो इस के स्वस्थ होने की प्रामाणिकता है।
       बृहस्पति का तृतीय भाव में स्वगृही होना पराक्रमी होने का सबूत है, तृतीय भाव स्वबल का है अर्थात जातक के पास अपनी शक्तियाँ होंगी जिस के आधार पर वह किसी भी प्रकार की बाधा को पार करने में स्वयं ही सक्षम होगा। साथ ही तृतीय भाव का स्वामी ही षष्ठ भाव का स्वामी भी है, षष्ठ भाव शत्रु का है और इस प्रकार षष्ठेश भी स्वगृही है अर्थात् वह शत्रुओं पर भी विजय पाने में समर्थ होगा। 
       यहाँ यह स्पष्ट कर देना अनिवार्य है कि राशि १२ होते हैं तो ग्रह ९ और प्रत्येक राशि का कोई-न-कोई ग्रह राशि स्वामी होता है। इस प्रकार ये ९ ग्रह ही १२ राशियों के स्वामी होते हैं, इसलिए अगर ९ ग्रह स्वराशि हों तब भी ३ स्थान खाली रह जाते हैं। इस का अर्थ यह कतई नहीं है कि वे तीन खाली स्थान स्वगृही नहीं माने जाएंगे। वह स्थान भी स्वगृही ही है जिस के राशि स्वामी ग्रह किसी अन्य राशि के स्वराशि में बैठे हैं। सूर्य व चन्द्रमा की मात्र एक ही राशि होती है, अतः इन के लिए स्वगृही होने का अर्थ केवल एक राशि पर निर्भर है जबकि मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र की दो-दो राशियाँ हैं :- मंगल की राशियाँ मेष और मकर, बुध की राशियाँ मिथुन और कन्या, बृहस्पति की राशियाँ धनु और मीन तथा शुक्र की राशियाँ वृष और तुला हैं।
       स्वगृही के मामले में एक और भी रोमांचक बात है। ज्योतिषशास्त्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर कोई भी ग्रह स्वगृही है तो वह जिस घर में बैठा है, उस के अलावा जिस दूसरे घर में नहीं बैठा है, वह पहले घर की अपेक्षा दूसरे घर के लिए पहले घर से भी अधिक दूसरे घर में दुगुने प्रभाव से ज़्यादा शुभ फल देगा। इसलिए यह माना जाना चाहिये कि चीन कम्युनिस्ट सरकार स्वबल के आधार पर तो किसी भी प्रकार की विकट परिस्थतियों से निपटने में सक्षम है ही, वह विकट-से-विकट शत्रुओं को उस से भी बुरे प्रकार से खात्मा करने में सक्षम है। कम्युनिस्ट चीन की विविध दमनकारी नीतियाँ इस का प्रमाण हैं। उस के स्वबल का आलम यह है कि वह संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थायी प्रतिनिधि है, अंतर्राष्ट्रीय संधियों या आदेश तक का पालन न कर दक्षिण चीन सागर में खुलेआम मनमानी करता है चीन। साथ ही अपने देश और बाहर के लोग पर भी विविध दमनकारी नीतियाँ भी चलाता है। यह इस का स्वबल ही है। और नहीं तो क्या है? अलबत्ता संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में स्थायी प्रतिनिधि होने का श्रेय लग्नेश शुक्र का स्वराशि होकर केंद्र में बैठने को विशेष रूप से जाता है; क्योंकि यह पञ्चमहापुरूष जो कि विश्व प्रसिद्ध करने की क्षमता रखता है। 
       ऐसी शुभ व शक्तिशाली कुण्डली में जब तक दशाएँ विपरीत नहीं होती हैं, तब तक सब कुछ स्वतः सही चलता रहता है। दशाएँ सही हैं या विपरीत या विरोधाभासी सब कुछ स्थिति और गणना वगैरह पर निर्भर करता है।

