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शनिवार, 15 मई 2021

कोवैक्सिन, कोविशील्ड, स्पुतनिक-वी और स्पुतनिक लाइट के बारे में वो सब बातें जो आप नहीं जानते Know Everything You Don't Know About Covaxin, Covishield, Sputnik-V & Sputnik Light

-शीतांशु कुमार सहाय

    विश्व के अन्य देशों की तरह भारत भी नोवेल कोरोना विषाणु (Novel Coronavirus) से होनेवाले अत्यन्त संक्रामक महामारी कोविड-१९ (COVID-19) से त्रस्त है। १५ मई २०२१ की सुबह ८ बजे तक २,६६,२०७ (दो लाख छियासठ हज़ार दो सौ सात) लोग की मृत्यु हो गयी जबकि ३६,७३,८०२ (छत्तीस लाख तिहत्तर हज़ार आठ सौ दो) लोग नोवेल कोरोना विषाणु से संक्रमित थे। १५ मई २०२१ की सुबह ८ बजे तक कुल ३,६७,३८,८०२ (तीन करोड़ सड़सठ लाख अड़तीस हज़ार आठ सौ दो) लोग संक्रमित हुए थे। कोविड-१९ से बचने का सब से कारगर उपाय टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन है।

    भारत में इन दिनों कोविड-१९ के तीन तरह के टीके यानी वैक्सीन दिये जा रहे हैं। १५ मई २०२१ की सुबह ८ बजे तक भारत में कुल १८,०४,५७,५७९ (अठारह करोड़ चार लाख संतावन हज़ार पाँच सौ उनासी) लोग टीकाकरण का लाभ ले चुके हैं 

    इस आलेख में अभी आप जानेंगे तीनों टीके अर्थात् कोवैक्सिन (Covaxin), कोविशील्ड (Covishield) और स्पुतनिक-वी (Sputnik-V) के बारे में वो सब कुछ जो शायद आप नहीं जानते लेकिन आप को जानना ज़रूरी है। साथ ही स्पुतनिक लाइट के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे 


तीनों वैक्सीन का वीडियो देखें 


कोवैक्सिन (
Covaxin)

    कोवैक्सिन को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद (Indian Council of Medical Research ICMR) और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने मिलकर तैयार किया है। इसे वैक्सीन बनाने के सब से पुराने अर्थात् पारम्परिक इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म  पर बनाया गया है। इनएक्टिवेटेड का मतलब है निष्क्रिय या मृत। तो यह जान लीजिये कि कोवैक्सिन के निर्माण में निष्क्रिय या मृत कोरोना विषाणु का उपयोग किया जाता है। इस से शरीर के अन्दर एंटीबॉडी उत्पन्न होती है। यह एंटीबॉडी कोरोना वायरस को मारती है। कोविड-१९ से पूरी सुरक्षा के लिए कोवैक्सिन की दो खुराक कुछ सप्ताह के अन्तराल पर लेनी पड़ती है।

    कोवैक्सिन टीका ऐसा टीका है जिस में मौजूद मृत कोरोना विषाणु वास्तव में जीवित कोरोना विषाणु को मारने में सक्षम हैं। कोवैक्सिन टीके के जरिये मृत कोरोना विषाणु (dead virus) को शरीर में डाला जाता है, फिर भी कोवैक्सिन टीका किसी को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है; क्योंकि वैक्सीन बनाना बेहद फाइन बैलेंस का कार्य होता है ताकि वायरस शरीर में एक्टिवेट न हो सके। ये इनक्टिवेटेड वायरस शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को असली वायरस को पहचानने के लिए तैयार करता है और संक्रमण होने पर उस से लड़ता है, उसे खत्म करने की कोशिश करता है।

    कोवैक्सीन की प्रभाविकता ७८ प्रतिशत है। एक शोध में यह भी बताया गया है कि यह वैक्सीन घातक संक्रमण और मृत्यु दर के जोखिम को १०० प्रतिशत तक कम कर सकती है। हाल ही में हुए शोध में यह दावा किया गया है कि कोवैक्सिन कोरोना के सभी वेरिएंट्स के खिलाफ कारगर है।

