भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, कवि, प्रखर वक्ता व दिग्गज राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी
का आज बृहस्पतिवार, 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान
संस्थान में निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे। यहाँ मैं प्रस्तुत कार रहा हूँ दिल को
छू जानेवाली उन की कविता।
मौत से ठन गयी
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इस का वायदा
न था,
रास्ता रोककर वह खड़ी हो
गयी,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी
हो गयी।
मौत की उमर क्या है? दो पल
भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज-कल
की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन
से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से
क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे
से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी
का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात वंशी
का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म
ही नहीं,
दर्द अपने-पराये कुछ कम
भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझ
को मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई
गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैं
ने किये,
आँधियों में जलाये हैं बुझते
दिये।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान
है,
नाव भँवरों की बाँहों में
मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी
तन गयी।
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