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मंगलवार, 30 जून 2020

भारत में ये ५९ मोबाइल ऐप्लीकेशन्स प्रतिबन्धित 59 Chinese Mobile Apps Restricted in India

Here is the list of apps blocked by the government of India :

1. TikTok
2. Shareit
3. Kwai
4. UC Browser
5. Baidu map
6. Shein
7. Clash of Kings
8. DU battery saver
9. Helo
10. Likee
11. YouCam makeup
12. Mi Community
13. CM Browers
14. Virus Cleaner
15. APUS Browser
16. ROMWE
17. Club Factory
18. Newsdog
19. Beutry Plus
20. WeChat
21. UC News
22. QQ Mail
23. Weibo
24. Xender
25. QQ Music
26. QQ Newsfeed
27. Bigo Live
28. SelfieCity
29. Mail Master
30. Parallel Space
31. Mi Video Call – Xiaomi
32. WeSync
33. ES File Explorer
34. Viva Video – QU Video Inc
35. Meitu
36. Vigo Video
37. New Video Status
38. DU Recorder
39. Vault- Hide
40. Cache Cleaner DU App studio
41. DU Cleaner
42. DU Browser
43. Hago Play With New Friends
44. Cam Scanner
45. Clean Master – Cheetah Mobile
46. Wonder Camera
47. Photo Wonder
48. QQ Player
49. We Meet
50. Sweet Selfie
51. Baidu Translate
52. Vmate
53. QQ International
54. QQ Security Center
55. QQ Launcher
56. U Video
57. V fly Status Video
58. Mobile Legends
59. DU Privacy

