-शीतांशु कुमार सहाय
हे माता अम्बिका भवानी, करती हो जग-कल्याण।
जग में तू ही मार्गदायिनी, चले उस पर इन्सान।
हर काल और लोक में, होती है पूजा तेरी।
भक्त तुम्हारे बने हैं हम भी, सुन ले अरज हमारी।।
चित्ताकर्षक तेरा विग्रह, हृदय में प्रेम तुम्हारा।
गंगावटवासिनी सब है तेरा, यहाँ न कुछ है मेरा।।
केवल एक है भक्ति अपनी, करुँ चरणों में अर्पण।
रूप दिखा दे माता अपनी, करुँ न्योछावर प्राण।।
जग में तू ही मार्गदायिनी, चले उस पर इन्सान।
हे माता अम्बिका भवानी, करती हो जग-कल्याण।
जग में तू ही मार्गदायिनी, चले उस पर इन्सान।
घोर-काल और वज्र-दण्ड का, वध किया है तुम ने।
दुर्मुख और चण्ड-मुण्ड को खत्म किया है तुम ने।।
हे महाशक्ति माता भवानी, त्रिदेवों की उपवासी तू।
हे महामाया माता नन्दिनी, आमी की है वासी तू।।
सत्य में तपकर सुरथ-समाधि ने किया तेरा सन्धान।
तेरी भक्ति करके मानव, बन जाये भगवान।।
जग में तू ही मार्गदायिनी, चले उस पर इन्सान।
हे माता अम्बिका भवानी, करती हो जग-कल्याण।
जग में तू ही मार्गदायिनी, चले उस पर इन्सान।
सरस्वती और लक्ष्मी-काली, तू माता अतुलित बलशाली।
तेरी ही शक्ति सब देवों में, करती सब की रखवाली।।
हे आदिशक्ति-अम्बिका भवानी! तुम ने सब का उद्धार किया।
ब्रह्मा-विष्णु-शिव-राम-कृष्ण बन सब का ही उपकार किया।।
तेरी आराधन से मुख मोड़कर भटक रहा इन्सान।
मोक्ष-मुक्ति को देनेवाली, अम्बे तू है महान।।
जग में तू ही मार्गदायिनी, चले उस पर इन्सान।
हे माता अम्बिका भवानी, करती हो जग-कल्याण।
जग में तू ही मार्गदायिनी, चले उस पर इन्सान।
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