जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर हिन्दू पर्यटकों की हत्या किये जाने का बदला लेने के लिए भारत ने सात मई २०२५ को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला कर आतंकवादियों को मिट्टी में मिला दिया। इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत है जाने-माने ज्योतिष अमित कुमार नयनन का आकलन। इस में भारत-पाकिस्तान के वर्तमान तनाव, सीमा विवाद, अखण्ड भारत की परिकल्पना व अन्य महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर तथ्य समाहित हैं, जिन से आमतौर पर लोग अनभिज्ञ हैं।
भारत की कुंडली वृष लग्न की है और इसकी राशि कर्क है। वृष स्थिर तो कर्क चर राशि है, अतः स्थिर व चरात्मक दोनो प्रवृत्ति का इस की प्रवृत्ति व प्रकृति में समावेश होगा। वृष व कर्क दोनो ही राशियाँ स्वभाव से मृदु हैं, अतः इस देश की प्रकृति मृदु व स्नेहशील होगी व इस में सहनशीलता व विवेकशीलता अन्य देशों की अपेक्षा अधिक रहेगी। लग्नेश शुक्र का राशीश चन्द्र के साथ तृतीय भाव में युति इस के दीर्घकालिक अवस्था को सबलता से दर्शाता है। लग्न में लग्नेश शुक्र मित्र राहु अपनी उच्च राशि में बैठा है। इस प्रकार लग्न के लिए यह एक अच्छी स्थिति है। लग्नेश का तृतीय पराक्रम स्थान में सूर्य, चन्द्र, बुध, शनि के साथ बैठना व केतु से देखा जाना इस देश के विविध लोग, सभ्यता व संस्कृति के दर्शन को सरल तरीके से इंगित करता है। तृतीय में विविध प्रकृति के पंचग्रह की युति कुछ हद तक संत या एकाकी योग को भी बताता है। इस में भी संदेह नहीं कि भारत धर्म और ध्यात्म का धनी देश है। इस प्रकार इस की विविधता में एकता का बल लक्षित होता है जो कि पूर्णतया सही है। भारत भौगोलिक रूप से तीन दिशाओं पूर्व, पश्चिम, दक्षिण दिशा की ओर जल से घिरा प्रायद्वीप है जिस के एकमात्र उत्तर में विशालकाय हिमालय व भूखंड आदि हैं।
भारत की कुंडली में तृतीय पराक्रम स्थान जितना प्रबल है उतना ही चतुर्थ जनता, अचल संपति व भूमि स्थान कमजोर है। तृतीय स्थान में जो ग्रह बल, पराक्रम आदि की वृद्धि कर रहे हैं वही ग्रह जनता, अचल संपत्ति व भूमि के लिए बाधा भी दे रहे हैं क्योंकि तृतीय स्थान चतुर्थ स्थान का व्यय स्थान है। यह युति चूँकि कर्क राशि में बन रही है, अतः उतर दिशा भारत के लिए इस मामले में सदा चिंता का मसला रहेगा। तृतीय स्थान में पंचग्रह युति जहां बल व पराक्रम के लिए अच्छी है वहीं यह अचल संपति व भूखंड के लिए बिल्कुल सही नहीं है। इसी कारण तृतीयस्थ शनि महादशा में पाक व चीन युद्ध हुआ व तिब्बत एवं कैलास व मानसरोवर जैसे भूखंड इस वक्त चीन के कब्जे में हैं। अतः कुल ९ महादशा ग्रहों में इन पाँच ग्रहों की दशा में सीमा विवाद अक्सर बना रहेगा। कुल १२० साल की महादशा में सनि १९ साल, बुध १७ साल, शुक्र २० साल, सूर्य ६ साल व चन्द्र १० साल आते हैं जो कि ८२ साल अर्थात कुल दशा का दो-तिहाई से भी ज़्यादा साल आते हैं, अतः संक्षेप में भारत को अपने दशाकाल में अक्सर सीमा व भूमि विवाद बना रहेगा और इन पांच ग्रहों की दशा में यह विशेष होगा ।
भारत की आज़ादी समय ज्योतिषीयों के द्वारा आज़ादी का निर्धारित किया गया समय पूर्ण शुभ न होने के कारण आज यह स्थिति है। यही पंचग्रह यदि लग्न, दशम या एकादश में होते तो देश की स्थिति कुछ और होती। फिर भी बल व पराक्रम का स्थान मजबूत होने के कारण यह एक मजबूत देश है और रहेगा।
चन्द्र महादशा फल
चन्द्र महादशा २१ मई २०१५ से २१ मई २०२५ तक चल रही है। चन्द्र महादशा की दस साल की महादशा पूर्णता के पश्चात २१ मई २०२५ से सात साल की मंगल महादशा २१ मई २०३२ तक चलेगी।
(विशेष : विविध पंचांगों की मतविभिन्नता के कारण दशा को एक या २ माह तक पहले या बाद से भी मानते हैँ; मगर किसी भी पंचांग को लिया जाए तो १ या २ माह से अधिक का अंतर नहीं होता है।)
इस आभार पर कुछ २०२५ जुलाई से भी मंगल महादशा की शुरुआत मानते है! तथापि किसी भी पद्धति को लिया जाय तो भी दशाफल तो वही रहेगा ही। साथ ही दशाफल में भी एक या दो माह से अधिक का अंतर नहीं आएगा। इसलिए सटीक विश्लेषण के लिए सटीक पंचांग का उपयोग करें अथवा फलादेश से घटनाक्रम को मिलाकर उपयुक्त पंचांग का स्वयं चयन कर लें।