सोमवार, 29 जून 2020

भारत की कुण्डली का सच

-अमित कुमार नयनन 

भारत की कुण्डली वृष लग्न की है और इस की राशि कर्क है। वृष स्थिर तो कर्क चर राशि है अतः स्थिर व चरात्मक दोनों प्रवृति का इस की प्रवृति व प्रकृति में समावेश होगा। वृष व कर्क दोनों ही राशियाँ स्वभाव से मृदु हैं, अतः इस देश की प्रकृति मृदु व स्नेहशील होगी व इस में सहनशीलता व विवेकशीलता अन्य देशों की अपेक्षा अधिक रहेगी। लग्नेश शुक्र का राशीश चन्द्र के साथ तृतीय भाव में युति इस के दीर्घकालिक अवस्था को सबलता से दर्शाता है । लग्न में लग्नेश शुक्र मित्र राहु अपनी उच्च राशि में बैठा है। इस प्रकार लग्न के लिए यह एक अच्छी स्थिति है। लग्नेश का तृतीय पराक्रम स्थान में सूर्य, चन्द्र, बुध, शनि के साथ बैठना व केतु से देखा जाना इस देश के विविध लोग और सभ्यता व संस्कृति के दर्शन को सरल तरीके से इंगित करता है। तृतीय में विविध प्रकृति के पंचग्रह की युति कुछ हद तक संत या एकाकी योग को भी बताता है। इस में भी संदेह नहीं कि भारत धर्म और अध्यात्म का धनी देश है। इस प्रकार इस की विविधता में एकता का बल लक्षित होता है जो कि पूर्णतया सही है।
     भारत भौगोलिक रूप से तीन दिशाओं पूर्व, पश्चिम, दक्षिण दिशा की ओर जल से घिरा प्रायद्वीप है जिस के एकमात्र उत्तर में विशालकाय हिमालय व भूखण्ड आदि हैं।
भारत की कुण्डली में तृतीय पराक्रम स्थान जितना प्रबल है, उतना ही चतुर्थ जनता, अचल सम्पत्ति व भूमि स्थान कमजोर है। तृतीय स्थान में जो ग्रह बल, पराक्रम आदि की वृद्धि कर रहे हैं, वही ग्रह जनता, अचल संपत्ति व भूमि के लिए बाधा भी दे रहे हैं; क्योंकि तृतीय स्थान, चतुर्थ स्थान का व्यय स्थान है। यह युति चूँकि कर्क राशि में बन रही है, अतः उत्तर दिशा भारत के लिए इस मामले में सदा चिन्ता का मसला रहेगा। तृतीय स्थान में पंचग्रह युति जहाँ बल व पराक्रम के लिए अच्छी है, वहीं यह अचल संपत्ति व भूखंड के लिए बिल्कुल सही नहीं है। इसी कारण तृतीयस्थ शनि महादशा  में पाक व चीन युुद्ध हुआ व तिब्बत एवं कैलाश व मानसरोवर जैसे भूखंड इस वक्त चीन के कब्जे में हैं। अतः कुल ९ महादशा ग्रहों में इन पाँच ग्रहों की दशा में सीमा विवाद अक्सर बना रहेगा। कुल १२० साल की महादशा में शनि १९ साल, बुध १७ साल, शुक्र २० साल, सूर्य ६ साल व चन्द्र १० साल आते हैं जो ८२ साल अर्थात् कुल दशा का दो-तिहाई से भी अधिक साल आते हैं। अतः संक्षेप में भारत को अपने दशाकाल में अक्सर सीमा व भूमि विवाद बना रहेगा और इन पाँच ग्रहों की दशा में यह विशेष होगा।
भारत की आज़़ादी के समय ज्योतिषियों द्वारा आज़ादी का निर्धारित किया गया समय पूर्ण शुभ न होने के कारण आज यह स्थिति है। यही पंचग्रह यदि लग्न, दशम् या एकादश में होते तो देश की स्थिति कुछ और होती। फिर भी बल व पराक्रम का स्थान मजबूत होने के कारण यह एक मजबूत देश है और रहेगा। 
चन्द्र महादशा
      २१ मई २०१५ से २१ मई २०२५ तक चल रही चन्द्र महादशा में चन्द्र महादशा की चन्द्र अंर्तदशा २१ मई २०१६ तक व्यतीत हो चुकी है। इस के उपरांत चन्द्र महादशा में मंगल अंतर्दशा से लेकर चन्द्र महादशा में अन्य समस्त अंतर्दशा का फल निम्न उल्लेखित है।
      चन्द्र महादशा की १० साल की महादशा पूर्णता के पश्चात् २१ मई २०२५ से ७ साल की मंगल महादशा २१ मई २०३२ तक चलेगी।
चन्द्र महादशा बनाम अंतर्दशा फल
भारत की जन्मकुण्डली में इस वक्त चन्द्र की महादशा चल रही है। यह स्वबल, पराक्रम, संचार की दशा है मगर साथ ही भूमि के लिए व्ययशील होने के कारण भूविवाद की उलझनें बनी रहेंगी। इस के साथ यह मानसिक कार्य, नेवी व स्त्रीशक्ति के लिए विशेष लाभ लेकर आयेगी। चन्द्र महादशा में मंगल की अंर्तदशा २१ मई २०१६ से २१ दिसंबर २०१६ तक रही है। मंगल द्वितीय भाव में व्ययेश होकर बैठा है, अतः अनपेक्षित विदेशी, एनआरआई, परदेस से सहयोग व आर्थिक लाभ अपेक्षित है। संतति भाव पर मंगल की दृष्टि खेल मुख्य रूप से आक्रामक खेलों के नजरिये से शुभ है। यद्यपि मंगल मारकत्व प्रभाव से भी देख रहा है, अतः खेल या फिल्म जगत की विशेष हस्ती का वियोग आदि अपेक्षित है। मंगल सप्तम का स्वामी होने के कारण साझेदारी, आयात निर्यात, इंटरनेशनल व्यापार आदि में प्रसार देता रहा है। मंगल का प्रभाव २१ दिसंबर २०१६ तक है। तत् चन्द्र महादशा में राहु की अन्तर्दशा २१ दिसंबर २०१६ से २१ जून २०१८ तक जारी रही। राहु लग्न में उच्च का हो तृतीयस्थ शुक्र का फल भी देता रहा। इस प्रकार यह संचार व्यवस्था के लिए अतिशुभ रहा। परिवहन, कूरियर, टेलिमीडिया, मीडिया जैसे क्षेत्रों में विशेष विकास होगा। फिल्म जगत के लिए भी यह एक शुभ व सुखद दौर रहा। इस प्रकार १८ माह की यह अंतर्दशा अपने शुभ प्रभाव के साथ जारी रही। तत् १६ माह की वृहस्पति अंतर्दशा का दौर २१ जून २०१८ से २१ अक्टूबर २०१९ तक मिश्रित रहा। एक ओर तो यह आर्थिक लाभ कराता रहा है मगर साथ ही साझेदार या साझेदारी या अन्यत्र समस्या भी देता रहा है। इसे मिश्रित कहा जा सकता है। तत् १९ माह के शनि अंतर्दशा का दौर २१ अक्टूबर २०१९ से २१ मई २०२१ तक होगा। यह भूविवाद, आतंकवाद आदि मुद्दों का समय है। यह देश में उथल-पुथल को भी दर्शा रहा है। यद्यपि समस्याओं का अंततः समाधान होगा मगर विशेषतः उत्तर-पश्चिम, पूर्वोत्तर भारत व विदेशी क्षेत्र में भारत को सावधान रहना होगा। सीमा विवाद के मामले में भारत को पूर्ण रूप से सतर्क रहने की ज़रूरत है। तत् 17 माह की बुध अंतर्दशा २१ मई २०२१ से २१ अक्टूबर २०२२ तक व्यापारिक संदर्भ की अतिशुभ दशा है। इस दरम्यान बैंकिंग सेक्टर, स्टॉक मार्केट, मनी मैटर्स, आर्थिक क्षेत्र में मुख्यतः प्रसार होगा। तत् ७ माह की केतु अंतर्दशा २१ अक्टूबर २०२२ से २१ मई २०२३ तक मिश्रित आक्रामक तेवर के साथ आयेगी। अच्छा व बुरा दौर आकस्मिक प्रभाव के साथ होगा। आकस्मिक उठापटक व अप्रत्याशित घटनाक्रम का समय है। तत् २० माह की शुक्र अंतर्दशा २१ मई २०२३ से २१ जनवरी २०२५ तक कला, सिनेमाई, मीडिया, संचार, परिवहन आदि के लिए सुफल लेकर आएगा। यह दौर मुख्यतः लव, रोमांस, स्त्री संबंधी सम मनोरंजक फिल्मों का होगा व ऐक्शन का कम प्रभाव होगा, ऐसी फिल्में ज्यादा प्रसार व उपलब्धि अर्जित करेंगी व भारतीय सिनेमा को समृध करेंगी। तत् ६ माह की सूर्य अंर्तदशा २१ जनवरी २०२५ से २१ जुलाई २०२५ भूविवाद के साथ स्वबल व पराक्रम की दशा भी होगी। यह एक राजनैतिक विकलता व सफलता का दौर होगा। 
     इसी के साथ तत् चन्द्र महादशा की १० साल की महादशा की अवधि पूर्णता उपरांत ७ साल की मंगल महादशा का आरंभ होगा।।

