कुछ दिनों पहले की ही बात है..... It was Just a Few Days Ago --जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन-1, लॉकडाउन-2, लॉकडाउन-3, लॉकडाउन-4..... हमारे प्रिय प्रधानमंत्री भी कुछ कम नहीं हैं। उन्होने भी पहले ‘प्रथम दिन’ एक दिन का लॉकडाउन कर सारे देश को अपने ही घर में घुसवा दिया। फिर शाम होते ही देशवासियों के हाथ ताली बजवा दी, थाली पिटवा दी और फिर उन्हें उन के ही द्वारा अगले 21 दिनों के लिए अपने घरों कैद करवा दिया।
देश के लोग अपनी ही इच्छित कैद के लिए अपने हाथों ताली बजाकर सहर्ष घर में घुस गये। इस तरह हर इन्सान अपने ही घर में नज़रबन्द हो गया। जनता पहले 1 दिन फिर दिन 21 दिन के बाद लॉकडाउन खुलने का इन्तज़ार कर ही रही थी कि 21 दिन का लॉकडाउन और बढ़ गया। हॉलीडे पिकनिक के साथ गुलामी का फ्र्री पैकेज साथ मिला था- ऐसा टूर पैकेज भला कब, किसे मिलता है! यह कोरोना ने सम्भव कराया। इस के लिए हम सभी को कोरोना का शुक्रगुज़ार होना चाहिये। उसे आभार प्रकट करना चाहिये। सारी दुनिया का हाल बेहाल कर उस ने चारा ही क्या छोड़ा था? इसलिए हमारे प्रधानमंत्री के पास चारा ही क्या बचा था? इसलिए कोरोना उत्पात तक के लिए उन्होंने हमारे हाथों ही ताली बजवा हमें हमारे ही हाथों अपने ही घर में कैद करवा दिया।
पहले दिन तो लगा कि मजा आ रहा है। फिर लगा कि मजा तो सजा बन गयी। इस के बाद लगा, चलो! कुछ दिनों की बात है। उस के बाद फिर कुछ दिन आगे बढ़ा तो लगा कुछ दिन और सही। पर, अब भी बात हो रही है कि सबकुछ चरणबद्ध तरीके से खुलेगा, जहाँ आप के चरण से लेकर सबकुछ बँधे रहेंगे यानी पूरी सावधानी से। पहले की तरह कुछ भी नहीं रहेगा। सवाल है कि कितने दिन और? हर एक्सटेन्शन से हर किसी को टेंशन हो रही है तो जबाब है कोई जवाब नहीं।
कोरोना से पहले अधिकतर लोग कर्फ्यू का मतलब ठीक से जानते थे, लॉकडाउन का नहीं। लॉकडाउन के अर्थ को सही पहचान सही मायने में कोरोना कृपा से कोरोना काल में मिली है। लॉकडाउन को सही मायने में कोरोना का शुक्रगुजार होना चाहिये। अन्यथा वह डिक्शनरी में उस शब्द की भाँति था जैसा कोई नेता पार्टी में रहकर भी गुमनाम रहता है। यह गुमनाम अब नामचीन हो गया है! रोमांचक बात यह कि नामचीन बनने की इस की शुरुआत चीन से ही हुई है!
लॉकडाउन जिस में पहले से ही ‘डाउन’ है, डाउनफॉल की शुरुआत है जिस ने अपने आरम्भ काल में ही समस्त विश्व को अपने घरों में रहने के लिए मजबूर कर दिया।
इशारा समझिए। दुनिया बदल चुकी है। जो स्वतंत्र जीवन हम जी चुके वह अतीत की बात है। इस दुनिया पर एक वायरस जन्म ले चुका है जिस के हम गुलाम हैं। अब हम वही करेंगे जो वह कहेगा, जो वह चाहेगा, जो वह.....गा!
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