चीन का मानचित्र
गोचर फलाफल

       गोचर के अनुसार २०१९ से २०२० के दौरान सूर्य, बुध, शुक्र, बृहस्पति ४ ग्रह जन्म की राशियों से गोचर करेंगे व इन का प्रभाव २०२० के अन्तिम महीने तक होगा। कुण्डली के जन्मकालिक स्थितियों से तुलना करने पर स्थानानुसार व स्थितिनुसार आकलन करने पर इन के विविध फल कुछ इस प्रकार आये हैं।
       बृहस्पति धनु गोचर २९ मार्च २०१९ से २० नवंबर २०२० तक है। बृहस्पति कम्युनिस्ट चीन की कुण्डली में धनु राशि में ही है। अतएव बृहस्पति के धनु संचरण के दौरान तृतीय भाव के फल विशेष तौर पर प्राप्त होंगे। बृहस्पति तृतीय भाव में स्वगृही होकर सबल है मगर यह रोग, ऋण, रिपु के मालिक षष्ठ भाव का भी मालिक है, अतः इस के परिणाम भी उसे इस दौरान प्राप्त होंगे।
       बृहस्पति की स्थिति चीन की कुण्डली में स्वबल और पराक्रम का मालिक होने के कारण बृहस्पति धनु संचरण २९ मार्च २०१९ को आरंभ हुआ जो कम्युनिस्ट चीन की कुण्डली में तृतीय भाव में बृहस्पति धनु राशि में ही स्वगृही है। बृहस्पति की धनु राशि में संचरण की यह अवस्था कई बार वक्री मार्गी होकर पूर्व राशि वृश्चिक व उत्तर राशि मकर तक में भमण के बाद भी स्वराशि में आकर वृह. की धनु राशि अवस्था २० नवंबर २०२० तक है। तृतीय भाव के उक्त तमाम फल सहित बृहस्पति के तमाम फल कम्युनिस्ट चीन को प्राप्त होंगे। इस प्रकार बृहस्पति के षष्ठेश का तमाम फल चीन को प्राप्त होंगे। इस प्रकार स्वबल, पराक्रम, शत्रु विजय वगैरह के फल कम्युनिस्ट चीन को प्राप्त होंगे। मगर सूर्य, बुध का द्वादश संचरण सितंबर से अक्टूबर २०१९ और सितम्बर से अक्तूबर २०२० में उक्त दशाओं में चीन के लिए समस्याएं पैदा करेगा। 
       बृहस्पति २९ मार्च २०१९ को स्वराशि धनु में प्रवेश किये। बृहस्पति १० अप्रैल २०१९ को वक्री होकर २२ अप्रैल २०१९ को वृश्चिक में गये जहाँ से ११ अगस्त २०१९ को मार्गी होकर ५ नवंबर २०१९ को वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश किये।
  • बृहस्पति का धनु प्रवेश : २९ मार्च २०१९
  • बृहस्पति का वृश्चिक प्रवेश : २२ अप्रैल २०१९
  • बृहस्पति का धनु प्रवेश : ०५ नवंबर २०१९
  • बृहस्पति का मकर प्रवेश : ३० मार्च २०२०
  • बृहस्पति का धनु प्रवेश : ३० जून २०२०
  • बृहस्पति का मकर प्रवेश : २० नवंबर २०२०
       बृहस्पति धनु से मकर राशि में ३० मार्च २०२० को प्रवेश कर गए। बृहस्पति ३० जून २०२० को वक्री होकर मकर राशि से धनु राशि में पुनः प्रवेश करेंगे। बृहस्पति २० नवंबर २०२० को धनु से मकर राशि में संचरण करेंगे।