बुधवार, 10 जून 2020

कोरोना हाइलाइट्स Corona Highlights

-अमित कुमार नयनन 
     कोरोना ने काफी कम समय में कई बड़े कारनामे किये हैं। इस के सम्पूर्ण सन्दर्भ को एक बार में तो नहीं विश्लेषित किया जा सकता, फिर भी इस के कुछ विशेष विशेषताओं पर तो एक नज़र डाली ही जा सकती है।

कोरोना : एक जैविक हथियार

     इतिहास में हम ने विविध प्रकार के संहारक अस्त्र-शस्त्र के बारे में सुना है। पौराणिक काल में प्रक्षेपास्त्र, आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र और कलियुग में परमाणु बम, रासायनिक बम, वायरस बम आदि। इसी प्रकार कोरोना एक वायरस बम है। कोरोना एक जैविक हथियार है। कोरोना एक सामरिक अस्त्र है। 

कोरोना : साइलेण्ट कीलर

     कोरोना सायलेण्ट किलर के रूप में अपनी शीघ्रगामी शुरुआत करते हुए अचानक ही विश्व-पटल पर अपनी दस्तक देते हुए सम्पूर्ण विश्व में छा गया।

कोरोना स्पीड

     कोरोना की स्पीड मस्त है। इस की स्पीड तो नाम और काम दोनों स्तर पर कुछ ऐसी है कि पलक झपकते ही समस्त विश्व पर जिस गति से छा गया, उतने ही अल्प काल में उस से भी बड़े ऐसे-ऐसे कारनामे किये कि बस पूछिये मत। इस के गवाह आप और हम सभी हैं। इसे दुहराकर, बोलकर और सोचकर अपने आप को तकलीफ मत दीजिये; क्योंकि इस का तो कुछ बिगाड़ सकते नहीं, इसलिए उल्टा और भी ज़्यादा तकलीफ स्वयं को ही होगी। बस कोरोना के गुण-धर्म का बखान करते जाइये, तकलीफ अपने आप कम होती जायेगी। कोई कहे-न-कहे मगर यह एक प्राकृतिक सत्य है कि अगर आप के अन्दर दुश्मन को हराने की औकात न हो तो उसे हीरो की तरह स्वीकार कर लेना ही बेहतर होता है। इस प्रकार अपनी नाकामी भी छिप जाती है, साथ ही दुश्मन की बड़ाई कर उच्च स्तर के मानवीय गुणों के अध्येता और प्रणेता भी बन जाते हैं। इस दुश्मन को भले आनेवाले दिनों में शायद हम हरा भी डालें मगर इतने अल्प काल में इस ने जो जुल्म, जो कहर हम पर ढाये हैं, वे हमें ताउम्र याद रहेंगे। इस की याद की बानगी तब ही मिट सकती है, जब इस से भी बड़ा दुःख आ जाय। तो फैसला आप पर है कि आप इस दुःख और उस दुःख में कौन-सा दुःख आत्मसात् कर ‘सुखी’ होना चाहते हैं! इस के बावजूद आप के हाथ में कुछ भी नहीं है; क्योंकि होनी आप के और हमारे वश में नहीं है, हमें केवल कामना करने की छूट मिली है। इसलिए इस छूट को लूट लीजिये!     

