भारत की कुण्डली वृष लग्न की है और इस की राशि कर्क है। वृष स्थिर तो कर्क चर राशि है अतः स्थिर व चरात्मक दोनों प्रवृति का इस की प्रवृति व प्रकृति में समावेश होगा। वृष व कर्क दोनों ही राशियाँ स्वभाव से मृदु हैं, अतः इस देश की प्रकृति मृदु व स्नेहशील होगी व इस में सहनशीलता व विवेकशीलता अन्य देशों की अपेक्षा अधिक रहेगी। लग्नेश शुक्र का राशीश चन्द्र के साथ तृतीय भाव में युति इस के दीर्घकालिक अवस्था को सबलता से दर्शाता है । लग्न में लग्नेश शुक्र मित्र राहु अपनी उच्च राशि में बैठा है। इस प्रकार लग्न के लिए यह एक अच्छी स्थिति है। लग्नेश का तृतीय पराक्रम स्थान में सूर्य, चन्द्र, बुध, शनि के साथ बैठना व केतु से देखा जाना इस देश के विविध लोग और सभ्यता व संस्कृति के दर्शन को सरल तरीके से इंगित करता है। तृतीय में विविध प्रकृति के पंचग्रह की युति कुछ हद तक संत या एकाकी योग को भी बताता है। इस में भी संदेह नहीं कि भारत धर्म और अध्यात्म का धनी देश है। इस प्रकार इस की विविधता में एकता का बल लक्षित होता है जो कि पूर्णतया सही है।
भारत भौगोलिक रूप से तीन दिशाओं पूर्व, पश्चिम, दक्षिण दिशा की ओर जल से घिरा प्रायद्वीप है जिस के एकमात्र उत्तर में विशालकाय हिमालय व भूखण्ड आदि हैं।
भारत की कुण्डली में तृतीय पराक्रम स्थान जितना प्रबल है, उतना ही चतुर्थ जनता, अचल सम्पत्ति व भूमि स्थान कमजोर है। तृतीय स्थान में जो ग्रह बल, पराक्रम आदि की वृद्धि कर रहे हैं, वही ग्रह जनता, अचल संपत्ति व भूमि के लिए बाधा भी दे रहे हैं; क्योंकि तृतीय स्थान, चतुर्थ स्थान का व्यय स्थान है। यह युति चूँकि कर्क राशि में बन रही है, अतः उत्तर दिशा भारत के लिए इस मामले में सदा चिन्ता का मसला रहेगा। तृतीय स्थान में पंचग्रह युति जहाँ बल व पराक्रम के लिए अच्छी है, वहीं यह अचल संपत्ति व भूखंड के लिए बिल्कुल सही नहीं है। इसी कारण तृतीयस्थ शनि महादशा में पाक व चीन युुद्ध हुआ व तिब्बत एवं कैलाश व मानसरोवर जैसे भूखंड इस वक्त चीन के कब्जे में हैं। अतः कुल ९ महादशा ग्रहों में इन पाँच ग्रहों की दशा में सीमा विवाद अक्सर बना रहेगा। कुल १२० साल की महादशा में शनि १९ साल, बुध १७ साल, शुक्र २० साल, सूर्य ६ साल व चन्द्र १० साल आते हैं जो ८२ साल अर्थात् कुल दशा का दो-तिहाई से भी अधिक साल आते हैं। अतः संक्षेप में भारत को अपने दशाकाल में अक्सर सीमा व भूमि विवाद बना रहेगा और इन पाँच ग्रहों की दशा में यह विशेष होगा।
भारत की आज़़ादी के समय ज्योतिषियों द्वारा आज़ादी का निर्धारित किया गया समय पूर्ण शुभ न होने के कारण आज यह स्थिति है। यही पंचग्रह यदि लग्न, दशम् या एकादश में होते तो देश की स्थिति कुछ और होती। फिर भी बल व पराक्रम का स्थान मजबूत होने के कारण यह एक मजबूत देश है और रहेगा।
चन्द्र महादशा
२१ मई २०१५ से २१ मई २०२५ तक चल रही चन्द्र महादशा में चन्द्र महादशा की चन्द्र अंर्तदशा २१ मई २०१६ तक व्यतीत हो चुकी है। इस के उपरांत चन्द्र महादशा में मंगल अंतर्दशा से लेकर चन्द्र महादशा में अन्य समस्त अंतर्दशा का फल निम्न उल्लेखित है।
चन्द्र महादशा की १० साल की महादशा पूर्णता के पश्चात् २१ मई २०२५ से ७ साल की मंगल महादशा २१ मई २०३२ तक चलेगी।
