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शनिवार, 1 जून 2013

हर 8 मिनट पर गुम हो जाता है एक बच्चा


-पिछले 3 साल में 2 लाख 36 हजार 14 बच्चे लापता हुए हैं। इनमें से एक लाख 60 हजार 206 बच्चों की तलाश कर ली गई है, जबकि 75,808 बच्चों का अब भी अता-पता नहीं है

-नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर आठ मिनट पर एक बच्चा गुम हो जाता है, यानी पूरे एक दिन में औसतन 180 बच्चे। ब्यूरो के मुताबिक इनमें से 40% बच्चों का मुंह माता-पिता कभी नहीं देख पाते

खिलौना, गुड़िया, तस्वीरें, किताबें, जूते, फ्रॉक, टोपी, शर्ट, निक्कर..... ये सामान नहीं; बल्कि यादों के खजाने हैं, उन माता-पिता के जिनके बच्चों के नाम पुलिस के गुमशुदा रजिस्टर में दर्ज हैं। इन चीजों के सहारे वे जिंदगी काट रहे हैं। इन्हें देखकर रोते हैं लेकिन एक आस भी भीतर धड़क रही है कि एक दिन बच्चा लौट आएगा। अगर आप माता-पिता हैं तो इसको पढ़ने से पहले शुक्र मनाएं कि आप के जिगर का टुकड़ा आपके पास महफूज है। सुरक्षित रहना भी चाहिए; क्योंकि सुरक्षा उसका जन्मसिद्ध अधिकार है।
आप देश के किसी कोने में रहते हैं, फर्क नहीं पड़ता। अखबार उठाएं और पन्ने के किसी कोने में किसी बच्चे की गुमशुदगी या अपहरण की दुबकी हुई कोई खबर मिल जाएगी। अमेरिका या यूरोप में ऐसा नहीं होता। वहां किसी बच्चे का गायब होने का मतलब होता है राष्ट्रीय हाहाकार। भारत में स्थिति दूसरी है। बच्चे के गायब होने की सूचना पर तुरंत एफआईआर दर्ज कर उसे खोज निकालने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिसतंत्र मामले को डायलूट करने में जुट जाता है। पहले तो प्राथमिकी दर्ज करने में आना-कानी की जाती है। माता-पिता को समझाया जाता है- रास्ता भटक गया होगा, आ जाएगा। आप खोजो, हम भी तलाश करते हैं। अगर रिपोर्ट दर्ज कर भी ली तो कार्रवाई सिफर। अंत में माता-पिता भी थक-हार कर नियति का खेल मान लेते हैं। इसके बाद परिजनों के लिए घर पर शुरू होता है ट्रामा के न खत्म होने वाला दौर।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर आठ मिनट पर एक बच्चा गुम हो जाता है, यानी पूरे एक दिन में औसतन 180 बच्चे। ब्यूरो के मुताबिक इनमें से 40% बच्चों का मुंह माता-पिता कभी नहीं देख पाते।
हाल में खुद सरकार राज्यसभा में स्वीकार कर चुकी है कि पिछले 3 साल में 2 लाख 36 हजार 14 बच्चे लापता हुए हैं। इनमें से एक लाख 60 हजार 206 बच्चों की तलाश कर ली गई है जबकि 75,808 बच्चों का अब भी अता-पता नहीं है। सरकार के मुताबिक, सबसे अधिक बच्चे पश्चिम बंगाल से गायब हुए हैं। पिछले 3 साल में पश्चिम बंगाल से 46,616 बच्चे गायब हुए जिनमें से 30,516 बच्चों की तलाश नहीं की जा सकी है। पश्चिम बंगाल में बच्चों के गायब होने में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। महाराष्ट्र में 42,055 बच्चे लापता हुए जिनमें से 8,489 बच्चों का अब तक पता नहीं चल सका है। मध्य प्रदेश से पिछले 3 सालों में 32,352 बच्चे गायब हुए, जिनमें से अब तक 5,407 बच्चों का पता नहीं चल सका है। यही हाल आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में 11,536 बच्चे गायब हुए जिनमें से 2,986 बच्चों के बारे में अब तक पता नहीं चल सका है। राजधानी दिल्ली में इस दौरान 18,091 बच्चे लापता हुए जिनमें से 2,976 बच्चों की जानकारी नहीं है।

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