इण्टरनेशनल सुपस्टार कोरोना

     कोरोना इण्टरनेशनल सुपर स्टार यूँ ही नहीं बना। इस के लिए उस ने बड़े-बड़े कारनामे किये हैं। घर के घर, देश के देश, परदेस के परदेस- सबकुछ पलक झपकते साफ-सुथरे कर दिये हैं, तबाह कर दिये हैं। इस के लिए उस ने सारा जहां छान मारा है। दुनिया की गली-कूचों तक में कूच कर दुनिया के छक्के छुड़ा दिये हैं। इस के कारनामों के आगे दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गजों ने घुटने टेक दिये हैं और हथियार डाल दिये हैं। कुछ ने तो बिना लड़े ही हथियार डाल दिये हैं।  
     कोरोना एक इण्टरनेशनल सुपरस्टार बन चुका है। अपनी फिल्म का वह केन्द्रीय पात्र है जो हीरो और विलेन दोनों है। कोरोना को एक स्टार, एक विलेन के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। इस विलेन स्टार को ख़ुद ही यह पता नहीं है कि उस की उत्पति कब, क्यूँ, कहाँ, किसलिए हुई?

विश्वप्रसिद्ध कोरोना

     कोरोना विश्वप्रसिद्ध हो गया। उस ने अति अल्पकाल में ही अपने कारनामों से ऐसा विश्वव्यापी तहलका मचाया कि उस की चर्चा विश्व के कोने-कोने में होने लगी। 

कोरोना जगत

     सम्पूर्ण जगत कोरोना की मुट्ठी में आ गया है। एक पल ऐसा लगा था कि पलक झपकते दुनिया को लील लेगा मगर उस की यह लीला अभी बाकी है। वायरस के रूप में लीला बाकी है जबकि कोरोना के रूप में अभी गुंजाइश बची है।
     कोरोना ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि आविष्कार जब तक आप की मुट्ठी में है तब तक तो सब ठीक है, मगर जब आप आविष्कार की मुट्ठी में आते हैं तब क्या होता है!?

मंगलवार, 9 जून 2020

कोरोना कथा Corona Story

-अमित कुमार नयनन
     इन्सान ने कोरोना की पटकथा पहले ही लिख दी थी। आज नहीं तो कल, यह तो होना ही था। वह कल, आज बन गया है।

कोरोना इतिहास

     कोरोना पहले भविष्य था, फिर वर्तमान बना और इस के बाद इतिहास भी बन चुका है। कोरोना इतिहास बन चुका है और न सिर्फ इतिहास बन चुका है; बल्कि इतिहास बना भी चुका है। साथ ही समस्त मानव जाति को इतिहास बनाने पर तुला भी है।

कोरोना अध्याय

     कोराना! कोरोना वायरस! विश्व इतिहास में एक अध्याय और जुड़ गया। इतिहास के पन्नों में एक नाम और जुड़ गया। इस का आना जितना हैरतअंगेज रहा, छाना उतना ही विस्फोटक भी।

कोरोना विज्ञान 

     कोरोना ने विज्ञान में जीव विज्ञान का क्या महत्त्व होता है, यह भी बतला दिया।

इतिहास स्वयं को दुहरा रहा है...

     ऐसा विश्व में पहली बार नहीं है। ऐसा विश्व में पहले भी कई बार हो चुका है। इतिहास स्वयं को दुहरा रहा है। 
वर्तमान साक्षी है कि इतिहास स्वयं को दुहरा रहा है। इतिहास साक्षी है कि ऐसी घटनाओं का निराकरण भी दैवीय सहायताओं और किसी नव अवतार या नव प्रयासों से ही हुआ है। इस वक़्त संसार भी इसी प्रक्रिया में लगा हुआ है और इष्ट-प्रार्थना, समग्र प्रयास में संलग्न है, मग्न है।

