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सोमवार, 31 मार्च 2014

अरविन्द केजरीवाल पर स्नात्कोत्तर परीक्षा में 46 अंकों के प्रश्न, मोदी पर 20 अंकों के प्रश्न / 46 MARKS QUESTIONS ON ARVIND KEJRIWAL & 20 ON MODI IN M.A. EXAM OF KURUKESHTRA UNIVERSITY


-शीतांशु कुमार सहाय
जिस तेज रफ्तार से अरविन्द केजरीवाल और उनके द्वारा स्थापित आम आदमी पार्टी को सुर्खियों में जगह मिली है, उसका प्रभाव अब विश्वविद्यालयों की परीक्षा में भी देखने को मिल रहा है। सोमवार 31 मार्च 2014 को उत्तर प्रदेश के झाँसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की राजनीति शास्त्र की परीक्षा में केजरीवाल ही छाए रहे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की एमए सेकंड इयर की 'इंडियन पॉलिटिक्स' (भारतीय राजनीति) की परीक्षा में 2 प्रश्नपत्रों में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर 46 नंबर के 4 सवाल पूछे गए। इन दोनों प्रश्न-पत्रों में 20 नंबर का एक सवाल नरेंद्र मोदी पर और 4 नंबर का एक सवाल शिव सेना और अकाली दल की भूमिका पर रहा। राहुल गाँधी और दूसरे नेताओं पर कोई सवाल नहीं पूछा गया।
आप और केजरीवाल पर सवाल----
1. आम आदमी पार्टी के भविष्य पर संक्षिप्त टिप्पणी (2 अंक)
2. आम आदमी पार्टी के घोषणा-पत्र एवं कार्यक्रम का वर्णन कीजिए। (4 अंक)
3. दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत ने भारतीय राजनीति के विमर्श को बदल दिया है। वर्णन करिए। (20 अंक)
4. अन्ना हजारे आंदोलन एवं दिल्ली विधानसभा चुनावों में केजरीवाल की जीत के भारतीय राजनीति पर प्रभाव की विवेचना कीजिए। (20 अंक)
नरेंद्र मोदी पर सवाल----
1. लोकसभा चुनाव 2014 पर नरेंद्र मोदी के प्रभाव की विवेचना कीजिए। (20 अंक)
शिव सेना और अकाली दल 1. अकाली दल और शिव सेना की भूमिका (4 अंक)
ऑप्शनल पेपर है इंडियन पॉलिटिक्स----
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में इंडियन पॉलिटक्स ऑप्शनल पेपर है। कई विश्वविद्यालयों में यह अनिवार्य प्रश्न-पत्र भी होता है। इस ऑप्शनल प्रश्नपत्र में भी 2 विकल्प 'पॉलिटिकल पार्टीज इन इंडिया' और 'डिमॉक्रेसी इन इंडिया' हैं। दोनों ही प्रश्नपत्र 100-100 नंबर के हैं। 'इंडियन पॉलिटिकल पार्टीज' नाम से पाठ्यक्रम तय है लेकिन पाठ्य सामग्री तय नहीं होती। पॉलिटिकल पार्टीज पर कोई भी सवाल पूछा जा सकता है लेकिन सामान्य तौर पर परिपाटी रही है कि एक पार्टी पर एक-दो सवाल ही पूछे जाते हैं। प्रश्न-पत्र के सवाल पेपर सेट करने वाले शिक्षक के विवेक पर निर्भर करते हैं। राजनीति शास्त्र के जानकारों का मानना है कि एक पार्टी से जुड़े इतने सवाल पूछना उचित नहीं लगता। इसकी वजह यह है कि पॉलिटकल पार्टीज पूरे पाठ्यक्रम का एक हिस्सा भर हैं।






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