-शीतांशु कुमार सहाय।
झारखंड में शिशु मृत्यु दर सबसे कम दर्ज किया गया है। हाल में जारी वार्षिक स्वास्थ्य सर्वे के ताजा सर्वेक्षण 2012-13 के अनुसार झारखंड में 2010-11 के दौरान शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित जन्म में 41 था, जो कि 2011-12 के दौरान घटकर 38 हुआ और अब 2012-13 में यह 36 पहुंच गया है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के कार्यालय के द्वारा यह सर्वेक्षण 9 राज्यों के 304 जिलों में कराया गया था। इन राज्यों मंे झारखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उड़ीसा और असम शामिल हैं। उŸाराखंड में यह दर 40, छŸाीसगढ़ में 46, बिहार में 48, असम व राजस्थान में 55, ओड़िशा में 56, मध्य प्रदेश में 62 एवं उŸार प्रदेश में सबसे अधिक 68 दर्ज की गयी है।
रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के पांच जिले शिशु मृत्यु दर को 28 तक घटाकर सहस्राब्दी विकास लक्ष्य प्राप्त कर चुके हैं। इन जिलों में पूर्वी सिंहभूम, जहाँ शिशु मृत्यु दर 25, धनबाद 26, बोकारो 28, गिरिडीह 28 और कोडरमा 27 शामिल हैं। राज्य के अन्य चार जिले भी 2015 के अंत तक शिशु मृत्यु दर के इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं। इनमें हजारीबाग 29, राँची 30, देवघर 31 और गढ़वा 33 शामिल है। हालाँकि, कुछ जिलों में शिशु मृत्यु दर अभी भी काफी ऊँचा है। इनमें गोड्डा 54, साहिबगंज व पाकुड़ 52 और पश्चिमी सिंहभूम और लोहरदगा 53 शामिल हैं। राज्य में न केवल शिशु मृत्यु दर बल्कि नवजात मृत्यु दर में भी गिरावट आयी है। वर्तमान में यह प्रति 1000 जीवित जन्मंे बच्चों में 23 है। 2010-11 में यह 26 और 2011-12 में 24 था।
यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख जॉब जकारिया ने कहा कि झारखंड 2015 तक शिशु मृत्यु दर को 28 तक घटाकर सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि शिशु मृत्यु और नवजात मृत्यु को घटाने के लिए संस्थागत प्रसव, जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान, जन्म के पहले 6 महीने तक सिर्फ स्तनपान, महिलाओं में एनीमिया और खुले में शौच को घटाने के साथ-साथ लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना भी जरूरी है।
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