कोरोना जन्माजन्म

     कहा जाता है कि होनहार पूत के पाँव पालने में ही दीख जाते हैं। जो जीवन में कुछ कर गुजरते हैं उन की झलक शुरू में ही मिल जाती है। बिल्कुल फिल्म के ट्रेलर की तरह। इस का प्रमाण समस्त विश्व है: वर्तमान है जो इतिहास रच चुका है।।
     कोरोना का जन्म आम बच्चों की तरह नहीं था। इस की उत्पति धमाके की तरह हुई और इस का विस्तार तहलके की तरह। इस का पहला जन्मदिन ही बड़ी ‘धूमधाम’ से मना। इसे समस्त विश्व ने एकसाथ मनाया। इस के जन्मदिन का ‘धूम-धड़ाका’ अब भी जारी है, इस की ‘धमा-चौकड़ी’ जो अब भी जारी है! इस ने अपने कई प्रतिरूप विकसित कर विश्व जनसंख्या को पीछे छोड़ अपनी चाण्डालचौकड़ी जो विकसित कर ली और अब ‘चाण्डालचौकड़ी की धमाचौकड़ी’ भी अब जारी है।

कोरोना उत्पति

     कलियुग की 21वीं सदी के आरम्भ में कोरोना ने भू्रण रूप में विकसित होना शुरू किया जिस की विधिवत् घोषित उत्पति सन् 2019 ईस्वी को वुहान (चीन) में हुई।

कोरोना लावारिस

    इस शिशु के साथ सब से रोमांचक बात यह है कि इस को सभी गोद लेना चाहते हैं मगर अपना बच्चा कोई नहीं कहना चाहता। विश्व के सभी देश, यहाँ तक कि अच्छे-बुरे सभी, राजशाहों, तानाशाहों के साथ आतंकवादी, खूनी सभी हैं, इसे स्वशक्ति का हिस्सा बनाना चाहते हैं मगर यह नहीं चाहते कि कोई इसे उन की ईज़ाद कहे। इस का नाम और लाभ सभी लेना चाहते हैं मगर बदनामी कोई भी अपने सिर नहीं लेना चाहता।  
     कोरोना! एक ऐसा अनाथ शिशु है जिस का जन्म पूरी दुनिया के सामने हुआ, फिर भी उस की जन्मतिथि, जन्मस्थान, जन्मदाता वगैरह के रूप में विविध कयास लगाये जा रहे हैं। कोरोना एक ऐसा लावारिस बन चुका है, जिस के लिए ला-वारिस का जुमला भी अख़्तियार किया जा रहा है।
     इण्टरनेशनल कोर्ट में बात पहुँच गयी है। इस के जन्मदाता, जन्मतिथि, जन्मस्थान वगैरह के बारे में खंगाला जा रहा है मगर विश्व के सारे तथाकथित इस मसले पर भ्रम और मतविभिन्नता के शिकार हैं। कोरोना जैसी जन्म से ही हिट, सुपरहिट, मेगाहिट पर्सनैलिटी को कोई भी अपना नहीं कहना चाहता। इस नन्हें शिशु को माता-पिता के रहते अनाथ कहना गलत न होगा। या फिर यह कइयों की नाजायज़ औलाद है। इस लापता का पता ढूँढना ही होगा।

कोरोना बायोडाटा

     कोरोना ने अपने जन्म से पूर्व, जन्म के साथ और जन्म के बाद जिस प्रकार के कारनामे किये हैं, कोरोना की कुण्डली के आगे नाग की कुण्डली भी कम है। कोरोना का बायोडाटा, कोरोना की जन्मकुण्डली तलाश की जा रही है। इस का जन्म कब और कहाँ हुआ? इस के जन्मसमय, जन्मतिथि, जन्मस्थान के बारे में पता किया जा रहा है। इस के जन्म के उद्देश्य वगैरह को जानने के लिए इस के अन्य पहलुओं पर भी फोकस किया जा रहा है। इसलिए कोरोना का जन्म कब, कहाँ, क्यूँ, किसलिए हुआ, यह भी पता किया जा रहा है-
नाम : कोरोना
वैज्ञानिक नाम : कोरोना वायरस
पूरा नाम : नोवेल कोरोना वायरस
जन्मस्थान : चीन/अमेरिका..... 
जन्मतिथि : 1930, 2002-2003 (अमेरिका), सितम्बर से दिसम्बर 2019 (वुहान-चीन).....
स्वभाव : स्पर्श करना
लक्ष्य : शरीर के अंग-अंग में घुसकर हलचल मचा देना, दिल को लाचार कर देना, किडनी को नष्ट-भ्रष्ट कर देना, अन्ततोगत्वा यमराज के दर्शन करा ‘मोक्ष’ का मार्ग प्रशस्त कर देना.....।