  • सूर्य का कन्या राशि संचरण : १७ सितम्बर २०१९ से १८ अक्तूबर २०१९
  • बुध का कन्या राशि संचरण : ११ सितम्बर 2019 से 29 सितम्बर २०१९
  • शुक्र का तुला राशि संचरण  : ०४ अक्टूबर 2019 से 28 अक्तूबर २०१९
  • सूर्य का कन्या राशि संचरण : १७ सितम्बर २०२० से १७ अक्तूबर २०२०
  • बुध का कन्या राशि संचरण  : ०२ सितम्बर २०२० से २२ सितम्बर २०२०
  • शुक्र का तुला राशि संचरण : ११ सितम्बर २०२० से २९ सितम्बर २०२०
       कम्युनिस्ट चीन की कुण्डली में सूर्य, बुध द्वादश भाव में कन्या राशि में संयुक्त हैं, अतः इन के इसी भाव से गोचर करना कम्युनिस्ट चीन के लिए बाधाकारक व समस्या पैदा करनेवाला है। 
       २०१९ की ग्रह रिपोर्ट यह है कि ११ सितम्बर २०१९ से १८ अक्तूबर २०१९ का समय कम्युनिस्ट चीन के लिए अत्यंत ही परेशानी भरा था; क्योंकि सूर्य, बुध का कन्या राशि में द्वादश प्रभाव से संचरण प्रभावी था। साथ ही १७ सितम्बर २०१९ से २९ सितम्बर २०१९ तक सूर्य, बुध दोनो कन्या राशि में साथ थे। अतः यह सर्वाधिक विपत्ति का दौर था। द्वादश भाव अस्पताल का भी है, अतः अस्पताल की समस्या को भी स्पष्ट कर रहा है। द्वादश भाव अस्पताल, व्यय, अभियोग, व्यापारिक आर्थिक नुकसान वगैरह का है, इसलिए यह सभी समस्याएँ उस वक्त ज्यादा प्रभावी हो गई थीं। इसी प्रकार २०२० में भी यह समस्याएँ सूर्य, बुध कन्या संचरण के दौरान ज्यादा प्रभावी होंगी। सूर्य, कन्या संचरण २ सितंबर २०२० से १७ अक्टूबर २०२० तक प्रभावी है। यह समय कम्युनिस्ट चीन के लिए प्रतिकूल है, चीन के लिए बाधाकारक और परेशानी बढ़ानेवाली है। सूर्य, बुध का संयुक्त कन्या संचरण १७ सितम्बर से २२ सितम्बर २०२० तक है जो इस अल्प अवधि में ही मगर विशेष तौर पर अधिकाधिक समस्याएँ पैदा करेगा।
      शुक्र कुण्डली में तुला राशि में है, अतः २०१९ में शुक्र के तुला संचरण ४ अक्तूबर २०१९ से २८ अक्टूबर २०१९ के दौरान स्थितियों में सुधार के संकेत हैं जबकि १७ नवंबर २०२० से ११ दिसंबर २०२० के दौरान कम्युनिस्ट चीन के लिए विविध विपरीत स्थितियों पर नियंत्रण के संकेत हैं। इस समय शुक्र, बृहस्पति कुण्डली की राशि क्रमशः तुला, धनु में १७ से २० नवंबर २०२० तक होंगे। ये दोनो ही कुण्डली में शुभ हैं। अतः यह अवधि विशेष रूप से शुभ होगी।    
       विश्व का वर्तमान संकट चीन के घोर संकट के लिए शुरुआत है। चीन की वर्तमान ख़ुशी ज्यादा दिनों तक टिकनेवाली नहीं है। आनेवाले कुछ वर्ष चीन पर बेहद भारी पड़नेवाले हैं और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ओठों की मुस्कान गायब होनेवाली है। स्थितियाँ और भी विकट हो सकती हैं। नयी चुनौती, संघर्ष, युद्ध की स्थिति बन सकती है। उस की वर्तमान स्थिति और प्रभुत्व पर चुनौती या संकट आ सकता है।

