सोमवार, 25 मई 2020

कोरोना वायरस- ३ : कलियुग के ऋषियों की तपस्या का परिणाम Coronavirus-3 : The Result of the Sages's Penance of Kali Yuga

कोरोनाशास्त्रम्-३

-अमित कुमार नयनन
     अमृत मन्थन प्रयोगशाला में कलियुग के ऋषि-मुनि तपस्या में लीन हैं। ईश्वर से वरदान प्राप्त कर विविध प्रकार की उपलब्धि प्राप्त कर रहे हैं। 
     यह दुनिया स्वर्ग के समान थी। इस पर धरती के इन्द्र दरबार लगा कई देवताओं से मिलकर राजकाज चला रहे थे। इस दरबार में सभी प्रकार के देवता विराजमान थे। सभी प्रकार के देवता दरबारी थे। इन के दरबार में इन के विविध कारनामों की अप्सराएँ नृत्य कर रही थीं। तभी कोरोना नाम का एक असुर न जाने कहाँ से इन की सभा में खलल डालने आ गया। इस असुर ने विविध देवताओं की आराधना कर विविध आसुरी शक्तियाँ हासिल कर ली थीं। उन्हीं आसुरी शक्तियों के बल पर वह अजेय हो गया था और स्वर्गरूपी विश्व में तहलका मचा रहा था। इन्द्र का सिंहासन डोलने लगा था। एक बार फिर! एक बार फिर इन्हें त्रिदेव याद आये। मगर वरदान लेकर आये कोरोनासुर को स्थितियों के अनुसार समय से पहले ख़त्म करना सम्भव न था। उसे वरदान के सम्मान के साथ ही संहार किया जा सकता था।
     इन्द्र का सिंहासन डोलने लगा था। स्वर्ग में अफरातफरी मच गयी थी। सारे देवता इधर-से-उधर भाग रहे थे। कोरोनासुर को वश में करना किसी एक देवता के वश में नहीं था। अपने कारनामों से समस्त विश्व को अचम्भित कर देनेवाला महाप्रतापी महादानव कोरोनासुर को वश में करने के लिए विश्व के सारे देवता तपस्या करने लगे। हालाँकि उन की तपस्या का ही एक परिणाम कोरोनासुर भी है। अब आगे-आगे देखिये होता है क्या...? 

ईश्वर और कोरोनासुर

     ईश्वर का नियम है कि जो भी मेहनत करता है, उसे वह उस का फल अवश्य देते हैं। इस क्रम में आसुरी शक्तियाँ भी उन से वरदान प्राप्त कर उस का दुरूपयोग करने की कोशिश करती हैं। अलबत्ता, बुरे का अन्त बुरा होता है- यह भी विधि का विधान है। अपने बुरे अन्त से पूर्व कोरोनासुर अपनी अँगुलियों के इशारे पर दुनिया को नचा रहा है। दुनिया को नाको चने चबवा रहा है।
     कोरोना वायरस शृंखला के पहले के दो भागों को भी पढ़ें ;-

कोरोना वायरस' - २ (कोरोनाशास्त्र - २) Coronavirus-2

कोरोना वायरस' - १ (कोरोनाशास्त्र - १) Coronavirus-1


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