कोरोना महामारी 

     कोरोना वैश्विक महामारी है। मगर यह बिन बुलायी आफ़त नहीं; बल्कि बुलायी आफ़त है। इस पर ‘आ बैल मुझे मार’ वाली कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है, बिल्कुल सही चरितार्थ होती है।
     कोरोना को जिस प्रकार वैश्विक महामारी घोषित कर प्रचारित किया जा रहा है, इसे वैश्विक कारिस्तानी कहकर प्रचारित किया जाय तो बिल्कुल सही सिद्ध होगा।
     कोरोना वायरस! असल में इस संक्रमण को वायरस संक्रमण के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जबकि यह संक्रमण उस संक्रमण की देन है जो मानव मस्तिष्क से उपजी है। इसलिए यह मानव मस्तिष्क से उपजी मानवीय बनाम अमानवीय करतूतों की देन है। इसे अमानवीय करतूत कहा जाना बिल्कुल ग़लत न होगा; क्योंकि जब से इस की शुरुआत हुई है, यह आरम्भकाल से ही किसी-न-किसी की जान ले रहा है और इस का मीटर ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है।

कोरोना लक्षणम् 

     कोरोना के जो लक्षण हैं, आलसी और क्रोधी लोग के हैं। शरीर में, मांसपेशियों में दर्द होना, सिर में बेमतलब दर्द होना, जीभ में स्वाद न लगना, नाक में गन्ध महसूस न होना.....फलां-फलां बातों की पचहत्तर तरह की शिकायत.....खाँसी-जुकाम वगैरह आलसी और कामचोर लोग के लक्षण हैं। हृदय में दर्द, मस्तिष्क में तेज दर्द, पैरों में सूजन, साँस में समस्या, शरीर का कंपकंपाना, हृदयाघात वगैरह क्रोधी लोग के लक्षण हैं।

कोरोना युगान्धर Corona Saga

-अमित कुमार नयनन
     आज हम उस दौर में खड़े हैं, जब एक नया युग आरम्भ हो चुका है। 

युग परिवर्तन

     युग परिवर्तन हो चुका है। आप और हम इस युग के गुलाम हैं। ये कोरोना का युग है। यह कोरोना की दुनिया है।

विश्व चरण पादुका

     विश्व एक ऐसे चरण में कदम रख चुका है जो एक नये युग की शुरूआत है। यह शुरूआत अच्छा-बुरा कुछ भी हो सकता है।

इस बात से भला...

     इस बात से भला किसे ऐतराज होगा कि कोरोना से पहले और बाद की दुनिया एक-सी नहीं होगी! 
     इस बात से भला किसे ऐतराज होगा कि उस दौर से इस दौर में जो प्रवेश कर गये, वह इस के सूत्रधार हैं!
     इस बात से भला किसे ऐतराज होगा कि आप और हम जो कल की दुनिया में साथ थे, आज एक नयी दुनिया में भी साथ हैं!
     इस बात से भला किसे ऐतराज होगा कि कोरोना के आने से पहले दुनिया किस प्रकार बेफिक्र थी और आने के बाद किसी कदर फिक्रमन्द है।

कोरोना सिस्टम

     अगर हमें अपने लिए ज़िन्दगी चाहिए तो कोरोना सिस्टम के अनुसार ही जीना पड़ेगा। कोरोना अगर कहेगा कि उठ तो उठ और बैठ तो बैठ.....इधर चल तो इधर चल, उधर चल तो उधर चल.....। और जिस ने भी इस की अनदेखी की, उसे इस का फल भुगतना पड़ा। उदाहरण कई हैं और सभी जानते भी हैं।
     अगर आप को विश्वास नहीं तो इसे इस तरह देख लीजिये आप और हम पहले की तरह हाथ नहीं मिला सकते, गले नहीं लग सकते, गलबहियाँ नहीं कर सकते.....हालाँकि हमारे बीच का प्रेम वही है मगर उसे ज़माने की नज़र लग गयी है, अलबत्ता कोरोना की नज़र लग गयी है। आप दुनिया-जहान की बातें छोड़ दीजिये, आप को अपना ही चेहरा- आँख, नाक, मुँह, कान छूने से पहले सोचना है। क्या यह कम है? आप के और हमारे शरीर के अन्दर से बाहर और बाहर से अन्दर तक उस का साम्राज्य पहँुच चुका है। शरीर हमारा, दोस्त-यार, अड़ोसी-पड़ोसी, दुनिया-जहान हमारे.....राज कोरोना का! जिसे कुछ दिनों पहले तक हम जानते तक नहीं थे, किसी भूत की तरह प्रकट हो अचानक ही विश्व-सम्राट बन गया।

