शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
झारखंड अलग राज्य बनने के 13 वर्षों में लाल आंतक ने कई जिलों में अपनी जड़ें जमा ली हैं। 13 वर्षों में अब तक 4106 से ज्यादा उग्रवादी घटनाएँ हो चुकी हैं। 435 पुलिस जवान और 676 आम लोग नक्सली हिंसा में मारे गये हैं। हालाँकि, राज्य पुलिस ने खुद को आधुनिक असलहों से लैस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सीआरपीएफ की 17 बटालियनों को नक्सली इलाकों में तैनात किया गया है। बावजूद नक्सली बेखौफ होकर लगातार घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
राज्य बनने से पूर्व झारखंड के आठ जिलों में ही नक्सली सक्रिय थे। अब राज्य के 18 जिले पूरी तरह से नक्सलियों के प्रभाव में हैं। फिलहाल, 9 जिलों में नक्सली ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं। इन जिलों में नक्सलियों का राज चलता है। यहाँ लोगों की जिंदगी उनके रहमो-करम पर है और उनका फरमान ही यहाँ कानून है। ग्रामीण क्षेत्र के युवक रोजगार के अभाव में नक्सली संगठन में जुड़ रहे हैं। नक्सल प्रभावित जिलों के व्यवसायी और उनके बच्चे भी डर से गाँव में रहना नहीं चाहते हैं।
नक्सली मुठभेड़ में मरने वालों की संख्या---
वर्ष घटना जवान आम लोग नक्सली
2001 53 29 94 ----
2002 69 20 43 ----
2003 342 16 21 101
2004 379 41 20 128
2005 312 27 07 92
2006 310 43 20 81
2007 482 08 13 149
2008 359 110 ---- ----
2009 510 48 138 40
2010 301 17 17 70
2011 505 32 130 72
2012 479 26 169 31
2013 05 18 04 ----
बड़ी नक्सली घटनाएँ--
पिछले दो वर्षों में ही झारखंड में नक्सलियों ने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है।
21 जनवरी 2012 - गढ़वा के भंडरिया में नक्सलियों ने विस्फोट कर पुलिस वाहन उड़ाया, 12 जवान शहीद।
4 फरवरी 2012 - लातेहार के बालूमाथ में पुलिस जीप उड़ायी, फायरिंग में एक दारोगा और दो जवान शहीद।
9 नवंबर 2012 - गिरिडीह में कैदी वाहन पर हमला, तीन जवान शहीद और एक ग्रामीण की मौत।
20 जनवरी 2013 - लातेहार के बरवाडीह क्षेत्र में मठभेड़, 11 जवान शहीद और चार ग्रामीणों की मौत।
20 जनवरी 2013 - झुमरा में लैंड माइंस विस्फोट में 11 जवान घायल।
3 फरवरी 2013 - गिरिडीह में नक्सलियों के साथ मुठभेड़, एक जवान शहीद।
5 फरवरी 2013 - लातेहार एसपी काफिले पर हमला।
2 जुलाई 2013 - दुमका के काठीकुंड में पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार के काफिले पर हमला, बलिहार समेत 6 जवान शहीद।
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