चन्द्र महादशा बनाम अंतर्दशा फल
भारत की जन्मकुण्डली में इस वक्त चन्द्र की महादशा चल रही है। यह स्वबल, पराक्रम, संचार की दशा है मगर साथ ही भूमि के लिए व्ययशील होने के कारण भूविवाद की उलझनें बनी रहेंगी। इस के साथ यह मानसिक कार्य, नेवी व स्त्रीशक्ति के लिए विशेष लाभ लेकर आयेगी। चन्द्र महादशा में मंगल की अंर्तदशा २१ मई २०१६ से २१ दिसंबर २०१६ तक रही है। मंगल द्वितीय भाव में व्ययेश होकर बैठा है, अतः अनपेक्षित विदेशी, एनआरआई, परदेस से सहयोग व आर्थिक लाभ अपेक्षित है। संतति भाव पर मंगल की दृष्टि खेल मुख्य रूप से आक्रामक खेलों के नजरिये से शुभ है। यद्यपि मंगल मारकत्व प्रभाव से भी देख रहा है, अतः खेल या फिल्म जगत की विशेष हस्ती का वियोग आदि अपेक्षित है। मंगल सप्तम का स्वामी होने के कारण साझेदारी, आयात निर्यात, इंटरनेशनल व्यापार आदि में प्रसार देता रहा है। मंगल का प्रभाव २१ दिसंबर २०१६ तक है। तत् चन्द्र महादशा में राहु की अन्तर्दशा २१ दिसंबर २०१६ से २१ जून २०१८ तक जारी रही। राहु लग्न में उच्च का हो तृतीयस्थ शुक्र का फल भी देता रहा। इस प्रकार यह संचार व्यवस्था के लिए अतिशुभ रहा। परिवहन, कूरियर, टेलिमीडिया, मीडिया जैसे क्षेत्रों में विशेष विकास होगा। फिल्म जगत के लिए भी यह एक शुभ व सुखद दौर रहा। इस प्रकार १८ माह की यह अंतर्दशा अपने शुभ प्रभाव के साथ जारी रही। तत् १६ माह की वृहस्पति अंतर्दशा का दौर २१ जून २०१८ से २१ अक्टूबर २०१९ तक मिश्रित रहा। एक ओर तो यह आर्थिक लाभ कराता रहा है मगर साथ ही साझेदार या साझेदारी या अन्यत्र समस्या भी देता रहा है। इसे मिश्रित कहा जा सकता है। तत् १९ माह के शनि अंतर्दशा का दौर २१ अक्टूबर २०१९ से २१ मई २०२१ तक होगा। यह भूविवाद, आतंकवाद आदि मुद्दों का समय है। यह देश में उथल-पुथल को भी दर्शा रहा है। यद्यपि समस्याओं का अंततः समाधान होगा मगर विशेषतः उत्तर-पश्चिम, पूर्वोत्तर भारत व विदेशी क्षेत्र में भारत को सावधान रहना होगा। सीमा विवाद के मामले में भारत को पूर्ण रूप से सतर्क रहने की ज़रूरत है। तत् 17 माह की बुध अंतर्दशा २१ मई २०२१ से २१ अक्टूबर २०२२ तक व्यापारिक संदर्भ की अतिशुभ दशा है। इस दरम्यान बैंकिंग सेक्टर, स्टॉक मार्केट, मनी मैटर्स, आर्थिक क्षेत्र में मुख्यतः प्रसार होगा। तत् ७ माह की केतु अंतर्दशा २१ अक्टूबर २०२२ से २१ मई २०२३ तक मिश्रित आक्रामक तेवर के साथ आयेगी। अच्छा व बुरा दौर आकस्मिक प्रभाव के साथ होगा। आकस्मिक उठापटक व अप्रत्याशित घटनाक्रम का समय है। तत् २० माह की शुक्र अंतर्दशा २१ मई २०२३ से २१ जनवरी २०२५ तक कला, सिनेमाई, मीडिया, संचार, परिवहन आदि के लिए सुफल लेकर आएगा। यह दौर मुख्यतः लव, रोमांस, स्त्री संबंधी सम मनोरंजक फिल्मों का होगा व ऐक्शन का कम प्रभाव होगा, ऐसी फिल्में ज्यादा प्रसार व उपलब्धि अर्जित करेंगी व भारतीय सिनेमा को समृध करेंगी। तत् ६ माह की सूर्य अंर्तदशा २१ जनवरी २०२५ से २१ जुलाई २०२५ भूविवाद के साथ स्वबल व पराक्रम की दशा भी होगी। यह एक राजनैतिक विकलता व सफलता का दौर होगा।
इसी के साथ तत् चन्द्र महादशा की १० साल की महादशा की अवधि पूर्णता उपरांत ७ साल की मंगल महादशा का आरंभ होगा।।
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