विश्व-सम्राट

     कुछ दिनों पहले तक इस का नाम कोई नहीं जानता था और आज यह विश्वसम्राट है। आज के समय में इसे भला कौन चुनौती दे सकता है। हर सम्राट के साथ इस सम्राट के भी अच्छे-बुरे पहलू हैं।
     विश्व-सम्राट कोरोना का राज शीघ्रातिशीघ्र साम्राज्य में बदल गया। प्रदेश, देश, परदेस की तमाम सीमाओं को पार कर सारे मापदण्डों और मानदण्डों को ध्वस्त कर समस्त विश्व पर छा गया। कोरोना ने अपनी विश्व-पताका कुछ इस तरह लहराया कि इस की ध्वज के आगे समस्त विश्व नतमस्तक हो गया।
     इस बात से कुछ लोग को ऐतराज हो सकता है कि कोरोना क्या चीज है? इस से पहले भी विश्व में महामारी आयी है जो इस से भी भयानक रही है। इस से भी ज़्यादा खौफ़नाक और विनाशक रही है। फिर यह इतना भयावह और आतंकित कैसे हुआ?
     तो ज़नाब! ज़वाब यह है कि कुछ दिन पहले डायरी के पन्ने उलटकर और कुछ दिन पहले की दिनचर्या पलटकर देख लीजिये। कुछ दिन पहले तक हम सभी अपनी मर्जी के मालिक थे। जो मनमर्जी आया, करते थे मगर आज अपनी मर्जी से विश्व, परदेस, देश, प्रदेश, क्षेत्र वगैरह दीन-दुनिया वगैरह समाज वगैरह.....वगैरह-वगैरह की तो बात ही छोड़ दीजिये, आप और हम अपनी मर्जी से बेफिक्र होकर अपना शरीर तक नहीं छू सकते। मनुष्य ने जब से धरती पर जन्म लिया था, तब से आजतक ऐसा कब हुआ था? वह भी समस्त विश्व में एकसाथ। वह भी एक ही समय में एकसाथ।
     एक प्रश्न यथोचित तौर पर कई लोग उठा सकते हैं कि विश्व में इस से पहले भी इस से भयानक और खौफ़नाक परिणाम देनेवाली बीमारियाँ हुई हैं और उन का अरसों और दसियों ही नहीं; बल्कि कुछ का तो सदियों तक प्रभाव रहा है तो फिर कोरोना उन से ज़्यादा भयावह कैसे हुआ? तो मैं ने कोरोना को भयावह से ज़्यादा विश्व-सम्राट की उपाधि दी है! आवश्यक नहीं जो ज़्यादा भयावह हो वही विश्व-सम्राट हो; बल्कि जिस की समस्त दुनिया पर चलती हो, समस्त विश्व पर प्रभाव और वर्चस्व हो, वह विश्व-सम्राट है!
     मानव सभ्यता के इतिहास में कोरोना से पहले भी कई प्रकार की महामारियाँ आयी हैं और संख्यात्मक और आनुपातिक दोनो ही रूपों से उन्होंने ज़्यादा विनाशक और घातक परिणाम दिये हैं मगर जो कोरोना ने कर दिया या कर दिखाया, वह किसी और बीमारी ने नहीं किया। सच कहा जाय तो कोरोना ने कई महामारियों के मुकाबले इन्सान का ज़्यादा कुछ नहीं बिगाड़ा। इस से पहले कई महामारियाँ इस से कई गुणा ज़्यादा घातक परिणाम दे चुकी हैं और कुछ दे भी रही हैं मगर फिर भी कोरोना ने वह किया जो किसी और बीमारी ने नहीं किया। कोरोना ने ज़्यादा कुछ नहीं किया, बस उस ने इन्सान को उस की औकात और जाति बता दी, जिस दुनिया में उस की तूती बोलती थी, उसी दुनिया में उस की पुंगी बजा दी।
     दरअसल, सब से ज़्यादा कत्ल करनेवाला राजा हो आवश्यक नहीं; बल्कि जिस का अपना इलाके और क्षेत्र में वर्चस्व और साम्राज्य हो, जिस का खौफ़ व डर हो, जिस के अनुसार लोग चलने को विवश हों- वह राजा है। तिसपर अगर यह मामला समस्त विश्व पर लागू हो तो निश्चित तौर पर वह राजा एक सम्राट है, विश्व सम्राट है! कोरोना इस विश्व व्यापक नजरिये से विश्व सम्राट है। 
     कोरोना ने एक ही काल में वह भी अति अल्प से भी अल्प काल में न सिर्फ़ समस्त विश्व पर अपना सिक्का जमाया; बल्कि उस का सिक्का समस्त विश्व में चल भी निकला। उस की तूती समस्त विश्व में बोलने भी लगी। इस ने न सिर्फ़ विश्व के व्यक्तिगत से लेकर समस्त स्तर पर विश्व की दिनचर्या बदल दी; बल्कि समस्त विश्व के समस्त क्षेत्र की जीवन-शैली, तौर-तरीकों, परम्परागत प्रणाली वगैरह को बदलकर रख दिया। जिस दुनिया पर कुछ दिनों पहले सिर्फ़-और-सिर्फ़ इन्सान राज कर रहा था, उस पर एक ऐसा नामाकूल राज करने लगा जिस का कुछ दिनों पहले तक लोग नाम तक नहीं जानते थे। इतने अल्प से भी अल्प काल में। मनुष्य सभ्यता के इतिहास से देखें तो यह सेकेण्ड का भी सौवाँ क्षण से भी कम प्रतीत होता है। समस्त विश्व में एक साथ। ऐसा कब, किस महामारी ने किया था? वे महामारियाँ समस्त विश्व पर या तो चरणबद्ध तरीके से छायी थीं या विश्व के अधिकाधिक क्षेत्र तक छायी थीं मगर समस्त विश्व पर एक ही समय में एक बार छाने जैसा वाक्या तो आजतक किसी लेख में कहीं लिखा या किसी का दिखा तो कहीं नहीं दीखता या मिलता।

