प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय
1 आओ झुक कर सलाम करें उनको;
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है;
खुशनसीब होता है वो खून;
जो देश के काम आता है!
2 दिल से मर कर भी ना निकलेगी वतन की उल्फत;
मेरी मिटटी से भी खुशबू-ए-वतन आएगी।
3 आओ देश का सम्मान करें शहीदों की कुर्बानियां याद करें;
एक बार फिर थामें हम युवा देश की की कमान;
आओ स्वतन्त्रता दिवस का करें सम्मान;
4 आज़ादी की कभी शाम ना होने देंगे;
शहीदों की कुर्बानी बदनाम ना होने देंगे;
बची हो जब तक एक भी बूंद लहू की रगों में;
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम ना होने देंगे;
वन्दे मातरम!
5 यूनान-ओ-मिस्र-ओ रोमा सब मिट गए जहां से;
अब तक मगर है बाकि नाम-ओ-निशाँ हमारा;
कुछ बात है की हस्तीम मिटती नहीं हमारी;
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़मां हमारा;
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
6 मिलते नहीं जो हक वो लिए जाते हैं;
हैं आज़ाद हम पर गुलाम किये जाते हैं;
उन सिपाहियों को शत-शत नमन करो;
मौत के साए में जो जिए जाते हैं।
7 वतन हमारा मिसाल मोहब्बत की;
तोड़ता है, दीवार नफरत की;
मेरी खुशनसीबी है, मिली ज़िन्दगी इस चमन में;
भुला न सके कोई खुशबु इसकी सातो जनम में!
8 अब तक जिसका खून न खौला;
वो खून नहीं, वो पानी है; जो देश के काम ना आये;
वो बेकार की जवानी है!
9 बात हवायों को बताये रखना;
रोशनी होगी चिरागों को जलाये रखना;
लहू देकर जिसकी हिफ़ज़त की हमने;
ऐसे तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना!
10 आन देश की शान देश की, देश की हम संतान हैं;
तीन रंगों से रंगा तिरंगा, अपनी ये पहचान है!
11 नफरत बुरी है, न पालो इसे;
दिलो में खालिश है, निकालो इसे;
न तेरा, न मेरा, न इसका, न उसका;
ये सबका वतन है, संभालों इसे!
12 आजाद की कभी शाम नहीं होने देंगें;
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगें;
बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू की;
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगें!
13 आओ देश का सम्मान करें;
शहीदों की शहादत को याद करें;
एक बार फिर से राष्ट्र की कमान;
हम हिन्दुस्तानी अपने हाथ धरे;
आओ स्वंतंत्र दिवस का सम्मान करें!
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