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बुधवार, 2 अप्रैल 2014

झारखण्ड : धूमधाम से मना प्रकृति पर्व सरहुल, निकाली गयी शोभायात्रा / SARHUL IN JHARKHAND


-शीतांशु कुमार सहाय
आदिवासियों का प्रकृति पर्व सरहुल के अवसर पर बुधवार 2 अप्रैल 2014 को झारखण्ड की राजधानी राँची में विशाल शोभायात्रा निकाली गयी। राज्यभर में सरहुल का पर्व धूमधाम से मनाया गया। पूजा करने वाले को नायके हड़ाम कहते हैं। नायके हड़ाम ने आदिवासियों के इष्टदेव मारांग बुरु व इष्टदेवी जोहार आयो की विधिवत् पूजा की। उन्हें सखुआ का फूल अवश्य चढ़ाया जाता है। श्रद्धालुओं को कान पर सखुए का फूल लगाकर पुजारी द्वारा बधाई दी जाती है। सरहुल का मुख्य उद्देश्य समाज के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए वृक्षों की रक्षा करना है; ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे और मनुष्य सहित अन्य जीवों का जीवन संकट में न पड़े। अखाड़ा व सरना स्थलों पर सुबह में सरहुल की पूजा-अर्चना विधि-विधान से की गयी। मुख्य पूजा 'हातमा' सरना स्थल में हुई। पाहन जगलाल हेमरोम ने पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ मुर्गा की बलि देकर पूजा संपन्न करायी।
राँची के मोरहाबादी के निकट हातमा बस्ती से आरंभ हुई शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होती हुई क्लब रोड के पास सिरमटोली बस्ती पहँुची। सिरमटोली बस्ती में पाहन (आदिवासी पुरोहित) द्वारा पूजा सम्पन्न होने के बाद शोभायात्रा का विसर्जन हुआ। रास्ते में विभिन्न अखाड़ों और मोहल्लों से निकाली गयी झाँकियाँ शोभायात्रा में शामिल हुईं। सिरमटोली पहँुचते-पहँुचते शोभायात्रा ने विशाल स्वरूप ले लिया। ढोल और नगाड़ों की गूँज पर युवक-युवतियों की टोलियाँ सरहुल गीत गाती हुई थिरक रही थीं। बीच-बीच में एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर सरहुल की शुभकामनाएँ भी दे रहे थे। सरहुल गीत, युवक-युवतियों के नृत्य और पारंपरिक वेश-भूषा के कारण सड़क पर झारखंड की समृद्ध संस्कृति की झलक दिख रही थी। इसके साथ-साथ आधुनिक नागपुरी गीतों पर भी लोग थिरक रहे थे। ट्रकों में शामिल वाहनों पर सवार महिलाएँ इस शोभायात्रा का आनंद उठा रही थीं। 
पूजा-अर्चना के बाद दोपहर में राजधानी के विभिन्न मुहल्लों व आसपास के गाँवों से शोभा यात्रा निकाली गयी।, उसमें विभिन्न इलाकों की सरना समितियाँ झंडे और कई आकर्षक झाँकियांे के साथ शामिल हुईं। चडरी सरना समिति द्वारा अल्बर्ट एक्का चौक पर बनाये गये विशाल पंडाल में शोभायात्रा में शामिल लोगों का स्वागत किया गया। कई क्षेत्र की सरना समितियों को सम्मानित भी किया गया। जुलूस में शामिल लोगों के स्वागत के लिए कई अन्य संगठनों द्वारा जगह-जगह शिविर लगाये गये थे। इन शिविरों में जुलूस में शामिल लोगों के लिए चना-गुड़, पेयजल, शर्बत आदि की व्यवस्था भी की गयी थी।
सरहुल के मौके पर उमड़ी भीड़ को लेकर प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे। राज्य में कहीं से भी कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। शोभायात्रा में महिलाओं की बड़ी संख्या को देखते हुए महिला सुरक्षा बल को भी तैनात किया गया था। सभी प्रमुख चौक-चौराहो और संवेदनशील इलाके में दंडाधिकारियों के नेतृत्व में सुरक्षा बल मुस्तैद थे। यातायात सुगम बनाने के लिए शोभा यात्रा के दौरान मार्ग परिवर्तन किया गया था। जिस ओर से सरहुल की शोभायात्रा निकाली गयी, उधर से वाहनों को दूसरी ओर डायवर्ट कर दिया गया था। इस दौरान कुछ लोगों ने लोकसभा चुनाव के मौसम में नेताओं से विविध तरीके से अपनी माँगें भी रखीं।
-होगी अच्छी वर्षा
पूजा संपन्न होने के बाद पाहन ने वहाँ रखे गये घड़े के पानी को देखकर इस वर्ष अच्छी वर्षा होने की भविष्यवाणी की और इसे कृषि के लिए शुभ बताया। मंगलवार को उपवास रखने के बाद पाहन घड़ों में पानी भरकर सरना-स्थल पर रखते हैं। उसमें केकड़े भी डाले जाते हैं। दूसरे दिन सुबह इसी पानी को देखकर भविष्यवाणी की जाती है। पाहन ने कहा कि रात में रखा गया घड़ा सुबह भंडार कोण की ओर झुका पाया गया। यह कृषि और वर्षा के लिए अच्छा संकेत है।
















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