-शीतांशु कुमार सहाय
प्रत्येक वर्ष एक दिसंबर को मनाया जाने वाला विश्व एड्स दिवस के अवसर पर झारखंड पर डालते हैं एक नजर। इस वर्ष एड्स दिवस की थीम ‘एड्स मुक्त पीढ़ी की ओर‘ रखी गयी है। पिछले कुछ वर्षाें के दौरान झारखंड में एचआइवी पीड़ित लोगों और संक्रमण के नये मामले खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं।
एचआइवी संक्रमण में वृद्धि 80 प्रतिशत--
झारखंड में एचआइवी का प्रसार दर तेजी से बढ़ रहा है और अब यह राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच चुका है। नेशनल एड्स कण्ट्रोल ऑर्गेनाइजेशन यानि राष्ट्रीय एड्स नियन्त्रण संगठन (नाको) के हालिया रिपोर्ट-2012 के अनुसार, झारखंड में वयस्कों (15-49 वर्ष) में एचआइवी का प्रसार दर 2011 में 0.25 प्रतिशत था। इसी दौरान राष्ट्रीय औसत 0.27 प्रतिशत था। राज्य में 2007 में एचआइवी का प्रसार दर 0.14 प्रतिशत, 2008 में बढ़कर 0.16 प्रतिशत, 2009 में 0.18 प्रतिशत, 2010 में 0.21 प्रतिशत और 2011 में यह 0.25 प्रतिशत पहुंच गया। वर्ष 2007 से लेकर 2011 के दौरान एचआइवी दर में तकरीबन 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
15 वर्ष से अधिक उम्र वालों में एचआइवी संक्रमण--
झारखंड में 15 वर्ष और उससे अधिक के वयस्कों में एचआइवी संक्रमण के नये मामलों में भी बढ़ोत्तरी देखी गई। 2007 में यह आँकड़ा 4,621 था जो कि 2011 में बढ़कर 9,085 तक पहुँच गया। इन चार वर्षों के दौरान इसमें 100 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। भारत में वयस्कों में नए एचआइवी संक्रमण के मामले आंध्र प्रदेश (16,600) और ओड़िशा (12,700) के बाद झारखंड (9,085) में सबसे अधिक हैं।
48,000 एचआइवी पॉजीटिव--
2007 में झारखंड में एड्स से 1,118 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि 2011 में एड्स से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 1,947 थी। झारखंड में 48,000 एचआइवी पॉजीटिव लोगों में 4 प्रतिशत बच्चे हैं, जिनकी आयु 15 वर्ष से नीचे है। झारखंड में सबसे अधिक एचआइवी प्रसार वाले जिलों में हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, राँची, बोकारो और धनबाद है। गिरिडीह और खूँटी में भी यह उच्च स्तर पर है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आलेख या सूचना आप को कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें। https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/ पर उपलब्ध सामग्रियों का सर्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित है, तथापि आप अन्यत्र उपयोग कर सकते हैं परन्तु लेखक का नाम देना अनिवार्य है।