भारत व पाकिस्तान युद्ध : ज्योतिषीय गणना से निकला सच India & Pak War : Pakistan Will Be Destroyed, Truth Revealed By Astrological Calculations
भारत और पाकिस्तान मैं इतना विवाद क्यों है, इस का उत्तर जानना भी आवश्यक है। इस सन्दर्भ को लेकर अब कुण्डली का विश्लेषण लग्न व राशि के आधार पर करते हैं।
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विक्रमादित्य के समय का अखण्ड भारत |
लग्न की दृष्टि से आकलन
भारत का लग्न वृष और पाकिस्तान का लग्न मेष है। वृष का व्यय भाव मेष होता है तथा मेष का धन भाव वृष होता है। भारत का लग्न वृष पाकिस्तान के लग्न मेष का धन भाव है तथा पाकिस्तान का लग्न मेष भारत के लग्न का व्यय भाव है।
राशि के अनुसार विश्लेषण
भारत की राशि कर्क और पाकिस्तान की राशि मिथुन है। भारत की राशि कर्क पाकिस्तान की राशि मिथुन का धन भाव तो पाकिस्तान की राशि मिथुन भारत की राशि कर्क का व्यय भाव है।
अंक ज्योतिषीय विश्लेषण
पाकिस्तान का पहले नाम 'पाकस्तान' था। इस को बाद में 'पाकिस्तान' कर दिया गया। पाकिस्तान का जन्म भारत की भाँति ठीक अर्द्ध-रात्रि को नहीं हुआ था; बल्कि ११:३० बजे रात को ही उस के पेपर वर्क हो गये थे। इस प्रकार पाकिस्तान का जन्म विशुद्ध रूप से १४ का न होकर १३ का है। इसलिए इसपर मूलांक ४ का पूर्ण प्रभाव है। मूलांक १ और मूलांक ४ अंक विज्ञान में समान माने जाते हैँ। पाकिस्तान का मूलांक ४ तथा चीन का १ है। इसलिए समानवर्ती ग्रहीय गुण के कारण इन दोनो की आपस में सहमति और सहभागिता बहुत बार नज़र आई है।
अंक विज्ञान के अनुसार पाकस्तान से पाकिस्तान नाम करने से पाक का सन्युक्तांक ५ से ६ हो गया जो भारत का मूलांक है। इस तरह भारत इसपर हावी रहेगा या होगा। ऐसी ही स्थिति भारत और चीन के बीच भी है, भारत का मूलांक ६ है तथा चीन का 'चाइना' शब्द के आधार पर ६ सन्युतांक है। इस तरह भारत के लिए यह अनुकूल ग्रह स्थिति है; इस ग्रहीय स्थिति के कारण भारत चीन पर हावी रहेगा अथवा चीन भारत का समर्थन करेगा। अगर चीन समर्थन नहीं भी करता है फिर भी भारत हावी रहेगा।
स्वर अंक आधारित विश्लेषण
एक और रोमांचक तथ्य स्वर अंक के आधार पर गणना और विश्लेषण करने पर पता चलता है। स्वर अंक से भारत और पाकिस्तान समान हैँ मगर चीन बलवान है। इसलिए भारत जबतक भारत के नाम से पुकारा जाता रहा, चीन का दबदबा अचानक बढ़ा और उस ने भारत का तिब्बत हड़प लिया। स्वर विज्ञान से तिब्बत भी चीन से स्वरांक में ऋणी है इसलिए वह उस का गुलाम बन गया।
स्वरांक का पुकारू नाम पर अधिक प्रभावी होता है। मसलन किसी का सर्टिफिकेट नाम कुछ भी हो मगर जिस नाम से सम्बोधित करते उस की तंद्रा उसे सब से पहले सचेत करे अथवा जिस नाम से अधिक स्वयं में सक्रिय हो, उस नाम का प्रथम अक्षर ही स्वरांक प्रधान होता है।
भारत कालांतर में इंडिया के नाम से प्रचलित व सम्बोधित हुआ और हो रहा है। इस नाम के अनुसार चीन और पाकिस्तान दोनो ही भारत के ऋणी हैँ। स्वरांक विधि अनुसार दोनो अधिकतम पॉइंट के साथ ऋणी हैँ। इसलिए समय के अनुसार भारत बनाम इंडिया ने तिब्बत घटना के बाद भी चीन के मुक़ाबले आनुपातिक रूप से अतिशय वृद्धि कर ली है तथा पहले के मुक़ाबले कमजोर स्थिति से सबलता से हो खड़ा हो गया है।
स्वरांक विधि वस्तुतः उच्चारण आधारित पद्धति है। अतः किसी के वर्णमाला के प्रथम अक्षर की जगह उस के उच्चारण में आ रहे अक्षर को प्रधानता दी जाती है। मसलन, स्कूल को सकूल पढ़ते हैँ मगर इस्कूल बोलते हैँ। उच्चारण चूँकि इस्कूल है, अतः स्वर विज्ञान में इस्कूल अनुसार ही गणना होगी। स्कूल के 'स्' की जगह इस्कूल के 'इ' को प्रथम अक्षर के रूप में लेकर गणना की जाएगी।
लग्न, राशि, अंक, स्वर आधारित अध्य्ययन, गणना, तुलनात्मक आकलन आदि से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इन में आखिर इतना परस्पर विवाद क्यों होता है।
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