प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय
चित्र में जो बुजुर्ग महिला बैठी हुई है। इन का दर्शन करना भी बड़े सौभाग्य की बात है क्योंकि यह पिछले ४६ सालों से राधा रमन जी के प्रांगण में ही बैठी रहती हैं। कभी राधा रमन जी की गलियों और राधा रमन जी का मंदिर छोड़कर इधर-उधर वृंदावन में कहीं नहीं गयीं।
इन बुजुर्ग महिला की उमर ८१ साल हो चुकी है। जब यह ३५ साल की थीं। तब यह जगन्नाथ पुरी से चलकर अकेली वृंदावन आयी थीं। वृंदावन पहुँचकर इन्होंने किसी बृजवासी से वृंदावन का रास्ता पूछा। उस ब्रजवासी ने इन को राधा रमन जी का मंदिर दिखा दिया।
आज से ४६ साल पहले कल्पना कीजिए वृंदावन कैसा होगा? वह अकेली जवान औरत सब कुछ छोड़ कर केवल भगवान के भरोसे वृंदावन आ गयीं। किसी बृजवासी ने जब इन को राधा रमन जी का मंदिर दिखाकर यह कह दिया कि यही वृंदावन है। तब से लेकर आज तक इन को ४६ वर्ष हो गये, यह राधा रमन जी का मंदिर छोड़कर कहीं नहीं गयीं। यह मंदिर के प्रांगण में बैठकर ४६ साल से श्रीकृष्ण की साधना में रत हैं और भजन गाती है। मंगला आरती के दर्शन करती हैं। कभी-कभी गोपी गीत गाती हैं।
जब इन को कोई भक्त यह कहता है कि माताजी वृंदावन घूम आओ, तो वह कहती है, मैं कैसे जाऊँ? लोग बोलते हैं। जब मुझे किसी बृजवासी ने यह बोल दिया कि यही वृंदावन है, तो मेरे बिहारीजी तो मुझे यहीं मिलेंगे। मेरे लिए तो सारा वृंदावन इसी राधा रमन मंदिर में ही है।
देखिए प्रेम और समर्पण की कैसी पराकाष्ठा है। आज के दौर में संत हो या आम जन- सब धन, रिश्ते- नातों के पीछे भाग रहे हैं तो आज भी संसार में ऐसे दुर्लभ भक्त हैं जो केवल और केवल भगवान के पीछे भागते हैं।
वह देखने में बहुत निर्धन हैं पर उन का परम धन इनके भगवान "राधा रमन" जी हैं।
हम संसार के लोग थोड़ी-सी भक्ति करते हैं और अपने आप को भक्त समझ बैठते हैं। कभी थोड़ी भी परेशानी आयी नहीं कि भगवान को कोसने लगते हैं। भगवान को छोड़कर किसी अन्य देवी-देवता की पूजा करने लग जाते हैं। हमारे अंदर समर्पण तो है ही नहीं। आज संसार के अधिकतर लोग अपनी परेशानियों से परेशान होकर कभी एक बाबा से दूसरे बाबा पर दूसरे बाबा से तीसरे बाबा पर भाग रहे हैं। और-तो-और हमारा न अपने गुरु पर विश्वास है, न किसी एक देवता को अपना इष्ट मानते हैं। अधिकतर लोग भगवान को अगर प्यार भी करते हैं तो किसी-न-किसी भौतिक आवश्यकता के लिए। पर, इन दुर्लभ संत योगिनी को देखिये.....वह सब कुछ त्याग कर केवल भगवान के भरोसे ४६ साल से राधा रमन जी के प्रांगण में बैठी हैं, उन की साधना में लीन हैं।
भगवान श्रीकृष्ण की इस महान भक्तिन के श्रीचरणों में मेरा कोटि-कोटि प्रणाण!
जय श्री राधे कृष्ण!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आलेख या सूचना आप को कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें। https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/ पर उपलब्ध सामग्रियों का सर्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित है, तथापि आप अन्यत्र उपयोग कर सकते हैं परन्तु लेखक का नाम देना अनिवार्य है।