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सोमवार, 27 अप्रैल 2020

कोरोना वायरस Coronavirus (Episode-2)

कोरोनाशास्त्रम्-२ 

-अमित कुमार नयनन


नरसिंहावतार कोरोना


         कोरोना बारबार, बारम्बार अपने रूप बदलने में मेधावी है। उस की इस मेधा में उसे एक साथ कई जीवरूप लेने व कई जीवोंरूपों के साथ एकसाथ प्रकट होने की क्षमता को प्रकट कर दिया है। इस प्रकार ‘नरसिंहावतार कोरोना’ का उदय भी हो चुका है।

कोरोना स्तुति

ईश्वर की तरह प्रकट होकर भी अप्रकट,
दृश्य होकर भी अदृश्य, 
महाकाल की तरह 
समय के चक्र के साथ 
समय के चक्र को अपनी अँगुलियों में धारण कर 
कालचक्र को स्थिर कर 
‘कोरोना काल’ से ‘कोरोना महाकाल’ पर स्थिर कर 
समस्त विश्व को यथास्थिति जहाँ-का-तहाँ,
चलचित्र से स्थिर चित्र की तरह स्थिर,
फ्रीज किये, टाइम मशीन में पाउज बटन दबा,
अपने अन्य हस्त की अँगुलियों पर
समस्त विश्व को नचाते और नाचने को मजबूर कर,
बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण की तरह
प्रयोगशाला के कारावास से निकल,
जन्म के बाद उसे खत्म करने आये
पूतनारूपी शुभचिन्तकों का खात्मा,
विश्वरूपी कालिया नाग
जिस के जन्म के साथ ही 
सारी दुनिया उस की जान की दुश्मन बन गयी,
के सिर पर सवार होकर नृत्य करते,
श्रीकृष्ण की भाँति बाल्यावस्था में ही नटलीला करते,
नटराज की तरह नटराजनृत्य करते,
समस्त विश्व में ताण्डव करते,

अदृश्य महाकाली की तरह खप्पड़ लेकर
खून की प्यासी कई मुण्डों की माला धारण किये, 
रक्तबीज की तरह रक्तरंजित धरती पर
रक्त की हर बूँद के साथ
एक और नव रक्तबीज की तरह प्रकट होते,
जन्म के साथ ही अपने पिता जन्मदाताओं की बलि,
भस्मासुर की तरह
विशिष्ट वरदान शक्ति देनेवाले
अपने निर्माताओं के ऊपर ही
अपनी पूर्व व नव शक्ति का प्रयोग,
वामन अवतार की तरह
प्रथम पग में ही दुनिया लाँघते,
अर्द्धनारीश्वर की तरह
नर-नारी दोनों लक्षणों से युक्त,
नरसिंहावतार की तरह
विविध जीवधारी काया को अपनी काया में समेटे
विविध कायाधारी, महाविलक्षणधारी,
महाशक्तिशाली, महाप्रतापी
कलियुग के कोरोना असुराधिराज
महा असुर बनाम महिषासुराधिराज
विविध प्रकार के
सार्वकालिक दैवीय शक्तियों से लैस
कलियुग का असुर सम्राट 
कोरोना महाराज पधार रहे हैं.....! 
कोरोना महाराज की जय हो!  

Flashback

         कोरोना एक ऐसा असुर, महाअसुर, महिषासुर है, जिस के पास तमाम विविध दैवीय शक्तियाँ हैं, जो उसे वरदान में मिली हुई हैं। इन्हीं शक्तियों के बल पर वह समस्त बिश्व में उत्पात मचा रहा है। 
         कलियुग के अन्तिम चरण में कोरोना नाम के असुर ने जन्म लिया। इस की प्रकृति और प्रवृत्ति जन्म से ही अज़ीब थी। यह समय और स्थिति के अनुसार अपने चेहरे और स्वभाव बदल रहा था। इसलिए इस बहुरूपिया चरित्र को वश में करना अति कठिन था।
         कोरोना असुर के पास कई प्रकार की दैवी शक्तियाँ थीं जो उसे कलियुग के देवताओं-ऋषियों अर्थात् शासकों-वैज्ञानिकों की कृपा से मिली थीं। इस में कलियुग के कई ऋषि, मुनि, देवताओं ने विविध बुद्धिजीवियों, वैज्ञानिकों, राजशाहों, तानाशाहों के रूप में विविध वरदान उसे दिये थे। इस प्रकार यह असुर शक्तिशाली से महाशक्तिशाली बन गया था।

महाशक्तिशाली कोरोना

         इस क्रम में एक शक्ति उस की यह थी कि उस के एकाधिक चेहरे थे। समय और स्थिति के अनुसार वह स्वयं को बदल सकता था। विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता अद्भुत होने के कारण अपने प्रतिरोधी-विरोधी शक्तियों से निपटने की स्थितिनुसार स्वतः क्षमता वृद्धि की अतिविशिष्ट प्रतिभा भी उस में विद्यमान थी। 
         कोरोना के पास जो भी शक्तियाँ हैं, वह आम नहीं; बल्कि विशिष्ट विशेष है। उस के पास दैवी शक्तियाँ हैं जो उसे कलियुग के देवताओं से प्राप्त हुई हैं। विविध देवताओं ने उसे महाशक्तिशाली और अजातशत्रु बना दिया है। इस से कोई नहीं जीत सकता। यह अजेय है।
       सारी दुनिया में मन्थन चल रहा है कि इस अजेय विशिष्ट विशेष शक्तियों से लैस महाबली महाप्रतापी महाशक्तिशाली असुर को कैसे वश में किया जाय। इसे ख़त्म कैसे किया जाय? इस के ख़ात्मे की तो बात ही छोड़िये, अभी तो यह काबू में ही नहीं आ रहा- बेकाबू!

असुर महासुर महिषासुर

        कोरोना कलियुग के उन देवताओं की अवैध सन्तान है जो स्वयं किसी असुर से कम नहीं हैं। इन्द्र की तरह स्वर्ग का सिंहासन बचाये रखने के लिए हमेशा येन-केन-प्रकारेण शक्तियाँ अर्जित-वर्द्धित करते रहने में सजग-व्यस्त कलियुग के देवताओं ने अति उत्साह में एक असुर को ऐसी शक्तियाँ दे डालीं कि एक ऐसे महाशक्तिशाली असुर का जन्म हो गया जो उनसे भी ज़्यादा शक्तिशाली है। अब यह असुर भस्मासुर की तरह उन की शक्ति उन्हीं पर आजमाने में व्यस्त है। विश्व के तमाम देवता इधर-से-उधर भागे-भागे फिर रहे हैं।

कोरोना विश्व-भ्रमण 


       इस ने अति अल्पकाल में, शिशुकाल में ही विश्व-भ्रमण कर लिया और वामन अवतार की भाँति प्रथम पग धरती पर रखा। अभी आकाश और पाताल लाँघना तो बाकी थे। इस ने आकाश-पाताल भले न लाँघा मगर इस की पाताल से गहरी गहराई को मापना अवश्य मुश्किल था। इस ने दुनिया को दिन में ही तारे भी दिखा दिये।

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