महादशा और अन्तर्दशा आकलन  

       चीन को 'कम्युनिस्ट चीन' कहना अधिक तार्किक होगा; क्योंकि कुण्डली कम्युनिज्म शासन के चीन सत्ता संभालने के आधार पर बनी है। 
       इस समय कम्युनिस्ट चीन शनि में बृहस्पति की दशा से गुजर रहा है। ८ सितंबर २०२० से बुध महादशा आरंभ हो जायेगी। द्वादशेश बुध द्वादश में ही सूर्य और केतु से संयुक्त हैं, अतएव बुध महादशा चीन के लिए सही नहीं है। 
       बुध और केतु का प्रभाव चीन पर पड़ रहा है। २०२० से २०४४ तक उस के लिए बेहद परेशानी वाला समय होगा। यही नहीं, सन् २०३७ ईस्वी तक चीन के संघर्ष का आरंभिक दौर दिखायी दे रहा है। ८ सिंतबर २०२० से द्वादशेश बुध की १७ वर्षीय महादशा आरंभ हो रही है। द्वादश भाव व्यय, बाधा, अप्रत्याशित घटनाओं का है इसलिए इस समय कम्युनिस्ट चीन के लिए यह समय सही नहीं है। द्वादश में सूर्य, बुध, केतु की युति है इसलिए इन की परस्पर दशाएँ भी बिल्कुल सही नहीं होंगी। इन में बुध और केतु दोनों की क्रमबद्ध महादशा २०२० से आरंभ है जिस में पहले बुध की १७ वर्षीय तत् केतु की ७ वर्षीय महादशा होगी। इस प्रकार कम्युनिस्ट चीन २०४४ तक पूर्ण नकारात्मक प्रभाव में है। बुध महादशा में सूर्य, बुध, केतु की अंतर्दशा विशेषतः सही नहीं है, जिन में बुध में बुध व बुध में केतु की दशा आरंभ में ही आरंभ है जो कि ११ सितंबर २०२० से २०२५ तक चलेगी। बुध महादशा में सूर्य की अंर्तदशा भी बहुत बाद में नहीं है वह भी 2026 में है। केतु महादशा में सूर्य, बुध, केतु की अंतर्दशा में सर्वप्रथम केतु में केतु २०३७, केतु में सूर्य २०३९, केतु में बुध की अन्तर्दशा को है। यह तमाम दशाएं कम्युनिस्ट चीन के लिए बहुत ही ज्यादा परेशानी वाली होंगी।

बुध महादशा : ११ सितम्बर २०२० से ११ सितम्बर २०३७

  • बुध महादशा में बुध की अन्तर्दशा ८ अक्तूबर २०२० से ५ मार्च २०२३ तक। 
  • बुध महादशा में केतु की अन्तर्दशा  ५ मार्च २०२३ से २ मार्च २०२४ तक
  • बुध महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा २ जनवरी २०२७ से ८ नवम्बर २०२७ तक

केतु महादशा : ११ सितम्बर २०३७ से ११ सितम्बर २०४४

  • केतु महादशा में केतु की अन्तर्दशा  ८ अक्तूबर २०३७ से ५ मार्च २०३८ तक।
  • केतु महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा ५ मई २०३९ से ११ सितम्बर २०३९ तक। 
  • केतु महादशा में बुध की अन्तर्दशा ११ अक्तूबर २०४३ से ८ अक्तूबर २०४४ तक। 

घातक कदम उठा सकता है चीन

       चीन की वैश्विक गतिविधियाँ भी अत्यन्त चुनौतीपूर्ण होंगी। चीन को केन्द्र-बिन्दु बनाकर विश्व के कई शक्तिशाली देश उस पर तरह-तरह के प्रतिबन्ध लगायेंगे। इस के विपरीत चीन आर्थिक प्रतिबन्धों से बौखला जायेगा और वह विश्व समुदाय के प्रति और घातक कदम उठा सकता है। हालाँकि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है, परन्तु चीन को सबक सिखाने के लिए विश्व के किसी देश द्वारा चीन पर हमला हो सकता है या अपने ऊपर लगे आरोपों-प्रतिबन्धों की खि़लाफ़त स्वरूप चीन किसी प्रतिद्वन्द्वी देश पर सशस्त्र आक्रमण कर सकता है।