सोमवार, 1 जून 2020

कोरोना समसामयिकी Corona Current Affairs

-अमित कुमार नयनन
     वह भी क्या दिन थे, जब हम अपनी मर्जी का करते थे। जो मन में आता था, करते थे। जो मन में नहीं आता था, नहीं करते थे। सारी दुनिया को अपनी बपौती समझ जो भी जी आता, करते रहे। बेख़ौफ़ हो घूमते थे।बिन्दास... बेखौफ... बेफिक्र... बेपरवाह!

जाने कहाँ गये वो दिन...

     हाय रे वायरस! तूने कर दिया जीवन में व्हाई (Why) रस। दुनिया रास-रंग के रस को तरस गयी। शृँगार रस से भरी ज़िन्दगी थी। ऐसी रसहीन ज़िन्दगी जीने से क्या फ़ायदा?
     हाय-हाय! हाय ड्यूट! हाय क्यूट! ऐसा कहती दुनिया अचानक ‘हाय-हाय’ पर उतर आयी। ‘काँय-काँय’ पर विवश हो गयी। मन तो कर रहा है कि सारी दुनिया पर चिल्लाएँ, ख़ुद पर झल्लाएँ! मगर होगा क्या? सुननेवाला कौन है- सड़कें तो वीरान पड़ी हैं, दीवारें ही सुनेंगी। मन्दिर, मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारे- सब के कपाट बन्द हैं। भगवान के पास जाकर घण्टी भी नहीं बजा सकते; क्योंकि कोरोना ने सब की घण्टी बजा दी है और बजा दिया है बारह!

पीढ़ियों का फ़ासला

     अब तो यही लगता है कि आनेवाले दिनों में यदि बच गये तो आनेवाली पीढ़ियों को सुनाने के लिए हांेंगी कहानियाँ कि कोरोना से पहले हम ऐसे जीते थे और इस के आने के बाद ऐसे जीने लगे। पहले फ्री स्टाइल में जीते थे और फिर ‘रिरियाते स्टाइल’ में जीने को बाध्य हुए। नयी पीढ़ी से आगे कहेंगे- तुम्हें फर्क नहीं पड़ता; क्योंकि तुम्हारे लिए यही रियल स्टाइल है मगर मेरे लिए तो यह रील स्टाइल है। अभी से ही कोरोना से पहले का समय किसी सुखद फिल्म की तरह लगने लगा है।

अतीत और वर्तमान

     ‘‘वर्तमान, अतीत से ज़्यादा दुःखद हो तो अतीत कितना सुखद लगता है!’’ यादें...यादें तो लाइब्रेरी होती हैं- अच्छी बातों को महसूस कीजिये। अब ठण्डी साँस लेने से क्या फायदा? अब तो गर्म हवा आने लगी है। हमें इसी के साथ जीना होगा या फिर ऐसा करना होगा कि हम गर्म हवा में सुखपूर्वक जीने लायक बन जाएँ अथवा सब कुछ पहले की तरह हो जाय। ओह! फिर से एक ठण्डी आह आ ही गयी। बिन्दास जीवन लगता है कि बीते समय की बात हो गयी है।