-शीतांशु कुमार सहाय
पिछले कुछ दिनों से 'आधार' की असुरक्षा पर कई प्रश्न
उभरे। इस सम्बन्ध में कई समाचार भी आये। भारतीय विशिष्ट
पहचान प्राधिकरण ( भाविपप्रा या यूआईडीएआई) आधार नामांकन और
प्रमाणीकरण, आधार जीवन
चक्र के सभी चरणों के प्रबंधन और संचालन सहित, व्यक्तियों
को आधार नम्बर जारी करने
और प्रमाणीकरण करने के लिए नीति, प्रक्रिया
और प्रणाली विकसित करने के
लिए और पहचान जानकारी तथा प्रमाणीकरण रिकॉर्ड की सुरक्षा सुनिश्चित
करने के लिए जिम्मेदार है। पर, इस जिम्मेदार में सेंध लग रही है।
आधार डाटा लीक होने के समाचारों के बीच केंद्रीय सरकार इस की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने की तैयारी में जुट गयी है। इस के तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण हर आधार कार्ड का एक आभासी पहचान (वर्चुअल आईडी) तैयार करने का मौका देगी। इस से आप को जब भी अपनी आधार कहीं देने की जरूरत पड़ेगी, तो आप को १२ अंकों के आधार नंबर की बजाय १६ अंकों की वर्चुअल आईडी (VID) देनी होगी। यूआईडीएआई के मुताबिक, वर्चुअल आईडी बनाने की यह सुविधा १ जून से अनिवार्य हो जायेगी। ऐसी सार्वजनिक घोषणा बुधवार,
१० जनवरी
२०१८ को की गयी।
भाविपप्रा
की तरफ से यह कदम उस घटना के बाद उठाया गया है, जिस
में आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी चोरी होने की बात सामने आयी थी। अंग्रेजी अखबार 'द ट्रिब्यून' ने एक तहकीकात की थी, जिस में इस तरह की बातों का खुलासा हुआ है। ट्रिब्यून के अनुसार, उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र ५०० रुपये में यह सर्विस खरीदी और करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया। तहकीकात में उन्हें एक एजेंट के बारे में पता लगा। उस एजेंट ने मात्र 10 मिनट में एक गेटवे और लॉग-इन पासवर्ड दिया। उस के बाद उन्हें सिर्फ आधार कार्ड का नंबर डालना था और किसी भी व्यक्ति के बारे निजी जानकारी आसानी से मिल गयी। इस के बाद ३०० रुपये अधिक देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी को प्रिंट करवाने का भी एक्सेस मिल गया। इस के लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था। हालाँकि आधार के आँकड़ों की असुरक्षा के पिछले
आशंकाओं की तरह ही, 'द ट्रिब्यून' के रिपोर्ट को भी भारतीय विशिष्ट
पहचान प्राधिकरण ( यूआईडीएआई) ने सच्चाई से परे बताया
और पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करा दी। पर, ऐसे सारे रिपोर्ट्स गलत थे तो फिर
आभासी पहचान यानी वर्चुअल आईडी बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
भाविपप्रा ने कहा है कि बृहस्पतिवार, १ मार्च २०१८ से यह सुविधा आरम्भ
हो जायेगी। लोग अपना आभासी पहचान (वर्चुअल आईडी) तैयार करने लगेंगे। १२ अंकों के आधार संख्या की जगह १६ अंकों की आभासी पहचान संख्या को शुक्रवार, १ जून २०१८ से अनिवार्य कर देने की योजना
केन्द्र सरकार ने बनायी है। इस का मतलब यह है कि १ जून से सभी एजेंसियों को इसे लागू करने के लिए व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। इस के बाद कोई भी एजेंसी वर्चुअल आईडी स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकती है।
यूआईडीएआई के अनुसार, आभासी पहचान संख्या सीमित केवाईसी (नो योर कस्टमर/ग्राहक
पहचान पत्र) होगी। संबद्ध एजेंसियों की पहुँच आधार के मूल अभिलेख तक नहीं होगी। ये एजेंसियाँ भी सिर्फ वर्चुअल आईडी यानी आभासी पहचान संख्या के आधार पर ही सब काम निबटा सकेंगी। यूआईडीएआई ने वर्चुअल आईडी की जो व्यवस्था लायी है, इस के तहत उपयोगकर्ता जितनी बार चाहे उतनी बार आभासी पहचान संख्या बना सकता है। आभासी पहचान संख्या कुछ समय के लिए ही वैध रहेगी। भाविपप्रा सुविधा देगा कि आप स्वयं अपना आभासी पहचान संख्या बना सकें। इस तरह आप अपनी मर्जी की एक संख्या चुनकर जिस से
काम है, उस एजेंसी को सौंप सकते हैं। इस से आप का आधार अभिलेख सुरक्षित रहेगा। वर्चुअल आईडी की व्यवस्था आने के बाद हर एजेंसी आधार वेरीफिकेशन के काम को आसानी से और पेपरलेस तरीके से कर सकेंगी।
भाविपप्रा सभी एजेंसियों को दो श्रेणियों में बाँट देगा। इस में एक स्थानीय और दूसरी वैश्विक श्रेणी होगी। केवल वैश्विक एजेंसियों को ही आधार नंबर के साथ ईकेवाईसी की एक्सेस होगी। स्थानीय एजेसियों को सीमित केवाईसी की सुविधा मिलेगी।
भाविपप्रा हर आधार संख्या के लिए एक टोकन जारी करेगा। इस टोकन की बदौलत ही एजेंसियां आधार डिटेल को वेरीफाई कर सकेंगी। यह टोकन नंबर हर आधार नंबर के लिए अलग होगा। यह टोकन स्थानीय एजेसियों को दिया जायेगा।
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