    कोविड-१९ के सभी वैक्सीन में सिर्फ कोवैक्सीन (covaxin) अकेली वैक्सीन है जिसे वैक्सीन बनाने के सब से पुराने तरीके से बनाया गया है। इस में कोरोना वायरस के ही इनक्टिवेटेड यानी मृतस्वरूप को उपयोग में लाया है। यही कारण है कि कोरोना के ६७१ वैरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन काफ़ी प्रभावी है। मतलब यह कि चाहे कोरोना विषाणु कितना भी म्यूटेशन कर ले, अपना रूप बदल ले लेकिन सब पर कोवैक्सीन प्रभावी रहेगी। यह तथ्य हाल ही में हुए शोध से पता चला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-१९ के खिलाफ़ कारगर टीके के रूप में कोवैक्सीन को मंजूरी दी है। 

    भारत में राज्य सरकारों को ४०० रुपये प्रति डो में और निजी क्षेत्र को १२०० रुपये प्रति खुराक की दर से कोवैक्सीन को भारत बायोटेक द्वारा बेचा जा रहा है।

कोविशील्ड (
Covishield)

    विशील्ड को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका कम्पनी ने मिलकर तैयार किया है। भारत में इस के उत्पादन की जिम्मेदारी पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड को दी गयी है। इस व्यावसायिक करार के अनुसार, कोविशील्ड टीके की आधी कीमत ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी को मिलती है। विश्व में कोविशील्ड लोकप्रिय वैक्सीन है। कई देश इस का इस्तेमाल कर रहे हैं। कोविशील्ड म्यूटेंट स्ट्रेन्स (अर्थात् रूप बदले हुए वायरस) के खिलाफ सब से असरदार है। कोवीशील्ड एक वायरल वेक्टर टाइप की वैक्सीन है।

    कोविशील्ड को सिंगल वायरस से बनाया गया है जो चिम्पैंजी के मल में पाये जानेवाले एडेनोवायरस से बनी है। ये वही वायरस हैं जो चिम्पैंजी में होनेवाले सर्दी-ज़ुकाम का कारण बनते हैं। एडेनोवायरस की जेनेटिक सरंचना कोविड-१९ के वायरस से मिलती है। यही कारण है कि एडेनोवायरस का उपयोग कर शरीर में एंटीबॉडी बनाने को कोविशील्ड वैक्सीन इम्युनिटी सिस्टम को प्रेरित करती है। कोविड-१९ से पूरी सुरक्षा के लिए कोविशील्ड की दो खुराक कुछ सप्ताह के अन्तराल पर लेना अनिवार्य है।

    कोविशील्ड को भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंजूरी दी है।  इस की प्रभाविकता या इफेक्टिवनेस रेट ७० प्रतिशत है। यह वैक्सीन कोरोना के गंभीर लक्षणों से बचाती है और संक्रमित व्यक्ति जल्दी ठीक होता है। कोविशील्ड व्यक्ति को वेंटिलेटर पर जाने से भी बचाती है। इस का रख-रखाव बेहद आसान है; क्योंकि यह लगभग २° से ८° सेल्सियस तापमान पर कहीं भी ले जायी जा सकती है और उपयोग में लाने के बाद बची हुई वैक्सीन की वायल को रेफ्रिजरेटर में सुरक्षित रखा जा सकता है।

    भारत में केन्द्र सरकार को १५० रुपये में, राज्य सरकारों को ३०० रुपये प्रति डोज़ में और निजी क्षेत्र को ६०० रुपये प्रति खुराक की दर से सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा कोविशील्ड टीका बेचा जा रहा है।

स्पुतनिक-वी
(Sputnik-V)

    स्पुतनिक-वी को रूस की राजधानी मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है। भारत में डॉ. रेड्डीज लेबारेटरीज द्वारा स्पुतनिक-वी का उत्पादन किया जायेगा। स्पुतनिक-वी को भी २ से ८° सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है। स्पुतनिक-वी भी एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है।

    स्पुतनिक-वी और अन्य वैक्सीन में बड़ा फर्क यही है कि अन्य वैक्सीन को एक वायरस से बनाया गया है, जबकि स्पुतनिक-वी में दो वायरस हैं और इस के दोनों खुराक अलग-अलग होते हैं। कोविशील्ड और कोवैक्सिन की तरह ही स्पुतनिक-वी के भी दो डो कुछ सप्ताह के अन्तराल पर लेना होता है; ताकि कोविड-१९ से पूरी सुरक्षा मिल सके।

