-शीतांशु कुमार सहाय
धर्मशास्त्रों में उजागर देव भक्ति की महिमा से उपजी श्रद्धा ने हर युग में भक्त व भगवान के रिश्तों को मजबूती से जोड़े रखा है। भक्ति के लिए कई पूजा परंपराएं और उपासना के उपाय प्रचलित है। आस्था में डूबे सारे भक्त शास्त्रों में बताई देव उपासना से जुड़ी सारी बातों के जानकार नहीं होते, इसलिए वे पूजा-पाठ के दौरान कई अनजाने में कई छोटी-छोटी चूक भी करते हैं। इसी कड़ी में शिव पूजा के दौरान भी एक ऐसी गलती कई भक्त अनजाने में करते नजर आते हैं, हालाँकि शिव भक्तवत्सल है और पूजा का पूरा पुण्य देते हैं। हर शिव भक्त को भक्ति की मर्यादा का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
शिव उपासना में बेलपत्र का चढ़ावा पापनाशक व सांसारिक सुखों को देने के नजरिये से बहुत अहमियत रखता है। खासतौर पर शिव भक्ति के दिनों जैसे सोमवार को बेलपत्र का चढ़ावा मनोरथ सिद्धि का श्रेष्ठ उपाय भी है। शास्त्रों में शिव उपासना की नियत मर्यादाओं की कड़ी में बेलपत्र चढ़ाने से जुड़ी कुछ खास बातें उजागर हैं। इन नियमों में बिल्वपत्रों को कुछ खास दिनों पर ही तोडऩा व बेलपत्र न होने पर शिव पूजा का तरीके बताए गए हैं।
शास्त्रों के मुताबिक इन तिथियों या दिनों पर बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए -
चतुर्थी,
अष्टमी,
नवमी,
चतुर्दशी,
अमावस्या,
संक्रांति (सूर्य का राशि बदल दूसरी राशि में प्रवेश) और
सोमवार।
बेलपत्र न होने की स्थिति में शिव पूजा में यह उपाय करना चाहिए। चूँकि बेलपत्र शिव पूजा का अहम अंग है, इसलिए इन दिनों में बेलपत्र न तोडऩे के नियम के कारण बेलपत्र न होने पर नये बेलपत्रों की जगह पर पुराने बेलपत्रों को जल से पवित्र कर शिव पर चढ़ाये जा सकते हैं या इन तिथियों के पहले तोड़ा बेलपत्र चढ़ाएं।
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