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गुरुवार, 8 सितंबर 2022

पितृपक्ष में इन वस्तुओं को न खाएँ अन्यथा पितर हो जायेंगे रुष्ट Do Not Eat These Things During Pitru Paksha Otherwise The Ancestors Will Get Angry

 


-शीतांशु कुमार सहाय 

     सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्त्व है। आश्विन महीने में कृष्ण पक्ष प्रथमा अर्थात् प्रतिपदा से आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक की अवधि को पितृपक्ष कहा जाता है। माँ, पिता या घर के अन्य सदस्यों की जिस तिथि को देहान्त होता है, प्रथमा से उस तिथि तक उन्हें पितर रूप मानकर जल तर्पण करने का विधान है। 

     पितृपक्ष में पितरों को तर्पण, पिण्डदान और श्राद्ध करने से उन की आत्मा को शान्ति मिलती है। बदले में पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि और प्रगति का आशीर्वाद देते हैं।

क्या खाएँ, क्या न खाएँ...

     शास्त्र विधि के अनुसार, पितृपक्ष में चना और चने से बने पदार्थ जैसे- चने की दाल, बेसन और चने से बने सत्तू नहीं खाना चाहिए। पितृ पक्ष अर्थात् श्राद्ध पक्ष में चना वर्जित है। इस दौरान चने का उपयोग अशुभ माना जाता है। अरहर, मूँग और उड़द का उपयोग किया जा सकता है। 

     पितृ पक्ष में श्राद्ध के दौरान कच्चे अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। पितृ पक्ष में मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस अवधि में दाल, चावल, गेहूँ जैसे अनाज को कच्चा सेवन करना वर्जित है। हाँ, इन्हें उबालकर खाया जा सकता है। पर, मसूर की दाल को किसी भी रूप में श्राद्ध के दौरान प्रयोग न करें। 

     पितृ पक्ष में लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है। पितृ पक्ष में लहसुन या प्याज के सेवन से पितृ रुष्ट होते हैं और घर की प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

     पितृपक्ष में कुछ सब्जियों के सेवन से बचना चाहिए। इस अवधि में आलू, मूली, अरबी (अरूई व कन्दा) और कन्द वाली सब्जियों यानी जो भूमि के अन्दर उपजते हैं) का सेवन कदापि नहीं करना चाहिए। इन सब्जियों को श्राद्ध या पितृपक्ष में न स्वयं सेवन करें और न ब्राह्मणों या पुरोहितों को भोजन में अर्पित करें। 


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