    स्पुतनिक-वी को भारत ही नहीं; बल्कि विश्व की अब तक की सब से प्रभावी कोरोना वैक्सीन माना गया है। भारत में मौजूद तीनों टीकों में सब से प्रभावी टीका स्पुतनिक-वी है। स्पुतनिक-वी 91.6 प्रतिशत प्रभावी है। ऐसे में इसे सब से अधिक प्रभावी वैक्सीन कहा जा सकता है। यह सर्दी, जुकाम और अन्य श्वसन रोग पैदा करनेवाले एडेनोवायरस-२६ (Ad26) और एडेनोवायरस-५ (Ad5) मतलब दो प्रकार के वायरस पर आधारित है।

    स्पुतनिक-वी टीके में उपस्थित एडेनोवायरस वास्तव में कोरोना वायरस में पाये जानेवाले काँटेदार प्रोटीन स्पाइक (Spike) की नकल करती है, जो शरीर पर सब से पहले हमला करता है। यहाँ यह जानना ज़रूरी है कि स्पाइक प्रोटीन ही शरीर की कोशिकाओं अर्थात् सेल्स में प्रवेश करने में कोरोना विषाणु को सहायता करता है।

    स्पुतनिक-वी वैक्सीन के शरीर में पहुँचते‍‌ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) सक्रिय हो जाती है। साथ ही शरीर में एंटीबॉडी पैदा हो जाती है जो शरीर को कोरोना वायरस से बचाती है।

    भारत में स्पुतनिक-वी का टीकाकरण शुक्रवार, १४ मई २०२१ को तेलंगानाकी राजधानी हैदराबाद में आरम्भ हो गया। इस का पहला डोज दीपक सापरा ने लिया जो डॉ. रेड्डीज लेबारेटरीज में ही कस्टम फार्मा सर्विस के ग्लोबल हेड हैंभारत में इस वैक्सीन को डॉ. रेड्डीज लेबारेटरीज ने ही आयात किया है और इसी कंपनी ने कीमत की भी जानकारी साझा की है भारत में इस की कीमत ९९५.४० रुपये प्रति खुराक है।

स्पुतनिक लाइट
(Sputnik Light)

    अब जानते हैं स्पुतनिक-वी टीके की ही सिंगल डोज वाली वैक्सीन अर्थात स्पुतनिक लाइट (Sputnik Light) के बारे में। भारत में कई लोग इसलिए भी अबतक कोविड-१९ का टीका नहीं लिए हैं कि स्पुतनिक का एक खुराक वाला टीका ही लेंगे, तो ऐसे लोग ध्यान से सुनें। इस बुलेटिन में आप पहले जान चुके हैं कि स्पुतनिक-वी वैक्सीन की दोनों खुराक में दो अलग-अलग वायरस होते हैं। इन दोनों वायरस के नाम भी आप जान चुके हैं।

    तो अब सच्चाई जानिये कि स्पुतनिक लाइट वैक्सीन वास्तव में स्पुतनिक-वी वैक्सीन की ही पहली खुराक है। स्पुतनिक-वी टीके की दो खुराक तीन सप्ताह के अन्तराल पर दिये जाते हैं। अब इसे बनानेवाली कंपनी गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दावा किया है कि स्पुतनिक-वी का पहला डोज भी कोरोना संक्रमण से बचाने में कारगर है और इसे ही स्पुतनिक लाइट (Sputnik Light) के रूप में बाज़ार में उतारा गया है। स्पुतनिक लाइट का प्रभाविकता यानी इफेक्टिवनेस ७९.४ प्रतिशत है जो अन्य वैक्सीन के दो डोज से भी अधिक है।

    अगर स्पुतनिक लाइट की मंजूरी भारत में मिलती है तो एक खुराक में ही अधिक टीकाकरण किया जा सकेगा। इस से टीकाकरण में तेजी आयेगी।

    भारत में स्वीकृत तीनों कोरोना वैक्सीन (कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक) नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण वाले व्यक्ति को गम्भीर होने और वेंटिलेटर पर जाने से बचाती हैं। इसलिए आप की आसपास जो भी वैक्सीन मिल रहा हो, उसे तुरन्त लगवा लें। कोविड-१९ के ये ये तीनों टीके रोग के गम्भीर होने के खतरे को टाल देती है और आप के जीवन की रक्षा करती हैं। याद रखिये, इन तीनों वैक्सीन से कोरोना वायरस को खतरा है, इसे लेनेवाले मनुष्य को नहीं।

    खुश रहिये, स्वस्थ रहिये और पढ़ते रहिये https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/

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