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मंगलवार, 10 सितंबर 2013

पाक-भारत रिश्ता : ममनून से भारत को अपेक्षा


शीतांशु कुमार सहाय

    चाहे पाकिस्तानी आतंकवादी जितने विष घोल दें फिजाओं में पर भारत व पाकिस्तान के पुश्तैनी रिश्ते को न नकार सकते हैं और न ही इस रिश्ते की गहरी जड़ को  तबाह कर सकते हैं। आज ही नहीं; बल्कि जब तक भारत व पाकिस्तान की बुनियाद रहेगी तब तक दोनों देशों के निवासियों के बीच पारिवारिक रिश्तेदारी जारी रहेगी। इन दिनों दोनों देशों के सत्ता व विपक्ष में कई ऐसे बड़े नेता हैं जिनके सम्बन्धी दोनों देशों में हैं। सोमवार को पाकिस्तान के 12वें राष्ट्रपति बने हैं ममनून हुसैन। ये जन्मजात भारतीय हैं। भारत के ऐतिहासिक शहर आगरा में 1940 में जन्मे और 1947 में बँटवारे के समय भारत से पाकिस्तान के कराँची में जा बसे।
    इसी तरह भारत के प्रधान मंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पाकिस्तानी पंजाब प्रान्त में हुआ था। बँटवारे के समय इनका परिवार भारत में आ बसा। यों भारतीय जनता पार्टी के नेता व पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के कराँची में 1927 में हुआ था। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भी जन्म से भारतीय हैं। इतना अधिक लगाव फिर भी पारम्परिक शत्रु बने हैं एक-दूसरे के! यह शत्रुता वास्तव में अन्ध धार्मिकता व आतंकियों की देन है। पर, अब पाकिस्तान के नये राष्ट्रपति ममनून हुसैन से सर्वाधिक अपेक्षा भारत को है कि वे अपनी जन्मभूमि का कर्ज उतारें और भारत से बेहतर रिश्ता बनाएँ। समूचा विश्व जानता है कि ये दो परमाणु शक्ति वाले देशों के रिश्ते यदि सुधर गये तो भारतीय उपमहाद्वीप की तरफ किसी महाशक्ति को भी टेढ़ी नजर डालने में घबराहट होगी। इस कारण भी चीन, ब्रिटेन, अमेरिका या अन्य कई देश दोनों के बीच सौहार्द नहीं बनने देते। वैसे कई कमियाँ दोनों रिश्तेदार देशों के नेताओं में भी हैं। इन्हें आपस में ही दूर किया जा सकता है। दोनों मिल जाएँ तो दोनों देशों से आतंकवादियों का भी सफाया तय है। पर, कतिपय राजनीतिक हित साधने के लिए पाकिस्तान आतंकियों को बढ़ावा दे रहा है। तभी तो उसके महानगर कराँची को सबसे बड़ा आतंकी ठिकाना बताया गया है।
    उम्मीद है कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून अपने को पाक साबित करते हुए भारत से मित्रता की नयी परिभाषा गढ़ेंगे! वे केवल कराँची के चर्चित वस्त्र व्यवसायी ही नहीं; बेहतर राजनीतिज्ञ भी हैं। तभी तो उन्होंने 30 जुलाई को हुए राष्ट्रपति निर्वाचन में सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) के उम्मीदवार के रूप में 73 वर्षीय ममनून ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के उम्मीदवार पूर्व न्यायाधीश वजीहुद्दीन अहमद को हराया। वे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के काफी करीबी हैं। नवाज ने उन्हें सिन्ध प्रान्त का राज्यपाल बनाया था। वह 19 जून से 12 अक्तूबर 1999 तक इस पद पर रहे। शरीफ के खिलाफ मुशर्रफ के सैन्य तख्तापलट के कारण वे पद छोड़ने को मजबूर हुए थे। 1960 के दशक में कराँची के इन्स्टीट्यूट ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन से स्नातक व कराँची चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज के प्रमुख रहे ममनून भारतीय अपेक्षा पर कितना सफल होते हैं यह शीघ्र ही पता चल जाएगा।

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