जैन तीर्थंकरों के प्रतीक
जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की मूर्तियों पर पाए जाने वाले चिह्न, चैत्यवृक्ष, यक्ष और यक्षिणी --
(1) ऋषभनाथ
चिह्न- बैल, चैत्यवृक्ष- न्यग्रोध, यक्ष- गोवदनल, यक्षिणी- चक्रेश्वरी।
(2) अजितनाथ
चिह्न- गज, चैत्यवृक्ष- सप्तपर्ण, यक्ष- महायक्ष, यक्षिणी- रोहिणी।
(3) संभवनाथ
चिह्न- अश्व, चैत्यवृक्ष- शाल, यक्ष- त्रिमुख, यक्षिणी- प्रज्ञप्ति।
(4) अभिनंदननाथ
चिह्न- बंदर, चैत्यवृक्ष- सरल, यक्ष- यक्षेश्वर, यक्षिणी- व्रजश्रृंखला।
(5) सुमतिनाथ
चिह्न- चकवा, चैत्यवृक्ष- प्रियंगु, यक्ष- तुम्बुरव, यक्षिणी- वज्रांकुशा।
(6) पद्यप्रभु
चिह्न- कमल, चैत्यवृक्ष- प्रियंगु, यक्ष- मातंग, यक्षिणी- अप्रति चक्रेश्वरी।
(7) सुपार्श्वनाथ
चिह्न- नंद्यावर्त, चैत्यवृक्ष- शिरीष, यक्ष- विजय, यक्षिणी- पुरुषदत्ता।
(8) चंद्रप्रभु
चिह्न- अर्द्धचंद्र, चैत्यवृक्ष- नागवृक्ष, यक्ष- अजित, यक्षिणी- मनोवेगा।
(9) पुष्पदंत
चिह्न- मकर, चैत्यवृक्ष- अक्ष (बहेड़ा), यक्ष- ब्रह्मा, यक्षिणी- काली।
(10) शीतलनाथ
चिह्न- स्वस्तिक, चैत्यवृक्ष- धूलि (मालिवृक्ष), यक्ष- ब्रह्मेश्वर, यक्षिणी- ज्वालामालिनी।
(11) श्रेयांसनाथ
चिह्न- गेंडा, चैत्यवृक्ष- पलाश, यक्ष- कुमार, यक्षिणी- महाकाली।
(12) वासुपूज्य
चिह्न- भैंसा, चैत्यवृक्ष- तेंदू, यक्ष- षणमुख, यक्षिणी- गौरी।
(13) विमलनाथ
चिह्न- शूकर, चैत्यवृक्ष- पाटल, यक्ष- पाताल, यक्षिणी- गांधारी।
(14) अनंतनाथ
चिह्न- सेही, चैत्यवृक्ष- पीपल, यक्ष- किन्नर, यक्षिणी- वैरोटी।
(15) धर्मनाथ
चिह्न- वज्र, चैत्यवृक्ष- दधिपर्ण, यक्ष- किंपुरुष, यक्षिणी- सोलसा।
(16) शांतिनाथ
चिह्न- हरिण, नंदी, यक्ष- गरुढ़, यक्षिणी- अनंतमती।
(17) कुंथुनाथ
चिह्न- छाग, चैत्यवृक्ष- तिलक, यक्ष- गंधर्व, यक्षिणी- मानसी।
(18) अरहनाथ
चिह्न- तगरकुसुम (मत्स्य), चैत्यवृक्ष- आम्र, यक्ष- कुबेर, यक्षिणी- महामानसी।
(19) मल्लिनाथ
चिह्न- कलश, चैत्यवृक्ष- कंकेली (अशोक), यक्ष- वरुण, यक्षिणी- जया।
(20) मुनिंसुव्रतनाथ
चिह्न- कूर्म, चैत्यवृक्ष- चंपक, यक्ष- भृकुटि, यक्षिणी- विजया।
(21) नमिनाथ
चिह्न- उत्पल, चैत्यवृक्ष- बकुल, यक्ष- गोमेध, यक्षिणी- अपराजिता।
(22) नेमिनाथ
चिह्न- शंख, चैत्यवृक्ष- मेषश्रृंग, यक्ष- पार्श्व, यक्षिणी- बहुरूपिणी।
(23) पार्श्वनाथ
चिह्न- सर्प, चैत्यवृक्ष- धव, यक्ष- मातंग, यक्षिणी- कुष्माडी।
(24) महावीर
चिह्न- सिंह, चैत्यवृक्ष- शाल, यक्ष- गुह्मक, यक्षिणी- पद्मा सिद्धायिनी।
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