१७ साल का संक्रमण काल

         २०३७ तक संघर्ष या महासंघर्ष (विश्वयुद्ध?) का दौर हो सकता है। मतलब यह कि विश्व और चीन के लिए सन् २०२० से २०३७ ईस्वी तक सम्बन्धों में खटास और अशान्ति का दौर रहेगा। इस अवधि में न चाहते हुए भी संघर्ष अर्थात् युद्ध की त्रासदी झेलनी पड़ सकती है। भारत सहित कई देश युद्ध को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। इतना होने के बाद भी अगर युद्ध हुआ तो चीन किसी भी हद तक जा सकता है। इस दौरान चीन और शेष विश्व को बहुत ही समझदारी से काम लेना होगा; ताकि विश्वशान्ति ख़तरे में न पड़े।

साम्यवादी बन जाते हैं शोषक

       चीन में कम्युनिस्ट सरकार है। कम्युनिस्ट को हिन्दी में साम्यवाद या समाजवाद कहा गया; क्योंकि समानता के साथ समाज गठन के सिद्धान्त को कम्युनिस्टों ने अपनाया। पर, गरीबों की बात करनेवाला कम्युनिस्ट अब बदल गया है, बिल्कुल बदल गया है। ‘आम आदमी का कोई शोषण न करे’- इस लुभावने सन्देश के साथ सत्ता प्राप्त करते ही साम्यवादी स्वयं ‘शोषक’ बन जाते हैं। शी जिनपिंग ने तो शोषण की हद कर दी। जिनपिंग ने ऐसा कानून बनाया कि अब चीन में उन के जीते-जी राष्ट्रपति का निर्वाचन होगा ही नहीं, वे आजीवन चीन के राष्ट्रपति बने रहेंगे। इस कारण चीन के अन्दर भी जिनपिंग ने अपने विरोधियों की फौज खड़ी कर ली है।

जिनपिंग, चीन और कोरोना 

         जिनपिंग और चीन दोनों की नींव हिला देने की क्षमता लेकर उभरा है नोवेल कोरोना विषाणु। स्वरांक नियम से चीन और जिनपिंग के लिए कोरोना बिल्कुल ही नकारात्मक प्रभाव के अति प्रभाव से प्रभावी है। इन दोनो के लिए यह इनकी जड़ें हिला देने की क्षमता रखता है। दशाएँ विपरीत होने से यह आशंका और बलवती होती है। अतः अति सावधानी अपेक्षित है। कम्युनिज्म और शी जिनपिंग के लिए भी अगले सतरह वर्ष का दौर बिल्कुल सही नहीं है। कम्युनिज्म और जिनपिंग के लिए भी यह दौर बिल्कुल सही नहीं है। कम्युनिज्म की शासकीय और आर्थिक गतिविधियाँ बिल्कुल तहस-नहस हो जाने के संकेत हैं। साथ ही नये दुश्मन, नयी समस्याओं, बाधाओं, अन्तर्राष्ट्रीय उलझन से भी दो-चार होना पड़ेगा। यह दौर २०२८ तक विशेष तौर पर है।     

भारत नयी शक्ति के साथ उभरेगा

         ग्रहों की दशाएँ विपरीत होने से यह आशंका और बलवती होती है कि कई प्रकार के संकटों के तूफान चीन के विरुद्ध खड़े होंगे। अतः अति सावधानी अपेक्षित है। इस परिदृश्य में भारत नयी शक्ति के साथ विश्व-क्षितिज पर उभरेगा। विश्वयुद्ध के सन्निकट खड़े मानव समुदाय के लिए विश्वशान्ति की कामना करनेवाला सब से बड़ा देश भारत है और यही रहेगा। भारत को छोड़कर कमोबेश सभी देश युद्ध के मूड में हैं। विश्वशांति की कामना किजीए कि सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय। वसुधैव कुटंुबकम्। विश्वशांति खतरे में ना पड़े। विश्वशान्ति की कामना कीजिये; ताकि सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय और वसुधैव कुटुम्बकम् की भारतीय परम्परा पर आँच न आये और इस परम्परा का लाभ विश्व समुदाय को मिल सके।

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