शीतांशु कुमार सहाय
बाबा रामदेव और काँग्रेस का छत्तीस का आँकड़ा है। सर्वविदित यह तथ्य एक बार फिर से सत्य की कसौटी पर खरा उतरा। छत्तीसगढ़ के योग शिविर के मद्देनजर दोनों के बीच के रार फिर सतह पर आये। बाबा ने 2 चरणों में विधान सभा चुनाव होने वाले राज्य छत्तीसगढ़ में योग शिविर कर रहे थे। इसमें खिलाफत की अपने परम्परागत विरोधी काँग्रेस की। इससे तिलमिला उठी काँग्रेस और कर दी निर्वाचन आयोग में शिकायत। त्वरित गति से आयोग ने बाबा के शिविरों के खर्चे को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में जोड़ने का आदेश दे डाला। आरोप के मद्देनजर कहा गया कि रामदेव के मुख से भाजपा के प्रधानमंत्री के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह का गुणगान व काँग्रेस की बुराई की गयी है। ऐसे में जब निर्वाचन आयोग ने कार्रवाई की तो राजनीति गर्म होनी थी सो हो गयी। दोनों तरफ से वाक्युद्ध का नया दौर चल पड़ा है। नया दौर इसलिये भी कि पहली बार निर्वाचन आयोग ने किसी गैर-राजनीतिक व्यक्ति की सभा को राजनीतिक व उसके खर्च को किसी राजनीतिक दल के खर्चे में जोड़ा है।
दरअसल, निर्वाचन आयोग ने काँग्रेस की शिकायत पर गौर करते हुए यह आदेश दिया है कि योग गुरु रामदेव की सभा का खर्च भाजपा के खाते में जोड़ा जाये। रामदेव ने छत्तीसगढ़ में कई सभाएँ की हैं, जिनमें उन्होंने रमन सिंह सरकार और नरेन्द्र मोदी की जमकर तारीफ की थी। गौरतलब है कि काँग्रेस ने आयोग के समक्ष यह शिकायत की थी कि बाबा रामदेव अपने योग शिविर का इस्तेमाल भाजपा के प्रचार हेतु कर रहे हैं। आरोप है कि उन्होंने 15 विधान सभा क्षेत्रों में योग दीक्षा के कार्यक्रमों में भाग लिया लेकिन ये सभी कार्यक्रम योग से कहीं अधिक राजनीतिक लग रहे थे। विभिन्न दलों द्वारा शिकायत किये जाने के बाद आयोग हरकत में आया। शिकायत में कहा गया कि रामदेव की सभाओं का खर्च भाजपा के चुनाव खर्च में जोड़ा जाए और ऐसा ही हुआ भी। रामदेव को लेकर निर्वाचन आयोग सख्त हो चला है। योग शिविरों में राजनीतिक भाषण देने वाले बाबा रामदेव अब चुनाव आयोग के निशाने पर आ गये हैं। छत्तीसगढ़ के बाद दिल्ली कीे उनकी योग सभाओं पर भी नजर रखी जा रही है। ग़ौरतलब है कि बाबा रामदेव खुले तौर पर भाजपा का समर्थन करते हैं और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत करते हैं। इस बीच, निर्वाचन आयोग ने रामदेव की राज्य में कुछ जगह हुई सभाओं की रिपोर्ट और वीडियो संबंधित जिलाधिकारियों से मांगे हैं।
अब नजर डालते हैं बाबा रामदेव के चन्द शब्दों पर जो उन्होंने मंगलवार को छत्तीसगढ़ के दुर्ग की सभा में जाहिर किये- संसद में बैठे कुछ लोग कर्म कम, कुकर्म ज्यादा कर रहे हैं। अधर्म ज्यादा हो रहा है। ताड़का, रावण, कंस नये अवतार में आ गये हैं। उनका वध करने के लिए सुदर्शन चक्र चलाने की जरूरत नहीं; बल्कि बटन दबाकर ऐसे राक्षसों का नाश करना होगा। किसको बटन दबाना है, ये बताना जरूरी नहीं। आप खुद समझदार हैं। दुर्ग के सुराना कालेज ग्राउंड में योग की क्लास लेने से पहले रामदेव ने राजनीतिक क्लास ली। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर काँग्रेस और सोनिया गाँधी पर जमकर हमले किये। वे काँग्रेस को विदेशी पार्टी मानते हैं और कहते हैं कि इस विदेशी पार्टी का गठन अंग्रेज एओ ह्यूम ने किया। अब शब्दों पर जरा गौर कीजिये- चुनाव में विदेशी पार्टी नहीं; बल्कि भारत की जनता की पार्टी अच्छी है। चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान को विदेशी पार्टी आज भी शहीद नहीं मानती। नेहरू ने दिल्ली में ढाई सौ संतों को गोली से भुनवा दिया। ये खूनी खानदान है। ऐसे में काँग्रेस तिलमिला गयी और और निर्वाचन आयोग से लगायी गयी उसकी गुहार मंजूर भी हो गयी।
ऐसे में एक बात स्पष्ट होनी चाहिये कि कोई गैर-राजनीतिक व्यक्ति भी यदि आदर्श आचार संहिता की अवधि के बीच किसी कार्यक्रम में किसी दल का नाम लेकर उसकी असलियत उजागर करता है जिससे उसकी नकारात्मक छवि बनती है तो क्या जिस दल का नाम नहीं लिया गया उसके खर्च में ही कार्यक्रम का खर्च जुड़ेगा। योग कार्यक्रम में काँग्रेस की सच्चाई बताकर लोगों से संभलकर मतदान करने का आह्वान करने वाले स्वामी रामदेव के कार्यक्रम का खर्च भाजपा के खाते में जोड़ने की गुजारिश काँग्रेस द्वारा की गयी तो छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुनील कुमार कुजूर ने ऐसा ही करने का प्रस्ताव दे दिया। ऐसे में जब कोई मौलवी, मठाधीश या अन्य संगठन के नेतृत्व की ओर से किसी दल की गलत नीतियों का विरोध किया जायेगा तो उस संगठन, मस्जिद या मठ-मन्दिर का खर्च अन्य दल के खाते में जुड़ेगा जिसके विरुद्ध शिकायत की जायेगी?
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